भारतीय शेयर बाजार में पुनरुत्थान: त्योहारी खपत और स्थिर आय से मजबूत वृद्धि

India Equity Market: भारतीय शेयर बाजार में शक्तिशाली पुनरुत्थान, त्योहारी खपत और विदेशी निवेशकों की वापसी से बाजार को मिली गति
India Equity Market: भारतीय शेयर बाजार में शक्तिशाली पुनरुत्थान, त्योहारी खपत और विदेशी निवेशकों की वापसी से बाजार को मिली गति (Photo: IANS)
अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार में शक्तिशाली पुनरुत्थान देखा गया। उपभोक्ता मुद्रास्फीति 1.54% पर गिरी, GDP वृद्धि 6.8% रहने का अनुमान, त्योहारी खपत 67 अरब डॉलर, SIP में 29,361 करोड़ रुपये रिकॉर्ड प्रवाह, विनिर्माण PMI 59.2 पर पहुंचा। निवेश चक्र सुधार दिखा रहा है।
नवम्बर 19, 2025

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भारतीय शेयर बाजार का पुनरुत्थान: आर्थिक मजबूती का संकेत

नई दिल्ली – अक्टूबर की शुरुआत में जब भारतीय शेयर बाजार मिश्रित संकेतों के बीच उलझा हुआ था, तब किसी को पता नहीं था कि महीने के अंत तक एक शक्तिशाली पुनरुत्थान देखने को मिलेगा। PL एसेट मैनेजमेंट की हाल की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय इक्विटी बाजार ने अक्टूबर में एक शानदार दौड़ लगाई, जिसमें मजबूत त्योहारी खपत, स्थिर Q2 आय, और विदेशी निवेशकों की वापसी प्रमुख भूमिका निभाई। यह पुनरुत्थान केवल एक अस्थायी उछाल नहीं है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित मजबूती का प्रमाण है।

मुद्रास्फीति में नाटकीय गिरावट और मौद्रिक नीति की स्थिरता

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी यह है कि उपभोक्ता मुद्रास्फीति गिरकर 1.54 प्रतिशत रह गई है। यह आंकड़ा केवल एक संख्या नहीं है – यह 2017 के बाद से सबसे कम स्तर है। मुद्रास्फीति में यह गिरावट न केवल रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति की सफलता को दर्शाती है, बल्कि आम जनता के लिए भी राहत का संदेश लाती है।

रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया है, जो एक संतुलित मौद्रिक नीति का संकेत है। इसके साथ ही, RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए GDP वृद्धि का पूर्वानुमान 6.8 प्रतिशत तक संशोधित किया है। यह दर भारत को दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर रखती है। ये निर्णय न केवल आर्थिक स्थिरता को दर्शाते हैं, बल्कि भविष्य की वृद्धि के प्रति RBI के विश्वास को भी प्रदर्शित करते हैं।

रुपये की स्थिरता: वैश्विक अस्थिरता में एक उज्ज्वल पक्ष

वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के बीच भी भारतीय रुपया 88.76 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर पर स्थिर रहा है। यह स्थिरता किसी भी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। अमेरिकी डॉलर सूचकांक मजबूत होने के बावजूद रुपये की यह अवस्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था की आंतरिक शक्ति को दर्शाती है। मुद्रा की स्थिरता निवेशकों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विनिमय दर जोखिम को कम करती है और विदेशी पूंजी के आकर्षण को बढ़ाती है।

औद्योगिक गतिविधि में तेजी: विनिर्माण PMI का उछाल

भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में सितंबर से अक्टूबर में एक उल्लेखनीय सुधार दिखा है। विनिर्माण PMI (Purchasing Managers’ Index) 57.7 से बढ़कर 59.2 तक पहुंच गया है। यह संख्या विनिर्माण गतिविधि में तेजी के स्पष्ट संकेत देती है। 50 के ऊपर की किसी भी PMI संख्या विस्तार को दर्शाती है, और 59.2 एक मजबूत विस्तार का संकेत है। इसका अर्थ यह है कि कारखानों में उत्पादन बढ़ रहा है, नए ऑर्डर आ रहे हैं, और रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं।

त्योहारी खपत: 67 अरब डॉलर का रिकॉर्ड

अक्टूबर में भारत में त्योहारी सीजन की शुरुआत हुई थी, और इसका असर खपत पर स्पष्ट दिखा। विभिन्न उद्योग – ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं – सभी को रिकॉर्ड बिक्री देखने को मिली। कुल मिलाकर, त्योहारी सीजन में 67 अरब डॉलर से अधिक की बिक्री हुई। यह संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाती है कि आम भारतीय उपभोक्ता के पास क्रय शक्ति है। भारत की GDP का लगभग 55 प्रतिशत घरेलू खपत पर निर्भर है, इसलिए मजबूत खपत मतलब मजबूत वृद्धि।

SIP में रिकॉर्ड प्रवाह: खुदरा निवेशकों का विश्वास

भारतीय शेयर बाजार में एक और महत्वपूर्ण विकास सुव्यवस्थित निवेश योजना (SIP) में रिकॉर्ड प्रवाह है। अक्टूबर में SIP में 29,361 करोड़ रुपये का प्रवाह हुआ, जो सर्वकालिक उच्च है। यह संख्या यह बताती है कि साधारण भारतीय निवेशक शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं। यह लंबी अवधि के निवेश का संकेत है, न कि अल्पकालिक सट्टेबाजी। SIP में यह मजबूत प्रवाह बाजार की नींव को मजबूत करता है।

