बांग्लादेश में डेंगू संकट की विकरालता
बांग्लादेश में डेंगू का संक्रमण वर्ष 2025 में एक बार फिर अपनी भयावहता का परिचय दे रहा है। देश में पिछले चौबीस घंटों के भीतर चार और लोगों की मृत्यु ने सरकार, स्वास्थ्य विभाग और आम जनता की चिंता को और गहरा कर दिया है। स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा जारी ताजा आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2025 में डेंगू से मरने वालों की संख्या बढ़कर 343 तक पहुँच गई है। महामारी के पैमाने और उसके फैलाव की गति को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल मौसमी समस्या नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है।
डेंगू रोगियों की संख्या में निरंतर वृद्धि
नवीनतम रिपोर्टों से स्पष्ट है कि रोग नियंत्रण के प्रयासों के बावजूद स्थिति नियंत्रण से दूर होती दिख रही है। एक ही दिन में 920 नये रोगियों का अस्पतालों में भर्ती होना यह दर्शाता है कि संक्रमण की रफ्तार अब भी बेहद तेज है। अब तक वर्ष 2025 में कुल डेंगू रोगियों की संख्या 86,924 को पार कर चुकी है, जो न केवल चिंताजनक है, बल्कि देश की स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते दबाव का भी संकेत देती है।
राजधानी ढाका सबसे अधिक प्रभावित
डेंगू संक्रमितों का वितरण दर्शाता है कि ढाका उत्तर सिटी कॉरपोरेशन (DNCC) और ढाका दक्षिण सिटी कॉरपोरेशन (DSCC) अब भी सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार:
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DNCC में 211 मामले
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DSCC में 151 मामले
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ढाका डिविजन में 147 मामले
इसके अलावा बरिशाल, चटगाँव, खुलना, मयमनसिंह, सिलहट और रंगपुर मंडलों से भी दर्जनों मरीजों का अस्पतालों में भर्ती होना यह दिखाता है कि डेंगू अब केवल शहरी समस्या नहीं रहा, बल्कि यह पूरे देश में फैल चुका है।
पिछले वर्षों की तुलना में स्थिति
डेंगू का इतिहास दर्शाता है कि पिछले दो वर्षों में भी बांग्लादेश ने भयंकर हालात देखे थे। वर्ष 2023 में 1,705 लोगों ने डेंगू के चलते अपनी जान गंवाई, जबकि वर्ष 2024 में यह संख्या 575 थी। वर्ष 2025 में अभी नवंबर ही समाप्त नहीं हुआ है और मृतकों का आंकड़ा पहले ही 340 को पार कर चुका है। यह तुलना साफ संकेत देती है कि संक्रमण की दर में तेजी आई है, भले ही मृत्यु दर के अनुपात में कुछ कमी बताई जा रही है।
स्वास्थ्य महानिदेशक की चेतावनी और सलाह
स्वास्थ्य महानिदेशक अबू जाफर ने हाल ही में आयोजित प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि वर्ष 2025 में डेंगू संक्रमण के मामले पिछले वर्ष की तुलना में कहीं अधिक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि संक्रमितों की संख्या अधिक है, लेकिन मृत्यु दर अनुपात में कम दर्ज की जा रही है। उनका कहना था कि शुरुआती पहचान और तत्पर इलाज से डेंगू को सामान्य रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्होंने विशेष रूप से यह बताया कि अस्पतालों में दर्ज आधे से अधिक डेंगू मौतें उस दिन होती हैं जिस दिन मरीज भर्ती होते हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि मरीज देर से अस्पताल पहुँच रहे हैं। यह देरी स्थिति को गंभीर बना देती है और चिकित्सा प्रबंधन कठिन हो जाता है।
व्यक्तिगत सतर्कता का महत्व
अबू जाफर ने यह भी जोर देकर कहा कि मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण है। गंदी जगहों और जमा पानी का समय पर निस्तारण, साफ-सफाई और घरों के आसपास जमे पानी को हटाना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकांश मामलों में यही लापरवाही मच्छरों के प्रसार का प्रमुख कारण बनती है।
प्रारंभिक लक्षणों की अनदेखी के दुष्परिणाम
डेंगू के प्रारंभिक लक्षणों में तेज बुखार, कमजोरी, सिरदर्द, आँखों के पीछे दर्द और शरीर में अत्यधिक पीड़ा शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन लक्षणों को हल्के में लेने की प्रवृत्ति लोगों को देरी से अस्पताल ले जाती है, जिससे जोखिम बढ़ता है। यदि शुरुआती चरण में डॉक्टर की देखरेख में उचित मात्रा में तरल पदार्थ, आराम और दवाइयों का उपयोग किया जाए तो अधिकांश मरीज घर पर ही स्वस्थ हो सकते हैं।
सरकार और स्थानीय निकायों की चुनौतियाँ
बांग्लादेश सरकार और स्थानीय निकायों के सामने मुख्य चुनौती यह है कि वे लगातार बदलते डेंगू वायरस के व्यवहार और निरंतर बढ़ती शहरी आबादी के बीच संक्रमण को कैसे नियंत्रित करें। शहरीकरण, जनसंख्या घनत्व, जलभराव और अनियोजित बस्तियों के कारण मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल माहौल बन जाता है। यह समस्या केवल चिकित्सा उपायों से समाप्त नहीं हो सकती; इसके लिए सामुदायिक जागरूकता, बुनियादी ढांचे में सुधार और दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है।
जनता में जागरूकता का अभाव
डेंगू रोकथाम को लेकर जनता में जागरूकता आज भी पर्याप्त नहीं है। कई लोग यह मानते हैं कि डेंगू केवल बारिश के मौसम में फैलता है, जबकि विशेषज्ञ बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण अब यह पूरे वर्ष सक्रिय रहता है। इसके बावजूद लोग घरों में मच्छरदानी का उपयोग नहीं करते, बच्चों को सुरक्षित नहीं रखते और पानी की टंकियों को ढककर रखने जैसी बुनियादी सावधानियों का पालन नहीं करते।
डेंगू नियंत्रण की दिशा में आगे का रास्ता
विशेषज्ञों का मानना है कि डेंगू को नियंत्रित करने के लिए त्वरित और दीर्घकालिक दोनों रणनीतियों की जरूरत है।
इनमें शामिल हैं:
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नियमित फॉगिंग और लार्वा नाशक छिड़काव
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स्कूलों, बाजारों और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में जागरूकता अभियान
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चिकित्सा केंद्रों की क्षमता बढ़ाना
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शुरुआती जांच के लिए प्रावधानों को सुलभ बनाना
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सामुदायिक सहभागिता को मज़बूत करना
बांग्लादेश में फैलता यह संक्रमण केवल स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक चुनौती भी है। जब तक जनता और सरकार दोनों मिलकर संगठित प्रयास नहीं करेंगे, तब तक डेंगू पर स्थायी नियंत्रण संभव नहीं होगा।
यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।