निर्वाचन आयोग का महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण
कोलकाता, 17 नवंबर 2025: भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण दिया है। आयोग ने बताया कि विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) प्रक्रिया में न तो निर्वाचन आयोग और न ही किसी राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय द्वारा किसी भी मोबाइल नंबर पर एक-बारीय पासवर्ड (ओटीपी) माँगा जाता है। यह स्पष्टीकरण 12 भारतीय राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में चलाई जा रही एसआईआर प्रक्रिया के संदर्भ में दिया गया है, जिसमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है।
धोखाधड़ी की नई चाल का खुलासा
मतदाताओं को निशाना बनाने वाली नई धोखाधड़ी
ओटीपी के बहाने छल का मामला
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के एक कर्मचारी ने बताया कि यह स्पष्टीकरण निर्वाचन आयोग को मिली शिकायतों के कारण जारी किया गया है। कुछ स्वार्थी तत्वों ने मतदाताओं से ओटीपी माँगे हैं और दावा किया है कि यह एसआईआर प्रक्रिया का एक आवश्यक हिस्सा है। लेकिन यह पूरी तरह गलत है। ये ठग तत्व इस बहाने मतदाताओं से पैसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
नई धोखाधड़ी की प्रवृत्ति
निर्वाचन आयोग के अनुसार, यह एक नई प्रवृत्ति है जो मतदाताओं को ठगने और उनसे पैसे निकालने के लिए सामने आई है। अब तक कई शिकायतें निर्वाचन आयोग को मिल चुकी हैं। इसी के कारण आयोग ने यह आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी किया है। मतदाताओं को अब बेहद सावधानी बरतनी चाहिए।
बूथ-स्तरीय अधिकारियों द्वारा दिई जा रही चेतावनी
आयोग के बूथ-स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) जो दरवाजे-दरवाजे पर गणना फार्म बाँट रहे हैं, वे व्यक्तिगत रूप से मतदाताओं को इस ओटीपी संबंधी धोखाधड़ी के बारे में सावधान कर रहे हैं। लेकिन अब निर्वाचन आयोग ने इस मामले में एक आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी करने का फैसला किया है। इससे सभी मतदाताओं को पता चल जाएगा कि यह धोखाधड़ी है।
विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया की जानकारी
एसआईआर प्रक्रिया क्या है
एसआईआर, जिसे विशेष गहन संशोधन कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन और सुधारना है। वर्तमान में यह प्रक्रिया 12 भारतीय राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में चल रही है। पश्चिम बंगाल में भी यह प्रक्रिया पूरे जोर-शोर से चल रही है।
तीन-चरणीय प्रक्रिया
एसआईआर एक तीन-चरणीय प्रक्रिया है। पहले चरण में गणना फार्मों का वितरण होता है। यह प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू हुई है। इस चरण में बूथ-स्तरीय अधिकारी दरवाजे-दरवाजे जाकर मतदाताओं को गणना फार्मों की दो प्रतियां देते हैं। फिर वे एक प्रति इकट्ठा करते हैं।
पूरी प्रक्रिया का समय सारणी
पूरी एसआईआर प्रक्रिया को पूरा करने का अनुमानित समय मार्च 2026 तक है। यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें सावधानी से काम किया जाएगा। मतदाता सूची को सुधारने के लिए पर्याप्त समय दिया जा रहा है।
पश्चिम बंगाल में एसआईआर का महत्व
दो दशक के बाद संशोधन
पश्चिम बंगाल में विशेष गहन संशोधन की यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछली बार ऐसी प्रक्रिया 2002 में की गई थी। तब से 23 साल हो गए हैं। अब समय था कि मतदाता सूची को फिर से जांचा जाए और सुधारा जाए।
2022 की मतदाता सूची आधार
