टाटा मोटर्स का डीमर्जर पूरा, Q2 में 867 करोड़ का घाटा; शेयर में 4.5% गिरावट

Tata Motors Demerger: Q2 में 867 करोड़ का घाटा, शेयर में 4.5% गिरावट और ब्रोकरेज की नई रेटिंग
Tata Motors Demerger: Q2 में 867 करोड़ का घाटा, शेयर में 4.5% गिरावट और ब्रोकरेज की नई रेटिंग (File Photo)
टाटा मोटर्स ने डीमर्जर के बाद पहली तिमाही में 867 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया। राजस्व 6% बढ़ा पर खर्च 15% से अधिक बढ़ गए। एलसीवी सेगमेंट में बाजार हिस्सेदारी 40% से घटकर 27% रह गई। मोतीलाल ओसवाल ने न्यूट्रल रेटिंग बनाए रखी है।
नवम्बर 15, 2025

टाटा मोटर्स के लिए डीमर्जर के बाद की यात्रा कांटों भरी साबित हुई है। भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग के इस दिग्गज ने अपने पूरी तरह विभाजन के बाद पहली बार तिमाही परिणाम घोषित किए हैं, जो निवेशकों के लिए निराशाजनक संदेश लेकर आए। वित्तीय वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में कंपनी को 867 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा रिकॉर्ड करना पड़ा है। इस खबर से स्टॉक एक्सचेंज में टाटा मोटर्स के शेयर में भारी गिरावट देखने को मिली। चौदह नवंबर को शेयर ने अपने दिन के निचले स्तर पर लगभग 4.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की, जो बाजार में निवेशकों की आशंका को दर्शाता है।

डीमर्जर के बाद टाटा मोटर्स का मुख्य ध्यान वाणिज्यिक वाहनों के व्यवसाय पर है। बारह नवंबर को इस व्यवसाय के शेयर्स को राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज पर 335 रुपये प्रति शेयर के भाव पर लिस्ट किया गया था। हालांकि, जल्द ही मिली तिमाही परिणामों ने इस आशावाद को तोड़ा है। राजस्व की दृष्टि से देखें तो कंपनी ने कुछ वृद्धि दिखाई है, लेकिन खर्चों में तेजी से बढ़ोतरी ने लाभ के सभी संभावनाओं को समाप्त कर दिया है।

पिछली तिमाही की तुलना में वर्तमान तिमाही में ऑपरेटिंग राजस्व में कुछ सुधार देखा गया है। कंपनी का ऑपरेटिंग राजस्व वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में 18,585 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 17,535 करोड़ रुपये था। यानी साल-दर-साल आधार पर राजस्व में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि एक सकारात्मक संकेत दे सकती थी, लेकिन आने वाली समस्या राजस्व की तुलना में कहीं अधिक गंभीर है।

जुलाई से सितंबर की तिमाही के दौरान कंपनी के खर्च भी साल-दर-साल 15 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़े हैं। खर्च बढ़कर 19,296 करोड़ रुपये हो गए, जबकि राजस्व केवल 18,585 करोड़ रुपये तक पहुंचा। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि कंपनी के लागत नियंत्रण में गंभीर समस्याएं हैं। जब खर्च राजस्व से अधिक हों, तो घाटा होना स्वाभाविक है, और यही टाटा मोटर्स के साथ हुआ है।

खर्चों में इस तेजी से वृद्धि के पीछे क्या कारण हैं, यह समझना जरूरी है। कच्चे माल की कीमतें, श्रम लागत, और अन्य परिचालन खर्च बढ़े हो सकते हैं। साथ ही, नई तकनीकों में निवेश भी कंपनी के खर्चों को बढ़ा सकता है। हालांकि, राजस्व में इसी अनुपात में वृद्धि नहीं हुई है, जो कंपनी की कमजोर प्रतिस्पर्धी स्थिति को दर्शाता है।

