सामाजिक जागरूकता और राष्ट्र निर्माण पर केंद्रित विशेष सत्र
नागपुर शहर में रोटरी क्लब ऑफ नागपुर इशान्य द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने सामाजिक जागरूकता और राष्ट्र निर्माण पर अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए। वनामती सभागृह में आयोजित इस सत्र का विषय था “सामाजिक जागरूकता एवं सामाजिक सक्रियता: वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महत्व व भूमिका”। इस कार्यक्रम में नागपुर के विभिन्न क्षेत्रों से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं, रोटेरियन सदस्यों और समाज सेवा से जुड़े लोगों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
रोटरी क्लब की सेवा भावना का उल्लेख
कार्यक्रम की शुरुआत रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3030 के गवर्नर रोटेरियन ज्ञानेश्वर शेवाले और क्लब अध्यक्ष रोटेरियन डॉ. मनीषा राठी द्वारा मुख्य अतिथि डॉ. भागवत के पारंपरिक स्वागत से हुई। अपने स्वागत भाषण में डॉ. मनीषा राठी ने कहा कि रोटरी क्लब का मूल मंत्र “सेवा सर्वोपरि” है। उन्होंने बताया कि रोटरी क्लब और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दोनों ही संगठनों का उद्देश्य समाज की सेवा करना और सांस्कृतिक उत्थान को बढ़ावा देना है। दोनों संगठनों के बीच विचारधारा की समानता इस सत्र को और भी प्रासंगिक बना रही है।
डॉ. राठी ने यह भी कहा कि आज के समय में जब समाज में अनेक चुनौतियां हैं, तब ऐसे संगठनों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए जागरूकता के साथ-साथ सक्रिय भागीदारी भी जरूरी है।

सामाजिक जागरूकता पर डॉ. भागवत के विचार
अपने संबोधन में डॉ. मोहन भागवत ने सामाजिक जागरूकता को एक सतत प्रक्रिया बताया। उन्होंने कहा कि जागरूकता सिर्फ जानकारी होना नहीं है, बल्कि यह अपने कर्तव्यों को समझना, संवेदनशीलता दिखाना और समाज के लिए सक्रिय रूप से कुछ करना है। डॉ. भागवत ने जोर देकर कहा कि एक जागरूक समाज ही सशक्त राष्ट्र की नींव बन सकता है। जब समाज में हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को समझता है और उन्हें पूरा करता है, तभी देश का वास्तविक विकास होता है।
उन्होंने कहा कि जागरूकता केवल शहरों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। गांवों और दूरदराज के इलाकों में भी जागरूकता फैलाने की जरूरत है। डॉ. भागवत ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की है और वहां के लोगों से मिले हैं। इन यात्राओं से उन्हें यह समझ आया कि विकास तभी सार्थक है जब उसका लाभ आम नागरिकों तक पहुंचे।

राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका
डॉ. भागवत ने युवाओं को राष्ट्र निर्माण की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि आज का युवा ही देश का भविष्य है। युवाओं को सिर्फ नौकरी या पैसा कमाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी समझनी चाहिए। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपनी शिक्षा और कौशल का उपयोग देश की प्रगति के लिए करें।
उन्होंने कहा कि युवाओं में ऊर्जा, जोश और नए विचार होते हैं। अगर इस ऊर्जा को सही दिशा में लगाया जाए तो देश में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। डॉ. भागवत ने युवाओं से अपील की कि वे सोशल मीडिया का सही उपयोग करें और समाज में सकारात्मक संदेश फैलाएं।
संवेदनशीलता और सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता
डॉ. भागवत ने अपने भाषण में संवेदनशीलता पर खास जोर दिया। उन्होंने कहा कि समाज में हर व्यक्ति को दूसरों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। सिर्फ अपने बारे में सोचना काफी नहीं है। जब हम समाज के कमजोर वर्ग की मदद करते हैं, तो पूरा समाज मजबूत होता है।
उन्होंने बताया कि सक्रिय भागीदारी का मतलब है कि हम सिर्फ बातें न करें, बल्कि काम भी करें। समाज में जो समस्याएं हैं, उन्हें दूर करने के लिए हमें खुद आगे आना होगा। चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो या पर्यावरण, हर क्षेत्र में हमारी सक्रिय भागीदारी जरूरी है।
प्रश्नोत्तर सत्र में गहन चर्चा
मुख्य संबोधन के बाद एक प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित किया गया। इस सत्र में उपस्थित लोगों ने डॉ. भागवत से विभिन्न सवाल पूछे। सवालों में समाज में बढ़ती असमानता, शिक्षा की गुणवत्ता, युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी और सांस्कृतिक मूल्यों के क्षरण जैसे विषय शामिल थे। डॉ. भागवत ने हर सवाल का बहुत ही सरल और अनुभव आधारित जवाब दिया।
रोटेरियन विनीत मोहंता और डॉ. प्रशांत राठी ने इस सत्र का संचालन किया। डॉ. राठी ने डॉ. भागवत के व्यक्तित्व और उनके सामाजिक दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि डॉ. भागवत एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जो सिर्फ बातें नहीं करते, बल्कि जमीनी स्तर पर काम भी करते हैं।
मंच संचालन और काव्य प्रस्तुति
कार्यक्रम का संचालन रोटेरियन अतुल एम. भैय्या ने किया। उन्होंने मुख्य अतिथि का काव्यात्मक परिचय भी प्रस्तुत किया, जिसे सभी ने सराहा। कार्यक्रम के अंत में अधिवक्ता प्रसन्ना राठी ने डॉ. भागवत पर एक सुंदर कविता प्रस्तुत की। इस कविता में डॉ. भागवत के जीवन, उनके विचारों और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का उल्लेख था। मुख्य अतिथि ने इस काव्य की सराहना की और कहा कि ऐसी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।
आभार और समापन
कार्यक्रम के समापन पर सचिव रोटेरियन विनम्र खेमुका ने सभी अतिथियों, विशेषकर डॉ. भागवत का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह सत्र हम सभी के लिए प्रेरणादायक रहा है। डॉ. भागवत के विचारों ने हमें यह सिखाया कि समाज सेवा केवल एक गतिविधि नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य होना चाहिए।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से श्रीधरराव घाडगे, राजेशजी लोया, विनय जी चांगदे, सतीश जी सारडा, रविन्द्र जी बोकारे और विक्रमजी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
रोटेरियन सदस्यों का योगदान
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कई रोटेरियन सदस्यों का विशेष योगदान रहा। पास्ट प्रेसिडेंट ललित लोया, कविता लोया, सौरभ संगानी, नरेश बल्दवा, नवीन चांदक, सौरभ गोयंका, पवन मुंधड़ा, सिद्धार्थ लोया, राखी मुंधड़ा, पल्लवी भैया, सुमित राठी, वैभव राठी, डॉ. अनीता लद्धड़, शीतल लाहोटी, सिद्धि राठी और अधिवक्ता अदिति भैया ने कार्यक्रम की तैयारी से लेकर संचालन तक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह कार्यक्रम नागपुर के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गया है।