गीता से प्रेरित राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और सामाजिक कल्याण के आयाम
भारतीय राजनीति और आध्यात्मिकता के बीच का रिश्ता कभी-कभी ऐसे पल देता है जो सिर्फ समाचार नहीं होता, बल्कि राष्ट्र के दर्शन को परिभाषित करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उडुपी में दिया गया भाषण बिल्कुल ऐसा ही एक क्षण था। जब एक लाख लोग श्रीमद्भगवद्गीता का सामूहिक पाठ कर रहे थे, तब प्रधानमंत्री ने न केवल आध्यात्मिकता का जिक्र किया, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, ऑपरेशन सिंदूर और सामाजिक कल्याण को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया। यह विडंबना है, लेकिन एक सार्थक विडंबना है। धर्म के मंच से राष्ट्र रक्षा की बातें करना, यह भारत की अपनी परंपरा है। महाभारत में भी कृष्ण ने युधिष्ठिर को धर्मयुद्ध की शिक्षा दी थी। आज का भारत भी उसी दर्शन को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत कर रहा है।
गीता की शिक्षा और राष्ट्र सुरक्षा का अन्तर्संबंध
मोदी ने जो कहा, वह सुनने में सरल लगता है लेकिन गहरा अर्थ रखता है। गीता शांति और संहार दोनों की शिक्षा देती है। यह बात कितनी महत्वपूर्ण है कि पिछली सरकारों की तुलना में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने आतंकवाद का जवाब सीधे और तत्परता से दिया है। जब पहलगाम में 26 निरपराध पर्यटकों की हत्या हुई, उस वक्त भारत ने सिर्फ दुःख जाहिर नहीं किया, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह ‘धर्मो रक्षति रक्षितः’ का व्यावहारिक रूप है। अगर राष्ट्र की रक्षा नहीं करते, तो राष्ट्र नष्ट हो जाता है।
मोदी का तर्क यह है कि केंद्र की नीतियां भगवान कृष्ण की शिक्षाओं से प्रेरित हैं। बहुत से लोग इस बात को राजनीतिक बयानबाजी समझ सकते हैं, लेकिन अगर गहराई से देखें तो यह राष्ट्र के विचार दर्शन को समझाने का प्रयास है। भारत एक सांस्कृतिक राष्ट्र है, न कि केवल एक भौगोलिक क्षेत्र। उसकी नीतियां उसकी परंपरा से उपजती हैं। वसुधैव कुटुम्बकम की बात करना, सबका साथ-सबका विकास का नारा देना, ये सब गीता के ही सिद्धांत हैं।
The magnificent and divine recital of the Laksha Kantha Gita filled everyone with energy and deep devotion. To witness the Gita being chanted in unison by such a vast gathering was an unforgettable moment. pic.twitter.com/Znlx4Xlt5g
— Narendra Modi (@narendramodi) November 28, 2025
सामाजिक कल्याण और आध्यात्मिक दर्शन का मेलजोल
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, और अन्य कल्याणकारी योजनाएं गीता की शिक्षाओं से प्रेरित हैं। यह दावा शायद अतिशयोक्तिपूर्ण लगे, लेकिन इसमें एक महत्वपूर्ण सत्य निहित है। गीता कहती है कि भगवान श्रीकृष्ण हमें लोक कल्याण के लिए कार्य करने का उपदेश देते हैं। अगर किसी गरीब को स्वास्थ्य सेवा मिलती है, या घर की छत मिलती है, तो क्या यह लोक कल्याण नहीं है? नीति और नैतिकता का यह संयोजन ही भारतीय राजनीति की विशेषता होनी चाहिए।
नारी सशक्तीकरण और संवैधानिक प्रतिशद्ता
मोदी ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण के संदर्भ में कहा कि यह भी गीता की शिक्षाओं से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण हमें नारी सुरक्षा और नारी सशक्तीकरण का ज्ञान देते हैं। इस बात को नारी शक्ति वंदन अधिनियम से जोड़ना, यह एक बुद्धिमानी भरा कदम है। भारत की परंपरा में नारी का स्थान कभी हीन नहीं रहा। शक्ति की देवी दुर्गा हों, या ज्ञान की देवी सरस्वती, या वैभव की देवी लक्ष्मी – सभी स्त्री हैं। संसद और विधानसभाओं में महिलाओं का 33 प्रतिशत प्रतिनिधित्व यही संदेश देता है कि भारत अपनी परंपरा के अनुसार ही आगे बढ़ रहा है।
मिशन सुदर्शन चक्र और सुरक्षा की नई व्याख्या
प्रधानमंत्री ने एक और महत्वपूर्ण बात कही कि भारत ने लाल किले से कृष्ण के करुणा के संदेश का प्रचार किया है, साथ ही मिशन सुदर्शन चक्र की भी घोषणा की है। मिशन सुदर्शन चक्र प्रमुख स्थानों, औद्योगिक और सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा बढ़ाने की योजना है। यहां एक बहुत सूक्ष्म संदेश है। करुणा और सुरक्षा एक साथ चल सकते हैं। सुदर्शन चक्र न केवल विनाश करता है, बल्कि रक्षा भी करता है। सुरक्षा का अर्थ केवल आक्रामकता नहीं है, बल्कि समाज की रक्षा करना है।
उडुपी की भूमिका और आध्यात्मिक परंपरा
उडुपी के संदर्भ में मोदी ने जो बातें कहीं, वे भारतीय सभ्यता की गहराई को प्रकट करती हैं। पांच दशक पहले उडुपी ने एक नया शासन मॉडल प्रस्तुत किया था, जो आज स्वच्छता और जल आपूर्ति को लेकर राष्ट्रीय नीतियों का मार्गदर्शन करता है। यह दर्शाता है कि भारतीय ज्ञान परंपरा कितनी समृद्ध है। राम मंदिर निर्माण में उडुपी की भूमिका को मोदी ने सराहा, और अयोध्या में माधवाचार्य के नाम का विशाल द्वार बनवाए जाने का उल्लेख किया। यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
नौ संकल्प और नागरिक जिम्मेदारी
मोदी ने जनता को नौ संकल्प दिए – जल संरक्षण से लेकर प्राकृतिक खेती, योग, पांडुलिपि संरक्षण और विरासत स्थलों के दर्शन तक। ये संकल्प केवल व्यक्तिगत नहीं हैं, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी की बात करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति कम से कम एक गरीब का जीवन सुधारे, यह गीता के सिद्धांत को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास है।
उडुपी में मोदी का यह भाषण सिर्फ राजनीतिक नहीं था, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनरुत्थान का एक प्रतीक है। गीता को आधुनिक राजनीति और सामाजिक कल्याण से जोड़ना, यह एक साहसिक कदम है। भारत का नया पथ परंपरा और आधुनिकता का समन्वय है, और इसी समन्वय में भारत की असली शक्ति निहित है।