देश के सर्वोच्च न्यायालय में जल्द ही बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने साफ संकेत दिए हैं कि एक दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट में केस मेंशनिंग की प्रक्रिया में व्यापक सुधार लागू किए जाएंगे। यह कदम न्यायिक व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने की दिशा में उठाया गया है।
सीजेआई ने दिए संकेत
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने हाल ही में अदालत में केस मेंशन करने आए एक वकील से कहा कि एक दिसंबर तक इंतजार करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह कुछ नई योजना पर काम कर रहे हैं और वकीलों की समस्याओं से पूरी तरह वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि अब वकीलों को बार-बार केस का जिक्र करने की जरूरत नहीं होगी।
सीजेआई की यह टिप्पणी केस मेंशनिंग व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन का संकेत देती है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सुधारों का पहला चरण एक दिसंबर से शुरू होगा और इसमें मेंशनिंग प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाएगी।
मेंशनिंग व्यवस्था में क्या है समस्या
वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में केस मेंशन करने की प्रक्रिया काफी जटिल और समय लेने वाली है। वकीलों को अपने मामलों को अदालत के सामने पेश करने के लिए सुबह से ही लाइन में लगना पड़ता है। कई बार तो वकील घंटों इंतजार करते हैं लेकिन उनका केस सुना ही नहीं जाता।
इस व्यवस्था में एक और बड़ी समस्या यह है कि कुछ वकील उसी दिन केस मेंशन करते हैं और उसी दिन उसे सूची में डालने की मांग करते हैं। यह प्रक्रिया न केवल अव्यवस्थित है बल्कि इससे वकीलों का कीमती समय भी बर्बाद होता है। मुख्य न्यायाधीश ने इसी समस्या को गंभीरता से लिया है और इसका स्थायी समाधान खोजने का प्रयास कर रहे हैं।
पद संभालते ही दिखाई सख्ती
जस्टिस सूर्यकांत ने 24 नवंबर को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला। पद ग्रहण करने के पहले दिन ही उन्होंने केस मेंशनिंग के मौजूदा तरीकों पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि पुराने तरीके अब बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
मुख्य न्यायाधीश ने एक वकील के केस मेंशन करने के तरीके पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि कुछ लोग मामलों को उसी दिन मेंशन करते हैं और तुरंत सुनवाई की मांग करते हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह तरीका हमेशा के लिए स्वीकार्य नहीं है।
क्या होगा नया नियम
जस्टिस सूर्यकांत ने संकेत दिया है कि अब केस मेंशनिंग के लिए एक नई व्यवस्था लागू की जाएगी। इस नई व्यवस्था के तहत वकीलों को मौखिक रूप से केस का जिक्र करने की बजाय लिखित रूप से मेंशनिंग स्लिप जमा करनी होगी।
मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया है कि बहुत विशेष परिस्थितियों को छोड़कर, जैसे कि मृत्युदंड या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े मामले, बाकी सभी मामलों में वकीलों को निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा। मेंशनिंग स्लिप में तत्काल सुनवाई की जरूरत के कारण भी स्पष्ट रूप से लिखने होंगे।
रजिस्ट्री की होगी अहम भूमिका
नई व्यवस्था में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी। रजिस्ट्री पहले मेंशनिंग स्लिप की जांच करेगी और मामले की तात्कालिकता का मूल्यांकन करेगी। इसके बाद ही मामले को सूची में शामिल किया जाएगा।
यह व्यवस्था न केवल पारदर्शिता लाएगी बल्कि वकीलों का समय भी बचाएगी। अब वकीलों को घंटों अदालत के बाहर इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वे अपनी मेंशनिंग स्लिप जमा करके अन्य जरूरी कामों में लग सकेंगे।
विशेष मामलों में अपवाद
हालांकि मुख्य न्यायाधीश ने यह भी स्पष्ट किया है कि कुछ विशेष और अत्यंत गंभीर मामलों में मौखिक मेंशनिंग की सुविधा बनी रहेगी। जिन मामलों में जीवन और मृत्यु का सवाल हो, या फिर मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा हो, ऐसे मामलों में तुरंत सुनवाई की व्यवस्था जारी रहेगी।
इसके अलावा संवैधानिक महत्व के मामले, जनहित याचिकाएं और अन्य गंभीर मुद्दों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन इसके लिए भी वकीलों को ठोस कारण बताने होंगे।
न्याय व्यवस्था में सुधार की पहल
यह पहल न्यायिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। देश की सर्वोच्च अदालत में लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में व्यवस्थित और पारदर्शी प्रक्रिया की सख्त जरूरत है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने संकेत दिया है कि यह सिर्फ शुरुआत है। आने वाले समय में न्याय व्यवस्था को और अधिक सुगम बनाने के लिए कई अन्य सुधार भी लागू किए जाएंगे। उनका उद्देश्य न्याय को तेज, पारदर्शी और सुलभ बनाना है।
वकीलों की प्रतिक्रिया
वकीलों के बीच इस घोषणा को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ वकीलों का मानना है कि यह व्यवस्था उनका समय बचाएगी और प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित बनाएगी। वहीं कुछ वकीलों को चिंता है कि कहीं यह नई व्यवस्था तत्काल सुनवाई की जरूरत वाले मामलों में बाधा न बन जाए।
हालांकि ज्यादातर कानूनी विशेषज्ञों ने इस कदम का स्वागत किया है। उनका मानना है कि यह व्यवस्था लंबे समय में फायदेमंद साबित होगी और न्याय प्रणाली को मजबूत बनाएगी।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत द्वारा घोषित यह सुधार सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली में एक नया अध्याय खोलने जा रहा है। एक दिसंबर से लागू होने वाली यह नई व्यवस्था न केवल वकीलों का समय बचाएगी बल्कि न्याय प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह भी बनाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई व्यवस्था व्यावहारिक रूप से कितनी प्रभावी साबित होती है।