वर्तमान एसआईआर के लिए 2022 की मतदाता सूची को आधार माना जा रहा है। इसका मतलब है कि पिछली सूची में जो मतदाता थे, उन्हीं को आधार मानकर नए सर्वेक्षण किए जाएंगे। किसी ने यदि पता बदला है या अन्य कारणों से परिवर्तन हुआ है, तो उसे दर्ज किया जाएगा।
पश्चिम बंगाल में राजनीतिक विवाद
तृणमूल कांग्रेस की आलोचना
अन्य राज्यों के विपरीत, पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक विवाद भी हुए हैं। तृणमूल कांग्रेस ने इस प्रक्रिया को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केंद्र सरकार की एक चाल बताया है। पार्टी का कहना है कि इसके जरिए पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू किया जा रहा है।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भारतीय जनता पार्टी ने इसके विपरीत दावा किया है। भाजपा का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस इस संशोधन प्रक्रिया का विरोध इसी डर से कर रही है कि मतदाता सूची से अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या मतदाताओं के नाम हटा दिए जाएंगे।
विवाद का पृष्ठभूमि
यह विवाद अगर पश्चिम बंगाल में उठा है, तो इसका मतलब है कि मतदाता सूची से संबंधित मुद्दे राजनीतिक रूप से संवेदनशील हैं। हर पार्टी के अपने हित हैं। लेकिन निर्वाचन आयोग का कहना है कि इसका उद्देश्य केवल मतदाता सूची को सुधारना है।
मतदाताओं के लिए सलाह
ओटीपी माँगने पर संदेह करें
मतदाताओं को चाहिए कि यदि कोई उन्हें ओटीपी माँगे, तो तुरंत संदेह करें। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा कोई अनुरोध आयोग की ओर से नहीं होगा। यदि ऐसा कोई ईमेल, एसएमएस या फोन कॉल आए, तो उसे अनदेखा कर दें।
पुलिस को सूचित करें
यदि कोई मतदाता को ऐसी धोखाधड़ी का शिकार बनाने की कोशिश करे या पहले ही हो गया हो, तो उसे तुरंत पुलिस को सूचित करना चाहिए। यह एक अपराध है और इसकी रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए। निर्वाचन आयोग के कार्यालय को भी सूचित किया जा सकता है।
केवल दस्तावेज देने के लिए तैयार रहें
मतदाताओं को केवल बूथ-स्तरीय अधिकारियों को आवश्यक दस्तावेज देने के लिए तैयार रहना चाहिए। गणना फार्मों को भरते समय किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत जानकारी, जैसे ओटीपी या बैंक खाता विवरण नहीं देने चाहिए। यह पूरी तरह सुरक्षा का मामला है।
निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी
आयोग की सतर्कता
निर्वाचन आयोग ने यह स्पष्टीकरण जारी करके अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। आयोग मतदाताओं की सुरक्षा को गंभीरता से लेता है। ऐसी धोखाधड़ी के मामलों में आयोग सख्त कार्रवाई करता है।
लोगों में जागरूकता लाना जरूरी
यह समय की मांग है कि सामान्य जनता को भी ऐसी धोखाधड़ी के बारे में पूरी जानकारी दी जाए। सोशल मीडिया, न्यूज मीडिया और अन्य माध्यमों से इस संदेश को फैलाया जाना चाहिए। जितना ज्यादा लोग इस बारे में जानेंगे, उतना कम ठग तत्व अपनी धोखाधड़ी कर पाएंगे।
निर्वाचन आयोग का यह स्पष्टीकरण बेहद जरूरी था। मतदाता सूची में सुधार की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया का उद्देश्य केवल और केवल मतदाता सूची को सही और अद्यतन बनाना है। इसमें कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं है। मतदाताओं को किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से सावधान रहना चाहिए। यदि कोई ओटीपी माँगे, तो उसे तुरंत पुलिस को सूचित किया जाना चाहिए। निर्वाचन आयोग की यह पहल यह साबित करती है कि आयोग मतदाताओं की सुरक्षा को कितना गंभीरता से लेता है। हर मतदाता को चाहिए कि वह इस स्पष्टीकरण को ध्यान में रखे और अन्य मतदाताओं को भी सावधान करे। एक जागरूक मतदाता ही एक मजबूत लोकतंत्र की नींव है।