ग्रामीण सशक्तिकरण के मार्ग पर महाराष्ट्र: संवाद के माध्यम से नयी विकास दृष्टि
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को महाराष्ट्र के 25,000 से अधिक सरपंचों के साथ एक महत्वपूर्ण ऑनलाइन संवाद स्थापित किया। यह संवाद ‘सरपंच संवाद’ कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसे क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री के अनुसार, इतनी बड़ी संख्या में स्थानीय प्रतिनिधियों से सीधा जुड़ाव यह सिद्ध करता है कि ग्रामीण विकास की जड़ें राज्य में और अधिक सुदृढ़ हो चुकी हैं। उन्होंने इस संवाद को न केवल प्रेरणादायक बताया, बल्कि इसे महाराष्ट्र के उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य की नींव भी माना।
ग्रामीण विकास: राज्य प्रगति की आधारशिला
मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट कहा कि जब तक ग्रामीण क्षेत्रों की प्रगति सुनिश्चित नहीं होती, तब तक राज्य और देश की समग्र प्रगति संभव नहीं है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पिछले दस वर्षों में केंद्र सरकार ने ग्रामीण विकास को विशेष प्राथमिकता देते हुए भारी मात्रा में धनराशि उपलब्ध करायी है। यह निवेश न केवल बुनियादी ढाँचों के सुदृढ़ीकरण में सहायक रहा है, बल्कि किसानों, महिलाओं, बच्चों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के तमाम आयामों को नई ऊर्जा प्रदान करने वाला सिद्ध हुआ है।
आदर्श ग्राम की अवधारणा: महात्मा गांधी से प्रेरित दिशा
फडणवीस ने महात्मा गांधी, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज और संत गाडगे बाबा द्वारा प्रतिपादित ‘ग्राम समृद्धि’ की अवधारणा का उल्लेख करते हुए कहा कि आदर्श ग्राम निर्माण दो प्रमुख आधारों पर टिका है — जनभागीदारी और नेतृत्व। मुख्यमंत्री के अनुसार, सरपंच इन दोनों तत्वों की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं, क्योंकि वे न केवल सरकारी योजनाओं को गांव तक पहुंचाते हैं, बल्कि स्थानीय नेतृत्व को भी मजबूत बनाते हैं।
परिवर्तन के वाहक हैं सरपंच
मुख्यमंत्री ने सरपंचों को ग्रामीण परिवर्तन का वास्तविक वाहक बताया। उन्होंने कहा कि सरपंच ही वे लोग हैं, जो योजनाओं को जमीनी स्तर तक ले जाकर गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, जल संरक्षण, महिला स्व-सहायता समूहों, कृषि उत्पादकता तथा आधारभूत सुविधाओं को मजबूत करते हैं। उन्होंने सरपंचों से कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही सभी निधियों का सदुपयोग कर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को गति दें।
जलयुक्त शिवार अभियान: सामूहिक शक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण
फडणवीस ने जलयुक्त शिवार अभियान की सफलता को विशेष रूप से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इस अभियान ने न केवल जल संरक्षण को नई दिशा दी, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि सामूहिक नेतृत्व और जनसहभागिता किस प्रकार बड़े स्तर पर परिवर्तन ला सकती है। किसानों के जीवन में इस अभियान से आया बदलाव, कृषि उत्पादन में वृद्धि और जल उपलब्धता में सुधार इसके मजबूत परिणाम हैं।
कृषि विकास को नई दिशा
मुख्यमंत्री ने कहा कि जलयुक्त शिवार अभियान के माध्यम से ग्रामीणों ने यह अनुभव किया कि यदि योजनाओं के क्रियान्वयन में नेतृत्व और सामूहिक प्रयास जुड़ जाते हैं तो कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई उड़ान मिल सकती है। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी गांव मुख्यमंत्री समृद्धि पंचायत राज अभियान में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं, जो ग्रामीण प्रशासन की मजबूती का संकेत है।
स्मार्ट गांवों की दिशा में नयी पहल
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक गांव को स्मार्ट गांव बनाने के लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्पित है। फाइबर नेटवर्क की स्थापना के पश्चात अब स्टारलिंक की सहायता से गांवों में उच्च स्तरीय इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध करायी जाएगी। उनका कहना है कि स्मार्ट डिवाइस के उपयोग से किसानों की उत्पादकता बढ़ेगी और उनकी लागत कम होगी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।
सौर पंप योजना: विश्व रिकॉर्ड की ओर अग्रसर महाराष्ट्र
फडणवीस ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र जल्द ही सौर पंप योजना के क्षेत्र में नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएगा, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना का क्रियान्वयन अत्यंत सफल सिद्ध हो रहा है। उन्होंने बताया कि दिन में कृषि कार्य हेतु सौर ऊर्जा के पंप तथा रात में घरों में निःशुल्क बिजली की अवधारणा अब साकार रूप ले रही है। यह मॉडल किसानों की आर्थिक बचत को बढ़ाने और ऊर्जा लागत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्राकृतिक खेती को मिशन मोड में लागू करने का संकल्प
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को मिशन मोड में आगे बढ़ाने जा रही है। इसका उद्देश्य किसानों की उत्पादन लागत को कम करना और कृषि को दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ बनाना है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है और खेती का पर्यावरणीय प्रभाव भी कम होता है।
संवाद का सार: समृद्ध महाराष्ट्र का संकल्प
अंत में मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि 25,000 सरपंचों के साथ यह संवाद न केवल प्रशासनिक पहल है, बल्कि यह एक मजबूत संदेश भी है कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की दिशा में पूर्णतया प्रतिबद्ध है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जनभागीदारी, नेतृत्व और तकनीकी प्रगति के माध्यम से ग्रामीण महाराष्ट्र न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि राज्य की समृद्धि का प्रमुख आधार भी बनेगा।