चक्रवात ‘सेन्यार’ का प्रचंड प्रकोप: तटीय भारत के लिए अगले 48 घंटे सबसे संवेदनशील
निम्न दबाव क्षेत्र के तेजी से मजबूत होने के संकेत
दक्षिण एशिया के समुद्री क्षेत्र में मौसम का मिजाज लगातार उथल-पुथल भरा होता जा रहा है। मलेशिया के समीप मलक्का जलडमरूमध्य और आसपास के समुद्री क्षेत्र में बना निम्न दबाव का क्षेत्र तेजी से सशक्त होता दिखाई दे रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अपने नवीनतम बुलेटिन में स्पष्ट किया है कि यह प्रणाली अब लगातार पश्चिम-उत्तर दिशा की ओर बढ़ रही है और बंगाल की खाड़ी की ओर इसका झुकाव और भी तेज हो गया है। समुद्री परिस्थितियों के बदलते स्वरूप के चलते दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी, कोमोरिन और श्रीलंका से लगे समुद्री इलाकों में आगामी दिनों में मौसम की गतिविधियां अत्यधिक तीव्र होने के संकेत दिखाई दे रहे हैं।
26 नवंबर के आसपास चक्रवात ‘सेन्यार’ बनने की संभावना
आईएमडी के अनुसार 25 नवंबर को दक्षिण अंडमान सागर के ऊपर यह निम्न दबाव क्षेत्र अवदाब के रूप में विकसित हो सकता है और इसके अगले ही चरण में यह 26 नवंबर के आसपास एक सशक्त चक्रवात ‘सेन्यार’ का रूप ले लेगा। यह नाम संयुक्त अरब अमीरात द्वारा सुझाया गया है और इसका अर्थ है ‘शेर’। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि यह चक्रवात अपनी पूरी शक्ति के साथ या तो तमिलनाडु-आंध्र प्रदेश तट की ओर अग्रसर हो सकता है या फिर उत्तर दिशा में मुड़कर ओडिशा-बांग्लादेश तट की ओर जा सकता है। इसी संभावित मार्ग को लेकर आगामी 48 घंटे इन तटीय राज्यों के लिए अत्यंत अहम बताए जा रहे हैं।
भारी से अत्यंत भारी वर्षा के संकेत
आईएमडी की जारी चेतावनियों के अनुसार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 25 से 29 नवंबर के दौरान भारी से अत्यंत भारी वर्षा की पूरी संभावना है। इसके साथ ही तमिलनाडु, केरल, माहे, लक्षद्वीप और तटीय आंध्र प्रदेश के कई जिलों में क्रमशः 24 से 30 नवंबर तक वर्षा की तीव्र गतिविधियां बनी रहेंगी।
तमिलनाडु में 24 और 28 से 30 नवंबर के बीच, जबकि आंध्र प्रदेश और यनम के तटीय क्षेत्रों में 30 नवंबर को भारी वर्षा के साथ तेज़ हवाओं के चलने की चेतावनी दी गई है। कई स्थानों पर हवाओं की गति 65 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक रहने का अनुमान है, जो समुद्र और तटीय इलाकों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
दक्षिणी राज्यों में मौसम की सक्रियता और बढ़ेगी
दक्षिणी बंगाल की खाड़ी के ऊपर बने निम्न दबाव के क्षेत्र ने पहले ही कावेरी डेल्टा, तमिलनाडु के दक्षिणी और तटीय जिलों में भारी वर्षा कराई है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटों में यह प्रणाली चक्रवाती तूफान में परिवर्तित हो जाएगी।
इसके अतिरिक्त दक्षिण-पूर्व अरब सागर में भी निचले क्षोभमंडल में एक चक्रवाती परिसंचरण सक्रिय है, जो दक्षिण भारतीय राज्यों में मानसूनी गतिविधियों को और अधिक सशक्त बना रहा है। आईएमडी ने यह भी स्पष्ट किया है कि मंगलवार से एक नया निम्न दबाव क्षेत्र विकसित होने की संभावना है, जिससे उत्तर-पूर्वी मानसून एक बार फिर सक्रियता से प्रभाव डाल सकता है।
चक्रवात अभी मुख्य भूमि से लगभग 1,000 किलोमीटर दूर
आईएमडी द्वारा जारी ताजा अवलोकन के अनुसार, वर्तमान में यह प्रणाली मलक्का स्ट्रेट और दक्षिण अंडमान सागर के आसपास सक्रिय है और धीरे-धीरे दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ रही है। अभी यह भारतीय मुख्य भूमि से लगभग 1,000 किलोमीटर दूर है।
इसके सटीक मार्ग, प्रभाव और किन राज्यों पर इसका सर्वाधिक असर पड़ेगा, इसकी स्पष्टता आज देर शाम तक मिल सकती है। समुद्र में लगातार बढ़ती लहरों और हवाओं की गति को देखते हुए तटों के लिए खतरे के संकेत मजबूत हो रहे हैं।
मछुआरों और तटीय नागरिकों के लिए चेतावनी
चक्रवात की तीव्रता और समुद्री परिस्थितियों की अस्थिरता को देखते हुए आईएमडी ने कई समुद्री क्षेत्रों में चेतावनी जारी की है।
दक्षिण अंडमान सागर में 27 नवंबर तक मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
इसी तरह दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में 25 से 28 नवंबर तक मछुआरों की गतिविधियों पर प्रतिबंध की सिफारिश की गई है। मन्नार की खाड़ी, तमिलनाडु, पुदुचेरी और श्रीलंका के तटीय क्षेत्रों के लिए 29 नवंबर तक चेतावनी जारी है।
आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में यह चेतावनी 30 नवंबर तक प्रभावी रहेगी।
ये निर्देश समुद्र में बढ़ती ऊँची लहरों, तेज़ हवाओं और जलस्तर में अचानक वृद्धि की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए जारी किए गए हैं।
राज्यों की प्रशासनिक तैयारियां
चूंकि चक्रवात की संभावित दिशा अभी स्पष्ट नहीं है, इसलिए तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के प्रशासन ने बचाव दलों को सतर्क मोड में रखा है। तटीय जिलों में राहत सामग्री, नावें, बचाव उपकरण और विद्युत आपूर्ति की बैकअप व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।
अंडमान प्रशासन द्वारा द्वीपों में तटीय चौकसी बढ़ा दी गई है और कई स्थानों पर स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद रखने के निर्देश जारी किए गए हैं।
आगे की संभावनाएं
आगामी 48 घंटे इस चक्रवात की दिशा और गति को निर्धारित करने वाले होंगे। यदि यह पश्चिम-उत्तर दिशा में मुड़ता है, तो तमिलनाडु-आंध्र प्रदेश की तटीय रेखा पर भारी प्रभाव की आशंका है। वहीं यदि यह उत्तर की ओर बढ़ा, तो ओडिशा और बांग्लादेश के तटीय क्षेत्र इसकी चपेट में आ सकते हैं।
मौसम वैज्ञानिक लगातार संकेतों का विश्लेषण कर रहे हैं और उपग्रह चित्रों के आधार पर अपडेट जारी कर रहे हैं।