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तिरुपति मंदिर में सिल्क दुपट्टा स्कैम का भंडाफोड़, सामने आया लगभग 55 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला, जानें पूरा मामला

Tirupati Silk Dupatta Scam: तिरुपति मंदिर में सिल्क दुपट्टा स्कैम का भंडाफोड़
तिरुपति मंदिर (File Photo)
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Tirupati Silk Dupatta Scam: पिछले कुछ समय से तिरुपति तिरुमला देवस्थानम मंदिर कई विवादों में घिरा है, कभी लड्डू घोटाला तो कभी परकमानी अनियमितताएं। परंतु इस बार जो खुलासा हुआ है, उसने मंदिर प्रशासन और लाखों श्रद्धालुओं दोनों को हिलाकर रख दिया है। ट्रस्ट ने पहली बार स्वीकार किया है कि पिछले एक दशक तक श्रद्धालुओं और दानदाताओं को दिए जाने वाले ‘रेशमी दुपट्टे’ असल में रेशम के नहीं, बल्कि 100% पॉलिएस्टर के थे। लगभग 55 करोड़ रुपये का यह घोटाला अब आंध्र प्रदेश एंटी-करप्शन ब्यूरो के दायरे में है।

जाँच में कैसे खुली परतें

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के अध्यक्ष बीआर नायडू ने जब संदेह जताया तो ट्रस्ट ने गोदामों और मंदिर परिसर से दुपट्टों के नमूने उठाए। इन नमूनों को बेंगलुरु और धर्मवरम स्थित सेंट्रल सिल्क बोर्ड की प्रयोगशालाओं में भेजा गया। हर दुपट्टे में 100% पॉलिएस्टर ही पाया गया। कहीं भी शुद्ध शहतूत रेशम का कोई अंश मौजूद नहीं था। इससे यह साफ हो गया कि वर्षों से मंदिर प्रशासन को जानबूझकर ठगा जा रहा था।

कैसे हुआ करोड़ों का खेल

नियमों के अनुसार मंदिर में दानदाताओं को दिए जाने वाले दुपट्टों में—शुद्ध शहतूत रेशम, ताना-बाना में 20/22 डेनियर धागे का प्रयोग, न्यूनतम मोटाई 31.5 डेनियर, संस्कृत व तेलुगु में ‘ॐ नमो वेंकटेशाय’ अंकित, शंख, चक्र और नमम् के प्रतीक, निश्चित वजन, आकार और बॉर्डर डिज़ाइन होने चाहिए. लेकिन इनमें से कोई भी मानक पूरा नहीं किया गया।

सप्लायर फर्म ने 2015 से 2025 तक मंदिर को हजारों दुपट्टे सप्लाई किए, जिनकी कीमत रेशमी दुपट्टों की थी लेकिन माल पॉलिएस्टर का था। यही कारण है कि वित्तीय नुकसान 55 करोड़ रुपये तक पहुँच गया. ट्रस्ट की शुरुआती जांच में पाया गया कि नागरी स्थित VRS एक्सपोर्ट्स नामक फर्म को हाल ही में 15,000 नए दुपट्टों का ठेका दिया गया था। लेकिन रिपोर्ट आने के बाद यह ठेका तुरंत रोक दिया गया।

ACB यह पता लगाने में जुटी है कि—

  • इस धोखाधड़ी में कितने लोग शामिल थे
  • क्या प्रशासनिक स्तर पर किसी ने मिलीभगत की
  • और इतने वर्षों तक यह गड़बड़ी पकड़ी क्यों नहीं गई

परंपरा को ठगने का दर्द

तिरुमला मंदिर में वीआईपी दर्शन या दानदाताओं के सम्मान के समय रंगनायकुला मंडपम में रेशमी दुपट्टे भेंट किए जाते हैं। जब श्रद्धालु यह दुपट्टा लेते हैं, तो वे केवल एक कपड़ा नहीं, बल्कि भगवान वेंकटेश्वर के आशीर्वाद का प्रतीक ग्रहण करते हैं। ऐसे पावन प्रसाद में रेशम की जगह पॉलिएस्टर की आपूर्ति होना लोगों की आस्था से खिलवाड़ है।

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Dipali Kumari

दीपाली कुमारी पिछले तीन वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने रांची के गोस्सनर कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक सरोकारों, जन-जागरूकता और जमीनी मुद्दों पर लिखने में उनकी विशेष रुचि है। आम लोगों की आवाज़ को मुख्यधारा तक पहुँचाना और समाज से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों को धारदार लेखन के माध्यम से सामने लाना उनका प्रमुख लक्ष्य है।