बंगाल की खाड़ी में उठता नया चक्रवाती तूफ़ान, तटीय क्षेत्रों में सतर्कता की घोषणा

India Weather News: बंगाल की खाड़ी में नया चक्रवात, तटीय इलाकों में सतर्कता
India Weather News: बंगाल की खाड़ी में नया चक्रवात, तटीय इलाकों में सतर्कता (File Photo)
बंगाल की खाड़ी में नया चक्रवाती तूफान विकसित हो रहा है, जो अगले 48 घंटों में मजबूत चक्रवात बन सकता है। आंध्र प्रदेश से म्यांमार तक तटीय इलाकों में सतर्कता जारी कर दी गई है। हवा की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। लैंडफॉल का स्थान 27 तारीख को स्पष्ट होगा।
नवम्बर 24, 2025

चक्रवात का बढ़ता खतरा: तटीय इलाकों में अलर्ट

भुवनेश्वर। बंगाल की खाड़ी पर चक्रवात का एक नया खतरा तेजी से मंडरा रहा है। मौसम विभाग ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि मलक्का जलडमरूमध्य और दक्षिण अंडमान सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र अब सक्रिय हो चुका है, जो अगले कुछ दिनों में एक पूर्ण चक्रवात में तब्दील हो सकता है। इस संभावित चक्रवात की दिशा और लैंडफॉल स्थान अभी स्पष्ट नहीं है, किंतु आंध्र प्रदेश से लेकर म्यांमार तक के विस्तृत समुद्री किनारे पर इसे लेकर गंभीर सतर्कता जारी कर दी गई है।

चक्रवाती सिस्टम कहां बना और कैसे बढ़ रहा है

भारतीय मौसम विभाग की नवीनतम रिपोर्ट बताती है कि मलक्का जलडमरूमध्य से सटे दक्षिण अंडमान सागर के ऊपर एक स्पष्ट चिह्नित निम्न दबाव क्षेत्र विकसित हुआ। यह परिसंचरण 7.6 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला हुआ है, जो इसके आकार और भविष्य में तीव्र चक्रवाती रूप लेने की संभावना को दर्शाता है।

यह निम्न दबाव क्षेत्र पश्चिम–उत्तरपश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए अवदाब (डिप्रेशन) में परिवर्तित हो गया है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले 48 घंटों में यह चक्रवात के रूप में विकसित हो जाएगा। यदि स्थितियां अनुकूल रहीं, तो इसका प्रभाव 25 तारीख की शाम से ही स्पष्ट होने लगेगा।

हवा की रफ्तार में तेजी: समुद्र में उठने वाली लहरें

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, चक्रवाती तंत्र का प्रभाव 25 तारीख की शाम से शुरू होगा, जिसके दौरान बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में हवा की रफ्तार 50 से 70 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है।
26 तारीख की सुबह यह 60 से 80 किमी प्रति घंटे तक बढ़ने की संभावना है। वहीं 27 तारीख की सुबह तक यह गति 100 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है, जो जोखिमपूर्ण परिस्थितियों का संकेत देगी।

तटीय समुदाय के लिए बढ़ी चिंता

संभावित चक्रवात की आशंका ने तटीय क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों की चिंता बढ़ा दी है। मछुआरों को गहरे समुद्र में न जाने की चेतावनी दी गई है, जबकि नौकाओं को सुरक्षित बंदरगाहों में खड़ा करने के निर्देश जारी हुए हैं। स्थानीय प्रशासन ने गांवों में सूचना प्रसारण तेज कर दी है ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में लोगों को शीघ्र सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।

समुद्री तापमान में असामान्य उतार-चढ़ाव

विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के दिनों में बंगाल की खाड़ी का तापमान असामान्य रूप से उतार–चढ़ाव दिखा रहा है। यह परिवर्तन वायुमंडलीय दाब को प्रभावित कर रहा है, जिससे चक्रवात बनने की परिस्थितियां और पुख्ता हो जाती हैं। समुद्री जल जितना अधिक गर्म होता है, चक्रवात उतना ही तीव्र रूप ले सकता है, इसलिए आने वाले दिन स्थिति को समझने के लिए निर्णायक माने जा रहे हैं।

