नागपुर की एक छोटी छात्रा ने अपनी प्रतिभा से सभी को चौंका दिया है। स्टेशन रोड स्थित सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल में सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली तेजस्वी शैलश भोयर ने अपनी कल्पनाशक्ति और कला के प्रति लगन से एक ऐसी पेंटिंग तैयार की है जिसे देखकर नागपुर के पुलिस आयुक्त डॉ. रविंद्रकुमार सिंगल भी अभिभूत हो गए। इस कलाकृति की खास बात यह है कि तेजस्वी ने यह पेंटिंग बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के तैयार की है।
कला केवल रंगों का खेल नहीं
कला केवल कागज पर रंग भरना या रेखाएं खींचना नहीं होती। असली कला वह होती है जो भावनाओं को जीवंत कर दे और देखने वाले के मन को छू जाए। तेजस्वी की बनाई गई पेंटिंग में यही गुण नजर आते हैं। उसने अपनी कल्पनाशक्ति का उपयोग करते हुए कैनवास पर एक ऐसी कृति रची है जो सिर्फ देखने में सुंदर नहीं है, बल्कि गहरे अर्थ भी समेटे हुए है।
कला के जानकारों का कहना है कि तेजस्वी की पेंटिंग में रंगों का संयोजन, बारीकी से बनाई गई आकृतियां और भावनाओं की अभिव्यक्ति किसी प्रशिक्षित कलाकार की याद दिलाती है। यह बात और भी आश्चर्यजनक है कि एक छोटी उम्र की छात्रा ने यह सब अपनी मेहनत और लगन से हासिल किया है।
पुलिस आयुक्त ने की भरपूर तारीफ
जब तेजस्वी की पेंटिंग नागपुर के पुलिस आयुक्त डॉ. रविंद्रकुमार सिंगल के सामने प्रस्तुत की गई, तो वे उसकी प्रतिभा को देखकर हैरान रह गए। उन्होंने तेजस्वी की कलाकृति की भरपूर सराहना करते हुए कहा कि यह केवल एक पेंटिंग नहीं है, बल्कि एक युवा प्रतिभा की पहचान है। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के लिए उचित मंच और अवसर मिलने चाहिए।
पुलिस आयुक्त ने तेजस्वी को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि उसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रतिभा को निखारने के लिए सही दिशा और मार्गदर्शन जरूरी है। उन्होंने तेजस्वी को विभिन्न प्रतियोगिताओं और प्रदर्शनियों में भाग लेने का सुझाव दिया ताकि उसकी कला को और भी व्यापक मंच मिल सके।

बिना प्रशिक्षण का कमाल
तेजस्वी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उसने यह पेंटिंग बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के बनाई है। आजकल जब अधिकतर बच्चे महंगी कोचिंग और विशेष गुरुओं से कला सीखते हैं, तब तेजस्वी का यह कारनामा और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उसने अपनी रुचि, अभ्यास और निरीक्षण क्षमता के बल पर यह सफलता हासिल की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्राकृतिक प्रतिभा का यही असली रूप है। तेजस्वी ने किसी की नकल नहीं की, बल्कि अपनी कल्पना से एक नया संसार रचा है। उसकी पेंटिंग में दिखने वाली मौलिकता और सृजनशीलता उसकी स्वाभाविक प्रतिभा का प्रमाण है।
सौंदर्यबोध और रंग संयोजन की समझ
तेजस्वी की पेंटिंग की एक और खासियत है उसका रंग संयोजन। विभिन्न रंगों का उपयोग करते हुए उसने एक सुंदर और संतुलित रचना तैयार की है। हर रंग अपनी जगह पर सटीक है और पूरी पेंटिंग में एक सामंजस्य दिखाई देता है। यह कौशल किसी भी कलाकार के लिए महत्वपूर्ण होता है और तेजस्वी ने इसे बखूबी साबित किया है।
उसकी पेंटिंग में बारीकी से बनाए गए विवरण भी दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते हैं। छोटे-छोटे हिस्सों को भी उसने पूरे ध्यान से तैयार किया है, जो उसकी एकाग्रता और समर्पण को दर्शाता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर का सपना
पुलिस आयुक्त से मिली प्रशंसा और प्रोत्साहन के बाद तेजस्वी ने अपने सपनों को साझा किया। उसने कहा कि वह भविष्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पेंटिंग प्रस्तुत करना चाहती है। उसका सपना है कि एक दिन उसकी कला पूरी दुनिया में पहचानी जाए।
यह सपना देखना और उसे पूरा करने के लिए मेहनत करना ही सफलता की पहली सीढ़ी है। तेजस्वी की यह सोच उसकी परिपक्वता और दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। पुलिस आयुक्त ने भी उसे आश्वासन दिया कि उसे आगे बढ़ने के लिए हर संभव मदद मिलेगी।
शिक्षा और कला का संगम
तेजस्वी सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा है। स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों ने भी उसकी प्रतिभा को पहचाना है और उसे प्रोत्साहित किया है। स्कूल में मिलने वाला सकारात्मक माहौल भी तेजस्वी की कला को निखारने में सहायक रहा है।
शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं होती। कला, संगीत, खेल जैसी गतिविधियां भी बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी हैं। तेजस्वी का उदाहरण यह साबित करता है कि अगर बच्चों की रुचि को पहचानकर उन्हें प्रोत्साहित किया जाए, तो वे असाधारण उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं।
समाज के लिए प्रेरणा
तेजस्वी की यह कहानी सिर्फ उसकी व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा है। यह बताती है कि प्रतिभा किसी भी उम्र में और किसी भी परिस्थिति में खिल सकती है। जरूरत है तो बस उचित पहचान और प्रोत्साहन की।
माता-पिता और शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की रुचि को पहचानें और उन्हें आगे बढ़ने के अवसर दें। तेजस्वी के माता-पिता ने भी उसकी कला के प्रति लगन को समझा और उसे सहयोग दिया।
आगे की राह
पुलिस आयुक्त ने तेजस्वी को विभिन्न कला प्रतियोगिताओं और प्रदर्शनियों में भाग लेने का आश्वासन दिया है। यह अवसर तेजस्वी के लिए अपनी प्रतिभा को और निखारने और व्यापक पहचान पाने में मददगार साबित होंगे। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी कला प्रस्तुत करना उसके सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
तेजस्वी का यह छोटा कदम भविष्य में बड़ी सफलता की नींव बन सकता है। उसकी मेहनत, लगन और कल्पनाशक्ति उसे निश्चित रूप से नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी। नागपुर की यह छोटी कलाकार आने वाले समय में अपने शहर और देश का नाम रोशन कर सकती है।
तेजस्वी शैलश भोयर की कहानी हर उस बच्चे के लिए प्रेरणा है जो अपने सपने देखता है। यह साबित करती है कि प्रतिभा को तराशने के लिए महंगी सुविधाओं की नहीं, बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण की जरूरत होती है। नागपुर की इस होनहार छात्रा ने अपनी कला से यह संदेश दिया है कि सपने देखना और उन्हें पूरा करने की कोशिश करना ही सफलता की असली कुंजी है।