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परिषद नागपुर ने बाढ़ पीड़ित मराठवाड़ा के लिए मुख्यमंत्री को सौंपे 27 लाख 51 हजार रुपये

Nagpur Zilla Parishad Donation: नागपुर जिला परिषद ने मराठवाड़ा बाढ़ राहत के लिए दिए 27 लाख रुपये
Nagpur Zilla Parishad Donation: नागपुर जिला परिषद ने मराठवाड़ा बाढ़ राहत के लिए दिए 27 लाख रुपये (File Photo)
जिला परिषद नागपुर के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बाढ़ प्रभावित मराठवाड़ा के लिए स्वेच्छा से 27 लाख 51 हजार रुपये एकत्रित किए। मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनायक महामंड के नेतृत्व में यह राशि मुख्यमंत्री को सौंपी गई। यह सरकारी वेतन कटौती के अतिरिक्त स्वैच्छिक दान है। परिषद लगातार सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की परंपरा निभा रही है।
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परिषद नागपुर का मानवता की मिसाल

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में आई भयंकर बाढ़ ने हजारों लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है। इस कठिन समय में जिला परिषद नागपुर ने सामाजिक जिम्मेदारी का एक अनूठा उदाहरण पेश किया है। परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी मेहनत की कमाई से स्वेच्छा से 27 लाख 51 हजार रुपये की राशि एकत्रित कर मुख्यमंत्री को सौंपी है। यह राशि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए दी गई है।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री विनायक महामंड के नेतृत्व में शुरू हुए इस अभियान को जिला परिषद के सभी विभागों ने पूरे मन से समर्थन दिया। खास बात यह है कि यह राशि सरकारी वेतन कटौती के अलावा है, जो पूरी तरह से स्वैच्छिक दान के रूप में एकत्रित की गई है।

बाढ़ की विभीषिका और मराठवाड़ा का संकट

मराठवाड़ा क्षेत्र में हाल ही में हुई भारी बारिश और उसके बाद आई बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई है। कई गांवों और शहरों में पानी भर गया, फसलें बर्बाद हो गईं और हजारों परिवार बेघर हो गए। सड़कें टूट गईं, बिजली की आपूर्ति ठप हो गई और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। ऐसे में राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए बड़ी मात्रा में धन की जरूरत है।

इस संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने राहत कोष बनाया है। विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों से सहायता की अपील की गई है। जिला परिषद नागपुर ने इस अपील का सबसे संवेदनशील तरीके से जवाब दिया है।

स्वैच्छिक दान की अनूठी पहल

जिला परिषद नागपुर के इस दान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है। किसी पर कोई दबाव नहीं था, बल्कि सभी ने अपनी इच्छा से योगदान दिया। छोटे से छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक सभी ने अपनी क्षमता के अनुसार सहयोग किया।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री विनायक महामंड ने सभी विभागों के प्रमुखों से संपर्क किया और इस पहल के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल धन देना नहीं है, बल्कि मानवता की सेवा का एक अवसर है। उनके इस आह्वान पर सभी ने उत्साहपूर्वक प्रतिक्रिया दी।

सभी विभागों का सहयोग

इस अभियान में जिला परिषद के सभी विभागों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, कृषि विभाग, लोक निर्माण विभाग और प्रशासनिक अनुभाग सहित सभी क्षेत्रों के कर्मचारियों ने योगदान दिया। अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री कमलकिशोर फुटाणे ने इस पूरे अभियान को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रकल्प संचालक विपुल जाधव, उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती अंशुजा गराटे, मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी कुमुदिनी हाडोळे, कपिल कलोडे, डॉ. कैलास घोडके, कल्पना ईखार, श्री कुणाल आर, डॉ. राजेंद्र गहलोत, डॉ. फुके, निखिल भुयार, श्री करौती, श्री धोंगे और श्री शाम ने भी इस अभियान को सफल बनाने में अहम योगदान दिया।

सामाजिक जिम्मेदारी की परंपरा

जिला परिषद नागपुर के लिए यह कोई पहली पहल नहीं है। यहां सामाजिक कार्यों की एक लंबी परंपरा रही है। हाल ही में दिवाली के अवसर पर भी परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों ने जरूरतमंद लोगों को नए कपड़े बांटे थे। इस तरह के आयोजनों से न केवल जरूरतमंदों को मदद मिलती है, बल्कि समाज में भाईचारे की भावना भी मजबूत होती है।

परिषद का मानना है कि सरकारी संस्थाओं को केवल प्रशासनिक कार्य ही नहीं, बल्कि समाज कल्याण की जिम्मेदारी भी निभानी चाहिए। इसी सोच के साथ वे लगातार विभिन्न सामाजिक पहलों में शामिल होते रहते हैं।

मुख्यमंत्री को चेक सौंपना

आज का दिन जिला परिषद नागपुर के लिए गौरव का दिन था जब 27 लाख 51 हजार रुपये का चेक माननीय मुख्यमंत्री को सौंपा गया। इस अवसर पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री विनायक महामंड और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने परिषद के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि ऐसी संवेदनशीलता ही समाज को मजबूत बनाती है।

मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि यह राशि सीधे बाढ़ पीड़ितों की मदद में खर्च की जाएगी। राहत सामग्री, भोजन, कपड़े और पुनर्वास कार्यों में इस धन का उपयोग होगा।

समाज को मिला संदेश

जिला परिषद नागपुर की इस पहल ने पूरे समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। यह दिखाता है कि जब लोग मिलकर काम करते हैं तो बड़े से बड़े संकट का सामना किया जा सकता है। सरकारी कर्मचारियों की यह संवेदनशीलता अनुकरणीय है।

इस घटना ने यह भी साबित किया कि सामाजिक जिम्मेदारी केवल बड़े उद्योगपतियों या राजनेताओं की नहीं है। आम कर्मचारी भी अपने स्तर पर समाज की मदद कर सकते हैं। जब हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझता है, तो देश मजबूत बनता है।

आगे की योजनाएं

जिला परिषद नागपुर ने भविष्य में भी ऐसी पहलों को जारी रखने का संकल्प लिया है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि हम समय-समय पर सामाजिक कार्यों में भागीदारी करते रहेंगे। यह केवल धन देने तक सीमित नहीं है, बल्कि जरूरत पड़ने पर हम राहत कार्यों में सीधे भागीदारी भी करेंगे।

परिषद की योजना है कि आगे भी आपदा प्रबंधन और सामाजिक कल्याण के कार्यों में सक्रिय रहा जाए। इसके लिए एक स्थायी समिति भी बनाई जा सकती है जो ऐसे अवसरों पर तुरंत कार्रवाई कर सके।

जिला परिषद नागपुर का यह योगदान न केवल आर्थिक मदद है, बल्कि मानवीय संवेदना का प्रतीक है। ऐसे समय में जब समाज में स्वार्थ की भावना बढ़ रही है, यह पहल एक नई उम्मीद जगाती है। मराठवाड़ा के बाढ़ पीड़ितों के लिए यह राशि राहत का काम करेगी और उन्हें फिर से जीवन की राह पर लाने में मदद करेगी। नागपुर जिला परिषद के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को इस महान कार्य के लिए बधाई।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।