बिहार की नई सरकार ने ली शपथ, नीतीश कुमार दसवीं बार बने मुख्यमंत्री
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में बिहार की नई सरकार ने शपथ ली। राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। यह इस बात का ऐतिहासिक क्षण था कि नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री बने और इस समारोह में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं मौजूद रहे। समारोह के दौरान राज्यभर से राजनीतिक कार्यकर्ता, समर्थक और प्रमुख हस्तियां एकत्रित हुईं और बिहार की नई राजनीतिक दिशा का स्वागत किया।
समारोह में शामिल बड़ी संख्या में पहुंचे दर्शकों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस राजनीतिक घटना को राज्य के भविष्य को बदलने वाला अवसर माना। नीतीश कुमार ने इस अवसर पर जनता की उम्मीदों को पूरा करने का वादा दोहराया और विकास आधारित नीतियों पर आगे बढ़ने की बात कही। यह शपथ ग्रहण न केवल सत्ता परिवर्तन का प्रतीक है बल्कि बिहार के विकास के नए अध्याय की शुरुआत भी माना जा रहा है।
बिहार के नए मंत्रियों की शपथ और नेतृत्व में बदलाव
उपमुख्यमंत्रियों की घोषणा के साथ सत्ता का नया संतुलन
शपथ ग्रहण समारोह में दो उपमुख्यमंत्रियों ने पद संभाला। तारापुर से विजयी विधायक सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई, वहीं विजय सिन्हा ने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इन दोनों नेताओं के चयन ने बिहार की सत्ता में नया समीकरण स्थापित कर दिया, जहां संगठन और सरकार के संचालन को नए सिरे से संतुलित करने की कोशिशें स्पष्ट दिखीं।
वरिष्ठ नेताओं की मंत्रिमंडल में वापसी
शपथ लेने वालों में विजय कुमार चौधरी, मंगल पांडेय, दिलीप जायसवाल, श्रवण कुमार और बिजेंद्र यादव शामिल रहे। इन नामों का चयन राजनीतिक अनुभव, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और सामाजिक समावेश को ध्यान में रखकर किया गया। यह स्पष्ट था कि सरकार ने नए चेहरे और पुराने नेतृत्व के बीच संतुलन बनाकर कैबिनेट को मजबूत बनाने का प्रयास किया है।
उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने दी शुभकामनाएं
उपराष्ट्रपति का संदेश, विकास की आशा
भारत के उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने नीतीश कुमार और उनकी मंत्रिमंडल को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि नई सरकार बिहार के विकास की दिशा को और सशक्त करेगी और जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करेगी। उपराष्ट्रपति ने अपनी शुभकामनाओं में राज्य में बेहतर शासन, स्थाई विकास और समावेशी नीतियों की अपेक्षा स्पष्ट रूप से व्यक्त की।
पहली बार शपथ समारोह में उपस्थित रहे प्रधानमंत्री
शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी इस राजनीतिक घटना की विशेषता रही। वर्ष 2014 के बाद यह पहली बार हुआ जब प्रधानमंत्री ने स्वयं नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण में भाग लिया। यह राजनीतिक संकेत राज्य और केंद्र के संबंधों में नए सहयोग, रणनीति और संयुक्त नेतृत्व की ओर इशारा करता है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अपने संदेश में कहा कि बिहार में सुशासन, विकास और समृद्धि के नए आयाम स्थापित होंगे। उन्होंने मंत्रियों को जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित किया और राज्य की जनता के लिए उनके संयुक्त प्रयासों की कामना की।
बिहार के विकास मॉडल पर फिर रहेगा ध्यान
नीतीश कुमार के दसवीं बार पद संभालने के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार विकास मॉडल को प्राथमिकता पर रखेगी। राज्य में सड़क, कृषि सुधार और शिक्षा के ढांचे को मजबूत करने की योजना पर चर्चा तेज होगी। सरकार से उम्मीद है कि वह केंद्र के सहयोग से निवेश बढ़ाने और रोजगार निर्माण को गति देने पर विशेष रणनीति बनाएगी। यह भी माना जा रहा है कि राजधानी पटना सहित महत्वपूर्ण शहरों में शहरी विकास को तेज रफ्तार से लागू किया जाएगा।
युवाओं के लिए नई नीति की संभावना
बिहार में लंबे समय से बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या रही है। शपथ ग्रहण के साथ यह उम्मीद बढ़ी है कि नई सरकार युवाओं के लिए नई रोजगार नीति लागू कर सकती है। कौशल विकास और उद्योग आधारित रोजगार योजना को विस्तारित करने के संकेत दिए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राज्य में निजी निवेश आकर्षित करने के लिए बेहतर माहौल तैयार किया गया, तो युवाओं के लिए नए अवसर तेजी से सामने आ सकते हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की चुनौती
राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं हमेशा बहस का हिस्सा रहती हैं। नई सरकार के सामने यह चुनौती होगी कि स्कूलों में संसाधन बढ़ाए जाएं, शिक्षकों की नियुक्ति तेज हो और उच्च शिक्षा को अधिक सुविधाजनक बनाया जाए। स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर पर भी ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की कमी, अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था और मेडिकल उपकरणों की कमी जैसी समस्याओं को हल करने के लिए बड़े फैसले लेने की मांग हो रही है।
बिहार के भविष्य की दिशा
नई सरकार, नई उम्मीदें
शपथ ग्रहण के साथ बिहार में नई चुनौतियों का दौर भी शुरू होता है। राज्य में शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं और आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए बड़े कदमों की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है। नीतीश कुमार की वापसी और केंद्र की मौजूदगी यह संकेत देती है कि भविष्य में विकास योजनाओं में अधिक गति देखने को मिल सकती है।
जनता की अपेक्षाएं और सरकार का एजेंडा
बिहार की जनता इस सरकार से तेजी से निर्णय लेने, पारदर्शी नीतियों और ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान की उम्मीद रखती है। यह उम्मीद भी जताई जा रही है कि रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे और बुनियादी सेवाओं की कमियों को दूर किया जाएगा। अब महत्वपूर्ण यह होगा कि सरकार इन अपेक्षाओं को कितनी गति और प्रतिबद्धता के साथ पूरा करती है।
यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।