कॉर्पोरेट आय में स्थिरीकरण: बाजार सेंटिमेंट में सुधार

पिछली कुछ त्रैमासियों में कॉर्पोरेट आय में लगातार कमी बाजार के लिए एक चिंता का विषय थी। लेकिन अक्टूबर तक आते-आते यह प्रवृत्ति बदलने लगी है। आय में कमी अब अपने निचले स्तर पर पहुंच चुकी है, और स्थिरीकरण के संकेत दिखाई दे रहे हैं। यह बदलाव महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संकेत देता है कि कंपनियों का खराब दौर खत्म हो रहा है। जब कॉर्पोरेट आय बढ़ती है, तो शेयर की कीमतों के लिए भी यह सकारात्मक होता है।

निवेश चक्र में पुनरुजीवन: पूंजीगत व्यय में तेजी

भारतीय निवेश चक्र में भी एक प्रोत्साहजनक संकेत दिख रहा है। वित्त वर्ष 2020 से 2025 तक के बीच सकल स्थिर संपत्तियों में जोड़ की गई वृद्धि वित्त वर्ष 2010 के बाद से सबसे मजबूत है। इसका अर्थ यह है कि कंपनियां नई फैक्ट्रियां, मशीनें, और बुनियादी ढांचे में निवेश कर रहीं हैं। निर्माण सामग्री, विद्युत उत्पादन, और उपभोक्ता वस्तुओं में दृश्यमान पूंजीगत व्यय तेजी दिख रही है।

इसके अलावा, रसायन क्षेत्र में क्षमता निर्माण की गति मजबूत बनी हुई है, जबकि धातुएं दो साल की मंद निवेश अवधि के बाद पुनरुद्धार दिखा रही हैं। ये रुझान यह सुझाते हैं कि भारतीय कंपनियां भविष्य की वृद्धि के लिए आत्मविश्वास के साथ निवेश कर रही हैं।

निवेशक भावना में सुधार: PSU बैंक से लेकर रक्षा तक

अक्टूबर में शेयर बाजार में जो सेक्टर अग्रणी रहे, वे भारतीय अर्थव्यवस्था की विविधता और मजबूती को दर्शाते हैं। PSU बैंक, पूंजी बाजार, धातु, रक्षा, और रियल एस्टेट सभी सेक्टरों में तेजी देखी गई। यह बहु-क्षेत्रीय सुधार यह इंगित करता है कि निवेशकों का विश्वास केवल कुछ शीर्ष कंपनियों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे बाजार में फैल रहा है। संस्थागत और खुदरा दोनों तरह के निवेशकों का यह समन्वित आत्मविश्वास बाजार के लिए एक शुभ संकेत है।

वैश्विक संदर्भ में भारत का अलग परिचय

वैश्विक बाजारों में US-चीन व्यापार संबंधों की प्रगति और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की उम्मीद से आशावाद बना हुआ है। लेकिन भारत ने स्वयं को एक अलग पहचान से परिभाषित किया है। जबकि वैश्विक बाजार बाहरी कारकों पर निर्भर हैं, भारत अपनी मजबूत घरेलू मांग, सुदृढ़ मैक्रोइकॉनॉमिक्स, और सुधार हुई तरलता के कारण अपना रास्ता बना रहा है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता का प्रमाण है।

निकट अवधि की दृष्टि: सावधानीपूर्वक आशावाद

अगली दिशा को देखें तो बाजार अगली त्रैमासिक आय रिपोर्ट और वैश्विक ब्याज दर की अपेक्षाओं का आकलन करते हुए सीमित श्रेणी में रहने की संभावना है। निवेशक सतर्क रहेंगे क्योंकि Q2 की आय संख्याएं अभी भी संघर्ष के संकेत दे सकती हैं। लेकिन मध्यम अवधि का दृष्टिकोण निर्णायक रूप से सकारात्मक है।

दीर्घकालीन संभावनाएं: आर्थिक विस्तार में निरंतरता

मध्यम अवधि की दृष्टि से, भारतीय अर्थव्यवस्था एक सतत चक्रीय सुधार के मार्ग पर है। बेहतर तरलता परिस्थितियां, तटस्थ मूल्यांकन, और मजबूत निवेश चक्र – ये सभी कारक मिलकर एक दीर्घस्थायी आर्थिक विस्तार की ओर इशारा कर रहे हैं। अक्टूबर के बाद के महीनों में भारतीय शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर परिस्थितियां बनने की संभावना है।

निष्कर्ष: आशा और सुधार का समय

भारतीय शेयर बाजार का अक्टूबर में पुनरुत्थान केवल संख्याओं का खेल नहीं है। यह एक संपूर्ण अर्थव्यवस्था के पुनरुजीवन की कहानी है। मजबूत त्योहारी खपत, स्थिर कॉर्पोरेट आय, बढ़ता औद्योगिक उत्पादन, और निवेश चक्र में पुनरुद्धार – ये सभी कारक मिलकर एक सकारात्मक चित्र बनाते हैं। आने वाले समय में भारत अपनी आर्थिक संभावनाओं को पूरी तरह से साकार करने के लिए तैयार दिख रहा है। शेयर बाजार के निवेशकों के लिए यह एक अच्छा समय है, लेकिन अगली त्रैमासिकों में आने वाली चुनौतियों के बारे में भी सतर्क रहना चाहिए।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com