प्रधानमंत्री मोदी का बिहार में सुशासन पर जोर, ‘जंगल राज’ की पुनरावृत्ति से सावधान रहने की अपील

PM Modi
PM Modi: प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास आधारित नेतृत्व ही बिहार के भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकता है (Photo: IANS)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘रामनाथ गोयनका व्याख्यान’ में बिहार के 'जंगल राज' काल की आलोचना करते हुए सुशासन और संवेदनशील नेतृत्व की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वर्तमान विकास योजनाओं की सफलता, राजनीतिक जवाबदेही, और कार्यकर्ताओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए बिहार की प्रगति को नए स्वरूप में प्रस्तुत किया।
नवम्बर 17, 2025

प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी से उठे सुशासन पर गंभीर प्रश्न

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित प्रतिष्ठित ‘रामनाथ गोयनका व्याख्यान’ में एक ऐसे विषय को केंद्र में रखा, जिसने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश की राजनीतिक धारा को पुनः सोचने पर विवश कर दिया। उन्होंने बिहार के अतीत, वर्तमान और संभावित भविष्य के संदर्भ में नेतृत्व की गुणवत्ता, संवेदनशीलता और सुशासन की अवधारणा को अत्यंत प्रखरता से प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकारों, संपादकों और चिंतकों के बीच प्रधानमंत्री का संबोधन केवल राजनीतिक विमर्श तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने शासन के नैतिक पक्ष और जनता के प्रति भावनात्मक उत्तरदायित्व की गहन झलक भी प्रदान की।

बिहार के अतीत पर प्रधानमंत्री की सीधी टिप्पणी

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बिहार के उस दौर का स्मरण कराया, जिसे सामान्यतः ‘जंगल राज’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन नेतृत्व के सामने अवसर थे, परंतु उनका उपयोग राज्य के हित में नहीं किया गया। प्रधानमंत्री ने सीधे शब्दों में कहा कि लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में बिहार विकास की दिशा में आगे बढ़ सकता था, परंतु अव्यवस्था और असुरक्षा ने राज्य को कई वर्ष पीछे धकेल दिया।

इस उल्लेख से उपस्थित श्रोताओं में हलचल दिखी, क्योंकि 1990 के दशक का यह कालखंड अपहरण, जातीय तनाव और ढहते प्रशासनिक ढांचे के लिए कुख्यात रहा है। प्रधानमंत्री की टिप्पणी ने इस यथार्थ को पुनः उजागर किया कि शासन की अनदेखी का सामाजिक-आर्थिक विकास पर कितना गहरा प्रभाव पड़ता है।

वर्तमान बिहार की विकास यात्रा और केंद्र की भूमिका

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर विशेष बल दिया कि वर्तमान में बिहार NDA नेतृत्व के अंतर्गत विकास के नए आयाम गढ़ रहा है। सड़क निर्माण, शैक्षणिक संस्थानों का विस्तार, महिला सशक्तिकरण और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को उन्होंने बिहार की प्रगति के महत्वपूर्ण स्तंभ बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य भले पृथक राजनीतिक दलों द्वारा संचालित हों, परंतु प्रतिस्पर्धा विकास के लिए होनी चाहिए, मतभेद के लिए नहीं। उनकी यह टिप्पणी संघीय ढांचे के उस आदर्श को रेखांकित करती है, जहाँ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता सार्वजनिक हित के आगे गौण हो जाती है।

चुनावी जीत के बाद भावनात्मक उत्तरदायित्व का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में BJP की हालिया चुनावी सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि जीत के बाद कई समर्थकों ने यह कहना शुरू कर दिया कि भाजपा 24×7 चुनावी मोड में रहती है। उन्होंने मुस्कराकर कहा कि पार्टी को चुनावी मोड में नहीं, बल्कि भावनात्मक मोड में रहना चाहिए, जहाँ जनता के दुःख-कष्ट को समझना और उनका समाधान करना सर्वोपरि हो।

प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी राजनीतिक दलों के लिए एक संदेश थी कि सत्ता केवल सार्वजनिक समर्थन से नहीं, बल्कि निरंतर जनसंपर्क, संवेदनशीलता और सेवा से सार्थक होती है।

योजनाओं की सफलता और बिहार की बदलती तस्वीर

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री आवास योजना और उज्ज्वला योजना जैसी पहलों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन योजनाओं ने बिहार के लाखों परिवारों को गरीबी से उबरने का अवसर दिया है।

उन्होंने कहा कि आज बिहार के गाँव सौर ऊर्जा की रोशनी से जगमगा रहे हैं, और सड़क मार्गों के विस्तार ने कारोबार, शिक्षा और रोज़गार के नए अवसर खोले हैं। उनकी दृष्टि में यह परिवर्तन केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन की नींव भी है।

प्रधानमंत्री का भावनात्मक प्रसंग और कार्यकर्ताओं का योगदान

प्रधानमंत्री ने अपने शुरुआती राजनीतिक अनुभवों का एक प्रसंग साझा करते हुए कहा कि 1991 के लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने रामनाथ गोयनका और नानाजी देशमुख जैसे वरिष्ठ नेताओं के जीवन मूल्य को प्रत्यक्ष अनुभव किया। उन्होंने बताया कि कैसे भाजपा के लाखों कार्यकर्ताओं ने निस्वार्थ भाव से संगठन की जड़ें सींचीं, जिन प्रयासों का फल आज देश के विभिन्न हिस्सों में दिखाई दे रहा है।

पत्रकारिता की भूमिका पर प्रधानमंत्री के विचार

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने रामनाथ गोयनका की निर्भीक पत्रकारिता को स्मरण करते हुए कहा कि यह पुरस्कार राष्ट्र की बौद्धिक ऊर्जा और संवाद के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि सत्य, नैतिकता और संवेदनशीलता के साथ किया गया पत्रकारिता-कार्य लोकतंत्र को मजबूत बनाने का सबसे प्रभावी माध्यम है।

ये न्यूज IANS एजेंसी के इनपुट के साथ प्रकाशित हो गई है।

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Aakash Srivastava

Writer & Editor at RashtraBharat.com | Political Analyst | Exploring Sports & Business. Patna University Graduate.