उत्तर प्रदेश में PPP मॉडल आधारित नगर विकास की व्यापक तैयारी
सरकारी बोझ घटाने और निजी भागीदारी बढ़ाने पर जोर
लखनऊ में हुई उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के प्रमुख शहरों में विकास की चल रही योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की। बैठक का मुख्य उद्देश्य सरकारी वित्त पर अत्यधिक निर्भरता कम करना तथा निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए संरचनाओं का विस्तार करना रहा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि बड़े प्रोजेक्ट्स अब केवल सरकारी संसाधनों पर नहीं टिकेंगे, बल्कि इन्हें आय सृजन की क्षमता के आधार पर निजी क्षेत्र की भागीदारी से क्रियान्वित किया जाएगा।
मथुरा-वृंदावन, मेरठ और कानपुर में विशेष विकास मॉडल
बैठक में मथुरा-वृंदावन, मेरठ और कानपुर के विकास मॉडल पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। क्षेत्रीय आयुक्तों ने जानकारी दी कि इन तीनों शहरों में अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर और प्रयागराज के मॉडल को आधार बनाते हुए विकास योजनाओं को लागू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास केवल सड़कों और इमारतों तक सीमित नहीं होना चाहिए। इसमें स्थानीय संस्कृति, पहचान, ऐतिहासिक विरासत और आधुनिक सुविधाओं का संतुलन होना आवश्यक है।
मेरठ का बिजली बम्बा बाइपास PPP मॉडल के तहत
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि मेरठ में प्रस्तावित बिजली बम्बा बाइपास को लखनऊ ग्रीन कॉरिडोर मॉडल की तर्ज पर PPP आधार पर विकसित किया जाए। इससे यातायात को सुगम बनाने के साथ ही निवेश की संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना मेरठ को आधुनिक शहरी संरचना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
कानपुर और मथुरा-वृंदावन में सांस्कृतिक एवं पर्यटन केंद्रित विकास
योगी सरकार ने स्पष्ट किया कि कानपुर और मथुरा-वृंदावन का विकास सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक-पर्यटन की संभावनाओं के अनुरूप किया जाएगा। मथुरा-वृंदावन के लिए आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र, पर्यावरण संरक्षण आधारित सुविधाएं, हेरिटेज वॉक और 24 घंटे सुगम यातायात प्रणाली को प्राथमिकता दी जाएगी। कानपुर के लिए ऐतिहासिक स्थलों संरक्षण, ग्रीन पार्किंग, मल्टी-लेयर सड़क प्रणाली और पर्यटन अनुकूल शहरी सौंदर्यीकरण की योजना बनाई गई है।
2025-26 में 38 प्राथमिक परियोजनाएं
पहले चरण में तीन शहरों को 2025-26 के लिए कुल 38 प्राथमिक परियोजनाएं स्वीकृत होंगी। इसमें मेरठ की 11, कानपुर की 13 और मथुरा-वृंदावन की 14 परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं के तहत बहुस्तरीय पार्किंग, हरित क्षेत्र विकास, भूमिगत विद्युत केबलिंग, पर्यटन अवसंरचना, फुटपाथ और सड़क सुधार, जल प्रबंधन तथा समग्र शहरी सौंदर्यीकरण को प्रमुख रूप से लिया जाएगा।
नवाचार, वित्तीय योजना और प्रबंधन पर बल
मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजनाओं में नवाचार और कुशल प्रबंधन ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि निजी क्षेत्र की भागीदारी को राजस्व साझेदारी के आधार पर बढ़ाया जाए। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि आवश्यकतानुसार अतिरिक्त बजट समर्थन उपलब्ध कराया जाएगा, किंतु योजनाओं को आय-आधारित और आत्मनिर्भर मॉडल पर विकसित करना अनिवार्य है।
स्थानीय पहचान संरक्षण और हरित शहर की दिशा में प्रयास
सरकार ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि शहरी विकास केवल सुविधाओं का विस्तार नहीं, बल्कि प्रत्येक शहर की मौलिकता को संरक्षित रखते हुए होना चाहिए। योजना का अंतिम उद्देश्य हरित शहरों का निर्माण, पैदल यात्रियों और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता, प्रदूषण नियंत्रण और आधुनिक सुविधाओं के साथ शहरों को टिकाऊ बनाना है।
यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।