रेलवे परियोजना में वित्तीय अनियमितताओं का गंभीर आरोप
वर्धा–यवतमाल–नांदेड़ रेलवे परियोजना में बारह हज़ार करोड़ रुपए की कथित धांधली सामने आने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति और प्रशासनिक तंत्र में हलचल मच गई है। विधानसभा उपाध्यक्ष अण्णा बनसोडे ने इस पूरे मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई को सौंपते हुए स्पष्ट निर्देश दिया है कि नागपुर अधिवेशन के पहले विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इस कथित वित्तीय अनियमितता में कई उच्चाधिकारियों, जिला प्रशासन के अधिकारियों और रेलवे के संविदाकारों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिससे मामले का महत्व और संवेदनशीलता और भी बढ़ जाती है।
परियोजना का स्वरूप और वित्तीय संदिग्धता
बड़े पैमाने पर धन व्यय पर प्रश्नचिह्न
वर्धा, यवतमाल और नांदेड़ जिलों को जोड़ने वाली यह रेलवे परियोजना क्षेत्रीय विकास का अहम आधार मानी जाती रही है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से इस परियोजना में धन के भारी दुरुपयोग, संदिग्ध भुगतान और तकनीकी मानकों की अनदेखी की शिकायतें लगातार उठती रही हैं। बताया जाता है कि परियोजना व्यय में कई गुना बढ़ोतरी और बिना अनुमोदन के जारी किए गए बिलों ने जांच एजेंसियों का ध्यान खींचा।
आरोपित अधिकारियों की सूची
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार इस मामले में दो जिलाधिकारी, एक अतिरिक्त जिलाधिकारी, एक जिला खनिकर्म अधिकारी, दो तहसीलदार और रेलवे विभाग से जुड़े कई ठेकेदार और तकनीकी अधिकारी आरोपों के दायरे में हैं। आरोप यह है कि प्रशासनिक स्तर पर मिलीभगत से फर्जी माप पुस्तिकाएं, गैर-जरूरी भुगतान और कार्य प्रगति रिपोर्टों में हेरफेर किया गया, जिसके चलते परियोजना लागत अनियंत्रित रूप से बढ़ी।
विधानसभा उपाध्यक्ष की कठोर प्रतिक्रिया
जांच को लेकर स्पष्ट निर्देश
विधानसभा उपाध्यक्ष अण्णा बनसोडे ने मुंबई स्थित आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के आयुक्त को फ़ाइल सौंपते हुए कहा कि इतनी विशाल राशि की परियोजना में इस स्तर की अनियमितता किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन स्थापित करना है, इसलिए किसी भी अधिकारी या ठेकेदार को बख्शा नहीं जाएगा।
नागपुर अधिवेशन से पहले रिपोर्ट की माँग
आगामी नागपुर अधिवेशन में इस विषय पर संभावित राजनीतिक बहस को देखते हुए बनसोडे ने EOW को निर्देश दिया है कि वे मामले की प्राथमिक जांच शीघ्र गति से पूरी कर विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाए। यह कदम न केवल प्रशासनिक जवाबदेही बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे सवालों का ठोस जवाब देने हेतु भी आवश्यक माना जा रहा है।
स्थानीय स्तर पर उभरती प्रतिक्रियाएँ
जनता में रोष और असंतोष
वर्धा, यवतमाल और नांदेड़ जिलों के नागरिकों में भी इस कथित धांधली को लेकर गहरा रोष है। स्थानीय सामाजिक संगठनों का कहना है कि जिस परियोजना से क्षेत्र में रोजगार, यातायात सुविधा और आर्थिक विकास की उम्मीद थी, वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती दिखाई दे रही है। कई नागरिकों ने इस मामले के शीघ्र निपटारे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की माँग की है।
राजनीतिक दलों की सक्रियता
राज्य के राजनीतिक दलों ने भी इस विषय को गंभीरता से उठाया है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने समय रहते परियोजना की प्रगति की समुचित निगरानी नहीं की। वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि मामले की जांच शुरू करके सरकार ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है और सच्चाई सामने लाने में कोई देरी नहीं होगी।
आगे की प्रक्रिया और संभावित कार्रवाई
व्यापक जांच की तैयारी
आर्थिक अपराध इकाई अब परियोजना से जुड़े दस्तावेज़, बिल, माप पुस्तिकाएं, तकनीकी रिपोर्टें और ठेकेदारों से हुए अनुबंध आदि का अध्ययन करेगी। जिन अधिकारियों पर आरोप हैं, उनसे भी विस्तृत पूछताछ की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर परियोजना स्थल का निरीक्षण भी किया जाएगा।
दोष सिद्ध होने पर कठोर दंड
सरकारी सूत्रों का कहना है कि यदि जांच में धांधली की पुष्टि होती है तो आरोपित अधिकारियों पर निलंबन, बर्खास्तगी, अपराध पंजीकरण और वित्तीय दंड जैसी कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहीं ठेकेदारों पर भी ब्लैकलिस्टिंग और कानूनी कार्रवाई के प्रावधान लागू हो सकते हैं।