बिहार चुनाव पर रोबर्ट वाड्रा की तीखी प्रतिक्रिया: “युवा पीढ़ी ठगा हुआ महसूस कर रही है, आक्रोश सड़क पर उतर सकता है”

Robert Vadra Bihar Polls
Robert Vadra Bihar Polls: बिहार चुनाव परिणामों पर रोबर्ट वाड्रा का आरोप, युवाओं के आक्रोश और निर्वाचन प्रक्रिया पर उठे सवाल (Photo: IANS)
नवम्बर 18, 2025

बिहार चुनाव परिणामों पर रोबर्ट वाड्रा का सख्त बयान

युवा पीढ़ी के आक्रोश को लेकर चिंता

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम आने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस को महा–गठबंधन के रूप में करारी हार का सामना करना पड़ा, और इस पर देशभर की राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। इन्हीं प्रतिक्रियाओं के बीच कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और व्यवसायी रोबर्ट वाड्रा ने बिहार चुनाव परिणामों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी, विशेषकर जेन–ज़ी, स्वयं को ठगा हुआ और भ्रमित महसूस कर रही है। उनके अनुसार, यह असंतोष जल्द ही सड़क पर भी दिखाई दे सकता है।

रोबर्ट वाड्रा ने कहा कि चुनाव परिणामों के बाद अनेक युवाओं में गहरा रोष है और वे यह मानकर चल रहे हैं कि चुनाव प्रक्रिया न्यायपूर्ण नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि युवाओं का भरोसा टूट रहा है, और जहां भी उन्हें कोई गड़बड़ी महसूस होगी, वे आवाज उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।

कांग्रेस की अपील—लोकतांत्रिक मर्यादाओं में शांतिपूर्ण प्रदर्शन

वाड्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस किसी भी प्रकार की हिंसा, अराजकता या कानून–व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने को उचित नहीं ठहराती। उन्होंने कहा कि यदि युवा अपने असंतोष को व्यक्त करें तो यह लोकतंत्र का हिस्सा है, किंतु किसी भी विरोध प्रदर्शन को शांतिपूर्ण, अनुशासित और संवैधानिक दायरे में होना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हम कभी भी किसी को हिंसा या टकराव के लिए प्रेरित नहीं करेंगे। लेकिन यह भी सत्य है कि जब लोग अन्याय महसूस करते हैं, तो वे अपनी आवाज बुलंद करते हैं और इसका सम्मान किया जाना चाहिए।”

चुनाव आयोग पर पक्षपात के आरोप

कांग्रेस की हार के बाद चुनाव आयोग पर उठ रहे सवालों को लेकर भी रोबर्ट वाड्रा ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता चुनाव प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं है और आम मतदाताओं में यह धारणा बन रही है कि आयोग ने भाजपा के पक्ष में काम किया।
उनके शब्दों में, “लोगों को लग रहा है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं रहा। यह चिंता का गंभीर विषय है और लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता इससे प्रभावित होती है।”

पिछले कुछ दिनों से राहुल गांधी भी लगातार “वोट चोरी” की बात कह रहे हैं और विशेषकर युवाओं से अपील कर रहे हैं कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़े हों। वाड्रा की टिप्पणी उसी राजनीतिक विमर्श का विस्तार प्रतीत होती है।

कांग्रेस की करारी हार और संगठनात्मक कमजोरी

बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल छह सीटों पर सिमट गई, जो पार्टी के इतिहास की सबसे खराब उपलब्धियों में गिनी जा रही है। महागठबंधन के रूप में भी परिणाम बेहद कमजोर रहे और कुल मिलाकर गठबंधन को केवल 35 सीटें मिलीं, जबकि एनडीए ने भारी जीत दर्ज करते हुए 202 सीटें अपने नाम कीं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की जमीनी पकड़ लगातार कमजोर होती गई है और पार्टी का स्थानीय स्तर पर प्रभाव बेहद कम हो गया है। इसके अतिरिक्त पार्टी नेतृत्व द्वारा उठाए गए चुनावी अनियमितताओं के आरोपों ने यह संकेत भी दिया कि हार के कारण केवल संगठनात्मक नहीं, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में भी कहीं न कहीं समस्या महसूस की जा रही है।

जेन–ज़ी की राजनीति में भूमिका—नई पीढ़ी की आवाज

देशभर में जेन–ज़ी वोट बैंक को एक उभरती हुई राजनीतिक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है। यह पीढ़ी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अत्यधिक सक्रिय है और किसी भी राजनीतिक मुद्दे पर तीव्र प्रतिक्रिया देती है। बिहार चुनाव के बाद भी यही वर्ग सोशल मीडिया पर खुलकर सवाल उठा रहा है और यह भावना बढ़ती दिख रही है कि नतीजे जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं थे।

रोबर्ट वाड्रा ने इसी वर्ग की मानसिकता की ओर इशारा करते हुए कहा कि युवा अब चुप बैठने वाले नहीं हैं। वे अन्याय या असंतुलन महसूस होने पर सीधे सड़क पर उतरकर विरोध व्यक्त कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि संगठन का कर्तव्य है कि वह ऊर्जा को रचनात्मक और शांतिपूर्ण दिशा में मोड़े।

लोकतंत्र में भरोसा बनाए रखने की चुनौती

हाल के वर्षों में देशभर में चुनाव प्रक्रिया, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों और निर्वाचन आयोग की भूमिका को लेकर कई बार बहस छिड़ चुकी है। विपक्षी दल अक्सर यह कहते रहे हैं कि चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है। बिहार परिणाम ने इस चर्चा को दोबारा प्रबल कर दिया है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि लोकतंत्र की विश्वसनीयता तभी बनी रह सकती है, जब सभी राजनीतिक दल और जनता चुनाव प्रक्रिया पर पूर्ण विश्वास महसूस करें। यदि यह विश्वास टूटने लगे तो नतीजों की वैधता पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक है, जो आगे चलकर राजनीतिक अस्थिरता का कारण बन सकता है।

आने वाले दिनों का राजनीतिक परिदृश्य

कांग्रेस के भीतर आत्मविश्लेषण की मांग तेज हो रही है। कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी को नए सिरे से अपनी रणनीति, नेतृत्व और संगठनात्मक संरचना पर काम करना होगा।
दूसरी ओर भाजपा और एनडीए इस जीत को जनता के विश्वास की मुहर बता रहे हैं।
इन दो दृष्टिकोणों के बीच जमीनी राजनीति क्या मोड़ लेगी, यह आने वाले समय में पता चलेगा।

लेकिन यह भी स्पष्ट है कि बिहार चुनाव के बाद जो नई बहसें जन्मी हैं—चुनावी ईमानदारी, युवा असंतोष, राजनीतिक ध्रुवीकरण—वे अभी थमने वाली नहीं हैं।


यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।

Rashtra Bharat
Rashtra Bharat पर पढ़ें ताज़ा खेल, राजनीति, विश्व, मनोरंजन, धर्म और बिज़नेस की अपडेटेड हिंदी खबरें।

Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.