दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का कहर: 500 के पार पहुंचा एक्यूआई, ग्रैप-3 की पाबंदियां साबित हुईं बेअसर

Delhi NCR Pollution: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, एक्यूआई 500 पार, ग्रैप-3 नियम बेअसर
Delhi NCR Pollution: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, एक्यूआई 500 पार, ग्रैप-3 नियम बेअसर (File Photo)
नवम्बर 15, 2025

राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के एनसीआर क्षेत्र में एक बार फिर प्रदूषण ने अपना भयावह रूप दिखाना शुरू कर दिया है। हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि सांस लेना दूभर हो गया है। कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 500 के पार पहुंच गया है, जो अत्यंत गंभीर श्रेणी में आता है। ग्रैप-3 की सख्त पाबंदियां लागू होने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। वजीरपुर, सोनिया विहार, बुराड़ी जैसे इलाकों में हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हो गई है कि लोगों को सांस लेने में भारी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टरों ने बुजुर्गों और बच्चों को घर के अंदर रहने की सलाह दी है।

प्रदूषण की गंभीरता को समझते हुए अधिकारियों ने ग्रैप-3 के तहत कई प्रतिबंध लागू किए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका पालन नहीं हो रहा है। निर्माण कार्यों पर रोक, सड़कों पर पानी का छिड़काव, और धूल नियंत्रण जैसे उपाय कागजों तक ही सीमित रह गए हैं। नतीजतन, दिल्ली-एनसीआर की हवा दिनोंदिन और जहरीली होती जा रही है।

राजधानी के प्रमुख इलाकों में प्रदूषण का स्तर

दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न इलाकों में एक्यूआई का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ गया है। वजीरपुर में 556 एक्यूआई दर्ज किया गया, जो सबसे खराब स्थिति को दर्शाता है। सोनिया विहार में 500, बुराड़ी में 477, रोहिणी में 473, और सत्यवती कॉलेज में 469 एक्यूआई रिकॉर्ड किया गया। गाजियाबाद के इंदिरापुरम में 459, चांदनी चौक में 450, वसुंधरा में 449, नोएडा सेक्टर-125 में 446, और नोएडा सेक्टर-116 में 444 एक्यूआई दर्ज हुआ।

प्रमुख निगरानी स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)
Station Name AQI
वजीरपुर 556
सोनिया विहार 500
बुराड़ी 477
रोहिणी 473
सत्यवती कॉलेज 469
इंदिरापुरम 459
चांदनी चौक 450
वसुंधरा (गाजियाबाद) 449
नोएडा सेक्टर-125 446
नोएडा सेक्टर-116 444

ये आंकड़े स्पष्ट रूप से इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रदूषण का संकट पूरे एनसीआर क्षेत्र में समान रूप से फैला हुआ है। हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कणों की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है, जो सीधे फेफड़ों में प्रवेश कर स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं।

प्रदूषण के प्रमुख कारण और मौसम की भूमिका

विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। तापमान में गिरावट, हवा की गति में कमी, और वायुमंडलीय परिस्थितियों ने प्रदूषकों को जमीन के पास ही रोक दिया है। इससे धुंध की मोटी परत बन गई है, जो प्रदूषण को और घनीभूत कर रही है। इसके अलावा, निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल, वाहनों का धुआं, और पराली जलाने जैसी गतिविधियां भी प्रदूषण को लगातार बढ़ा रही हैं।

सड़क धूल प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत बन गई है। दिल्ली की सड़कों पर उचित सफाई और पानी का छिड़काव नहीं हो रहा है, जिससे हवा में धूल के कण तैर रहे हैं। निर्माण स्थलों पर भी धूल नियंत्रण के उपायों का पालन नहीं किया जा रहा है, जो स्थिति को और बिगाड़ रहा है।

सीएक्यूएम की नई पहल: डस्ट सेंसर लगाने की योजना

प्रदूषण नियंत्रण के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक नई पहल की घोषणा की है। आयोग एनसीआर की मुख्य सड़कों पर डस्ट सेंसर लगाने पर विचार कर रहा है। इन सेंसरों की मदद से सड़क धूल की वास्तविक समय में निगरानी की जा सकेगी और प्रदूषण के स्रोतों पर तुरंत कार्रवाई हो सकेगी।

अधिकारियों का मानना है कि यह कदम प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि केवल सेंसर लगाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि जमीनी स्तर पर सख्त निगरानी और जवाबदेही तय करना जरूरी है।

ग्रैप-3 नियमों का खुला उल्लंघन

ग्रैप-3 के तहत कई सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिनमें गैर-जरूरी निर्माण कार्यों पर रोक, डीजल जनरेटरों के उपयोग पर प्रतिबंध, और प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर कड़ी निगरानी शामिल है। लेकिन हकीकत यह है कि इन नियमों का पालन बेहद कमजोर है।

निर्माण स्थलों पर अभी भी काम जारी है, सड़कों पर धूल उड़ रही है, और वाहनों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी और जवाबदेही का अभाव स्थिति को और गंभीर बना रहा है। जो नियम कागजों पर बेहद सख्त दिखते हैं, वे जमीनी हकीकत में बेअसर साबित हो रहे हैं।

स्वास्थ्य पर पड़ता गंभीर प्रभाव

इस स्तर का प्रदूषण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, गले में खराश, और सीने में दर्द की शिकायतें बढ़ रही हैं। अस्पतालों में श्वसन संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

डॉक्टरों का कहना है कि बुजुर्गों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और दिल या फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति विशेष रूप से खतरनाक है। उन्होंने सलाह दी है कि जब तक जरूरी न हो, घर से बाहर न निकलें। बाहर जाना पड़े तो एन-95 मास्क अवश्य पहनें।

आगे की चुनौतियां और समाधान की दिशा

मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में मौसम की स्थिति और प्रतिकूल हो सकती है। हवा की गति कम रहने और तापमान में और गिरावट आने से प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है। ऐसे में तत्काल और प्रभावी कदम उठाना बेहद जरूरी है।

विशेषज्ञों का मानना है कि केवल अल्पकालिक उपायों से काम नहीं चलेगा। प्रदूषण से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है, जिसमें सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, हरित ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना, और शहरी नियोजन में सुधार शामिल हो।

सरकारी एजेंसियों की लगातार विफलता और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच, दिल्ली-एनसीआर के लोगों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा है। अब समय आ गया है कि सभी संबंधित विभाग अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लें और प्रभावी कार्रवाई करें, वरना यह स्वास्थ्य आपातकाल और गंभीर रूप ले सकता है।


 

Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com