बंदरगाहों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

आंध्र प्रदेश, ओडिशा और अंडमान स्थित कई प्रमुख बंदरगाहों पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। पोर्ट प्राधिकरणों ने जहाजों की आवाजाही पर नजर रखने और आपातकालीन प्रबंधन कक्ष सक्रिय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके साथ ही राहत नौकाओं को भी तैनाती के लिए तैयार रखा गया है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर तुरंत कार्यवाही की जा सके।

पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर चिंता

चक्रवात केवल मानवीय जीवन और संपत्ति को ही नहीं बल्कि समुद्री जैव विविधता को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। समुद्र में उठने वाली शक्तिशाली लहरें मूंगा चट्टानों और समुद्री जीवों के प्राकृतिक आवास को नुकसान पहुंचाती हैं। पर्यावरणविदों का मानना है कि लगातार बदलते मौसम और बढ़ते समुद्री तापमान भविष्य में ऐसे तूफानों की संख्या और तीव्रता दोनों को बढ़ा सकते हैं, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन गहराता जाएगा।

जटिल समुद्री परिसंचरण: सिस्टम की धीमी गति का कारण

विशेषज्ञों का कहना है कि यह निम्न दबाव क्षेत्र अकेला सक्रिय नहीं है, बल्कि यह दक्षिण–पूर्व अरब सागर, श्रीलंका और कोमोरिन क्षेत्र में मौजूद अन्य परिसंचरण तंत्रों के साथ जटिल पारस्परिक प्रभाव में है। इस आपसी प्रतिक्रिया के कारण चक्रवाती सिस्टम की गति बेहद धीमी हो गई है। यही कारण है कि इसके लैंडफॉल को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।

क्या ओडिशा पर नहीं होगा बड़ा खतरा

बंगाल की खाड़ी के तापमान में हल्की कमी देखी गई है, जिसके कारण ओडिशा तट पर हवा अपेक्षाकृत शुष्क होने लगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कारण चक्रवात ओडिशा के तटीय क्षेत्रों पर सीधा प्रभाव डालने की संभावना थोड़ी कम हो सकती है। हालांकि, मौसम विभाग अभी इसे लेकर किसी भी तरह का अंतिम संकेत देने की स्थिति में नहीं है।
लैंडफॉल का अंतिम अनुमान 27 तारीख की शाम तक ही स्पष्ट होगा।

राज्य में बदलते मौसम का संकेत

मौसम विशेषज्ञ प्रो. सुरेंद्रनाथ पशुपालक का अनुमान है कि 27 तारीख से राज्य में ठंडी उत्तरिया हवाएं चलनी शुरू हो जाएंगी। इसके चलते कई जिलों में तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक गिर सकता है। इससे एक ओर जहां मौसम शुष्क होगा, वहीं ठंड का प्रकोप भी बढ़ सकता है।
चक्रवात और ठंडी हवाओं के बीच यह द्वंद्व जलवायु की गतिशीलता का स्पष्ट उदाहरण है।

तटीय राज्यों के लिए निर्देश

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने तटीय गांवों, मछुआरों के समुदाय और बंदरगाहों को विशेष रूप से सतर्क कर दिया है। मछली पकड़ने की नौकाओं को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। तटीय राज्यों को राहत टीमों और एनडीआरएफ बलों को तैयार रखने के निर्देश जारी किए गए हैं।
यदि चक्रवात की तीव्रता बढ़ती है, तो राहत और बचाव कार्य बड़े स्तर पर सक्रिय किए जाएंगे।

बंगाल की खाड़ी में उभर रहा यह संभावित चक्रवात एक बार फिर जनजीवन, पर्यावरण और आर्थिक गतिविधियों पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है। बदलते समुद्री तापमान और वैश्विक मौसम परिवर्तन के साथ ऐसे चक्रवातों की आवृत्ति लगातार बढ़ रही है। अतः सतर्कता और वैज्ञानिक पूर्वानुमान ही सुरक्षा के सबसे महत्वपूर्ण साधन हैं।

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