प्रमुख ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने इस परिस्थिति के बीच टाटा मोटर्स के शेयर पर अपनी रेटिंग ‘न्यूट्रल’ बनाए रखी है। फर्म ने शेयर के लिए 341 रुपये का मूल्य लक्ष्य निर्धारित किया है, जो वर्तमान बंद भाव से लगभग 6 प्रतिशत से अधिक की बढ़त का संकेत देता है। यह रेटिंग न तो खरीद के लिए प्रोत्साहित करती है और न ही बेचने की सलाह देती है, जो बाजार में अनिश्चितता को दर्शाता है।

टाटा मोटर्स के वाणिज्यिक वाहन व्यवसाय के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बाजार हिस्सेदारी में निरंतर गिरावट है। मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में यह चिंता व्यक्त की गई है कि वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी प्रमुख सेगमेंटों में तेजी से कम हो रही है। यह बात बहुत चिंताजनक है क्योंकि बाजार हिस्सेदारी खोना मतलब ग्राहकों को खोना है।

हल्के व्यावसायिक वाहन यानी एलसीवी उत्पादों में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। वित्तीय वर्ष 2022 में टाटा मोटर्स के पास इस सेगमेंट में 40 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी थी, जो उस समय कंपनी की शक्तिशाली स्थिति दर्शाता था। हालांकि, इस बाजार हिस्सेदारी में तेजी से गिरावट आई है और अब कंपनी के पास केवल 27 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी रह गई है। यह 13 प्रतिशत की भारी गिरावट है, जो मात्र दो वर्षों में हुई है।

इस बाजार में महिंद्रा एंड महिंद्रा वर्तमान में अग्रणी स्थिति में है। टाटा मोटर्स के साथ महिंद्रा के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है। जैसे-जैसे प्रतिद्वंद्वी आगे निकल रहा है, टाटा मोटर्स के लिए बाजार में अपनी जगह बनाए रखना कठिन होता जा रहा है। यह स्थिति दीर्घकालीन व्यवसायिक चुनौती बन सकती है।

ब्रोकरेज हाउस को यह अंदाजा है कि आने वाले समय में यह अंतर और भी बढ़ेगा। यदि टाटा मोटर्स प्रबंधन इस गिरावट को रोकने के लिए तुरंत कदम नहीं उठाता है, तो कंपनी अपनी प्रतिष्ठित जगह को खो सकती है। नई उत्पादों का विकास, गुणवत्ता में सुधार, और ग्राहक सेवा में बेहतरी ये सभी क्षेत्र हैं जहां कंपनी को ध्यान देने की आवश्यकता है।

डीमर्जर के बाद टाटा मोटर्स की कठिनाइयों का एक कारण यह भी हो सकता है कि अलग होकर यह कंपनी अब अपने बड़े भाई से अलग है। पहले जब यह टाटा स्टील जैसी बड़ी कंपनियों के साथ था, तो संसाधनों में साझेदारी हो सकती थी। अब अपने पैरों पर खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करना अधिक कठिन हो गया है।

निवेशकों के दृष्टिकोण से यह एक महत्वपूर्ण समय है। जबकि न्यूट्रल रेटिंग धारण करने वाली कंपनियां आमतौर पर सुरक्षित मानी जाती हैं, लेकिन यहां स्थिति अलग है। बाजार हिस्सेदारी में गिरावट और लाभहीन परिचालन ये दोनों ही नकारात्मक संकेत हैं। निवेशकों को इन कारकों पर ध्यान देना चाहिए।

भविष्य में यदि टाटा मोटर्स अपनी लागतों को नियंत्रित कर सके, बाजार हिस्सेदारी को स्थिर कर सके, और राजस्व बढ़ा सके, तो यह शेयर भविष्य में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। हालांकि, वर्तमान परिस्थितियों में सावधानी जरूरी है। डीमर्जर के बाद की यह शुरुआत निश्चित रूप से टाटा मोटर्स के लिए एक चेतावनी है कि उसे तुरंत सुधारात्मक उपाय करने होंगे।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com