उत्तर प्रदेश में बीएलओ की गंभीर लापरवाही पर मामला दर्ज, निर्वाचन कार्य प्रभावित

BLO Negligence UP
BLO Negligence UP: यूपी में बीएलओ की चुनावी लापरवाही पर मामला दर्ज, निर्वाचन प्रक्रिया प्रभावित (File Photo: During WB SIR)
नवम्बर 17, 2025

चुनावी प्रक्रिया में लापरवाही का मामला, सहायक अध्यापिका पर कार्रवाई

उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के मोदीपुरम क्षेत्र में निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान बीएलओ स्तर पर लापरवाही का मामला गहरा चुका है। सरधना तहसील के अंतर्गत नियुक्त एक सहायक अध्यापिका, जिन्हें बूथ लेवल अधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, के खिलाफ दौराला थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई सरधना तहसील के लेखपाल की तहरीर पर की गई है, जिसमें बीएलओ पर महत्वपूर्ण चुनावी दायित्वों से अनुपस्थित रहने और मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में गंभीर उपेक्षा का आरोप लगाया गया है।

निर्वाचन कार्य में लगातार अनुपस्थित रहने का आरोप

हासिल जानकारी के अनुसार सरधना तहसील के लेखपाल गौरव राणा ने अपनी तहरीर में उल्लेख किया कि वे 44-सरधना विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव मछरी के भाग संख्या-160 पर पर्यवेक्षक के पद पर कार्यरत हैं। इस समय जिले में मतदाता सूची के विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत वर्ष 2003 एवं वर्ष 2005 की मतदाता सूचियों का आपसी मिलान किया जा रहा है। यह कार्य अत्यंत संवेदनशील है क्योंकि निर्वाचन प्रणाली को अद्यतन एवं त्रुटिरहित बनाए रखने की ज़िम्मेदारी इसी प्रक्रिया पर आधारित रहती है।

लेखपाल ने बताया कि बूथ संख्या-160 पर मैपिंग सहित अन्य तकनीकी कार्य बीएलओ-एप के माध्यम से किए जा रहे हैं। इस बूथ पर सहायक अध्यापिका कविता चौधरी को बीएलओ नियुक्त किया गया था। तथापि, उनके द्वारा पहले दिन से ही ड्यूटी में अनुपस्थित रहने की शिकायत लगातार दर्ज हो रही थी, जिससे मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य बिल्कुल ठप हो गया।

शून्य प्रगति पर उच्चाधिकारियों ने उठाए सवाल

जांच में यह तथ्य सामने आया कि प्राथमिक विद्यालय, गांव मछरी में एसआईआर (विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण) के अंतर्गत किया जाने वाला कार्य बीएलओ की उपेक्षा के कारण शून्य स्थिति में था। एक महत्वपूर्ण निर्वाचन कार्यक्रम में ऐसी स्थिति चिंताजनक मानी जाती है। चुनावी व्यवस्थाओं में लगे अधिकारियों का कहना है कि बीएलओ स्तर की लापरवाही से न केवल बूथ की मतदाता सूची प्रभावित होती है, बल्कि निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित समयबद्ध कार्यक्रम भी बाधित होता है।

सूत्रों के अनुसार, सरधना एसडीएम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को इस प्रकरण की जानकारी दे दी गई है। निर्वाचन कार्य में इस प्रकार की शिथिलता को प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की।

पुलिस जांच में जुटी, दोष सिद्ध होने पर सख्त कार्रवाई संभव

दौराला थाना प्रभारी निरीक्षक सुमन कुमार सिंह ने पुष्टि की कि सहायक अध्यापिका एवं बीएलओ के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि शिकायत के आधार पर प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है और आवश्यक साक्ष्यों एवं रिकॉर्ड की पड़ताल की जा रही है। दोष सिद्ध होने पर संबंधित बीएलओ के विरुद्ध विभागीय एवं कानूनी दोनों तरह की कार्रवाई संभव है।Uttar

ज्ञात हो कि निर्वाचन आयोग समय-समय पर बीएलओ को प्रशिक्षण प्रदान करता है ताकि मतदाता सूची के पुनरीक्षण में किसी प्रकार की त्रुटि न हो। इस कार्य में लापरवाही को आयोग अत्यंत गंभीर अपराध की श्रेणी में रखता है, क्योंकि इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होती है।

बीएलओ के नियमित अनुश्रवण की कमी उजागर

इस प्रकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि बीएलओ के कार्यों की नियमित निगरानी में कमी बनी हुई है। पर्यवेक्षकों और अधिकारियों द्वारा समय-समय पर स्थलीय निरीक्षण न किए जाने के कारण प्रारंभिक लापरवाही समय रहते पकड़ी नहीं जा सकी। चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता बनाए रखने के लिए निगरानी तंत्र का मजबूत होना अत्यावश्यक माना जाता है।

प्रशासन ने सख्त चेतावनी जारी की

घटना के बाद प्रशासन ने सभी बीएलओ और संबंधित कार्मिकों को निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी निर्वाचन कार्य में ढिलाई नहीं बरत सकता। वरिष्ठ अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही सामने आने पर न केवल कानूनी कार्रवाई की जाएगी, बल्कि विभागीय दंड भी सुनिश्चित किया जाएगा।

निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रश्न

यह मामला एक बार फिर इस बहस को जन्म देता है कि चुनावी व्यवस्थाओं में नियुक्त अधिकारियों की जिम्मेदारी कितनी महत्वपूर्ण होती है। मतदाता सूची देश के लोकतंत्र की आधारशिला मानी जाती है और किसी भी स्तर पर की गई चूक व्यापक प्रभाव डाल सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बीएलओ की सक्रियता और जवाबदेही निर्वाचन आयोग की प्राथमिकता में रहती है, और ऐसे मामलों से प्रशासन की छवि पर भी प्रश्नचिह्न लगते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि निर्वाचन कार्यों से जुड़े अधिकारियों को यदि समय पर निरीक्षण, प्रशिक्षण और निगरानी व्यवस्था मिलती रहे तो इस तरह की लापरवाहियाँ रोकी जा सकती हैं। वर्तमान मामला प्रशासनिक दृष्टि से एक चेतावनी भी माना जा रहा है कि चुनावी व्यवस्था में कोई भी छोटी से छोटी चूक गंभीर परिणाम पैदा कर सकती है।

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