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मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के सामने फिर प्रदर्शन, बीएलओ की बिगड़ती सेहत को लेकर हंगामा

BLO Protest: मुख्य निर्वाचन अधिकारी दफ्तर के सामने बीएलओ रक्षा समिति का जोरदार प्रदर्शन
BLO Protest: मुख्य निर्वाचन अधिकारी दफ्तर के सामने बीएलओ रक्षा समिति का जोरदार प्रदर्शन (File Photo)
पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना में बीएलओ देबाशीष दास एसआईआर कामकाज के दौरान बीमार पड़े और पीजी अस्पताल में भर्ती हुए। इस घटना के बाद बीएलओ रक्षा समिति ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी दफ्तर के सामने विरोध प्रदर्शन किया। समिति ने बीएलओ कर्मचारियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और काम के संतुलित बोझ की मांग की है।
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चुनावी कामकाज के दौरान बीएलओ की तबीयत बिगड़ी, अधिकारियों से मांगी जा रही है मदद

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में एक बार फिर से बीएलओ रक्षा समिति ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर के सामने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया है। यह प्रदर्शन नामखाना इलाके के बीएलओ देबाशीष दास की बिगड़ती सेहत को लेकर किया गया। देबाशीष दास चुनावी कामकाज के दौरान एसआईआर यानी सारांश पुनरीक्षण का काम करते समय अचानक बीमार पड़ गए और उन्हें पीजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बीएलओ रक्षा समिति के सदस्यों का कहना है कि चुनावी कामकाज के अत्यधिक बोझ और लगातार काम के दबाव के कारण कई बीएलओ अपनी सेहत खो रहे हैं। देबाशीष दास का मामला इसी समस्या की एक बड़ी मिसाल है। समिति ने अधिकारियों से मांग की है कि बीएलओ कर्मचारियों को उचित स्वास्थ्य सुविधाएं और काम का संतुलित बोझ दिया जाए।

चुनावी ड्यूटी में क्या होता है बीएलओ का काम

बूथ लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ चुनाव प्रक्रिया की रीढ़ माने जाते हैं। इनका काम मतदाता सूची तैयार करना, नए मतदाताओं का नामांकन करना, पुरानी सूची में सुधार करना और चुनाव के दौरान जमीनी स्तर पर तमाम जिम्मेदारियां निभाना होता है। खासकर एसआईआर यानी सारांश पुनरीक्षण का काम बेहद मेहनत और समय मांगने वाला होता है।

इस काम में बीएलओ को घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी इकट्ठा करनी होती है, उनके दस्तावेज जांचने होते हैं और फिर सभी आंकड़ों को दर्ज करना होता है। यह सब काम अक्सर बहुत कम समय में पूरा करने की मांग की जाती है, जिससे बीएलओ कर्मचारियों पर भारी दबाव बनता है।

देबाशीष दास का मामला

देबाशीष दास नामखाना क्षेत्र में बूथ लेवल ऑफिसर के तौर पर काम कर रहे थे। एसआईआर का काम करते समय उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। शुरुआत में उन्हें सामान्य बीमारी समझकर इलाज कराया गया, लेकिन जब हालत में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें पीजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

अस्पताल में भर्ती होने के बाद से देबाशीष दास की हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन डॉक्टरों ने कहा है कि अत्यधिक तनाव और थकान के कारण उनकी सेहत पर असर पड़ा है। इस घटना के बाद बीएलओ रक्षा समिति के सदस्य काफी नाराज हैं और उन्होंने चुनाव अधिकारियों से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

बीएलओ रक्षा समिति ने क्यों किया प्रदर्शन

बीएलओ रक्षा समिति ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर के सामने जमकर नारेबाजी की और अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। समिति के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब कोई बीएलओ काम के दबाव में बीमार पड़ा है। पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, लेकिन अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

समिति की मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:

बीएलओ कर्मचारियों को उचित स्वास्थ्य बीमा और चिकित्सा सुविधाएं दी जाएं

काम के घंटे निर्धारित किए जाएं और ओवरटाइम के लिए अलग से भुगतान हो

एसआईआर जैसे भारी कामकाज के लिए अतिरिक्त मानव संसाधन उपलब्ध कराया जाए

काम के दौरान बीमार पड़ने वाले कर्मचारियों को तुरंत इलाज और मुआवजा दिया जाए

कर्मचारियों की शिकायतों को सुनने के लिए एक स्थायी समिति बनाई जाए

बीएलओ कर्मचारियों की बढ़ती समस्याएं

पश्चिम बंगाल में बीएलओ कर्मचारियों की समस्याएं कोई नई बात नहीं हैं। लंबे समय से ये कर्मचारी अपने अधिकारों और बेहतर कामकाजी माहौल की मांग करते आ रहे हैं। चुनाव के समय इन पर काम का बोझ कई गुना बढ़ जाता है और कई बार तो उन्हें रात-रात भर काम करना पड़ता है।

इसके अलावा, बीएलओ को अक्सर अपने नियमित कामकाज के साथ-साथ चुनावी जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ती हैं, जिससे दोहरा बोझ पड़ता है। मानसिक और शारीरिक तनाव के कारण कई बार उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है।

सरकार और चुनाव आयोग की जिम्मेदारी

विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए बीएलओ कर्मचारियों की भूमिका बेहद अहम है। अगर इनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह पूरी चुनाव प्रणाली पर असर डाल सकता है।

चुनाव आयोग और राज्य सरकार को मिलकर इन कर्मचारियों के लिए बेहतर कामकाजी माहौल तैयार करना चाहिए। स्वास्थ्य सुविधाएं, उचित वेतन, काम के घंटे और मानसिक सहायता जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना जरूरी है।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया

मुख्य निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर से मिली जानकारी के अनुसार, अधिकारियों ने बीएलओ रक्षा समिति का ज्ञापन स्वीकार किया है और जल्द ही इस पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है। देबाशीष दास के इलाज के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है और उनके परिवार को आवश्यक सहायता प्रदान की जा रही है।

हालांकि, बीएलओ रक्षा समिति के सदस्यों का कहना है कि सिर्फ आश्वासन से काम नहीं चलेगा। उन्हें ठोस कदम और तुरंत सुधार की उम्मीद है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे और बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दे चुके हैं।

आगे का रास्ता

यह घटना एक बार फिर से यह सवाल खड़े करती है कि क्या हमारी चुनावी व्यवस्था में काम करने वाले जमीनी कर्मचारियों के साथ न्याय हो रहा है। लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि जो लोग इसकी नींव को मजबूत बनाते हैं, उनका ख्याल रखा जाए।

बीएलओ रक्षा समिति का यह आंदोलन सिर्फ एक व्यक्ति या एक घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करता है। सरकार, चुनाव आयोग और समाज को मिलकर इस दिशा में सोचना होगा और ठोस कदम उठाने होंगे।

देबाशीष दास की सेहत में जल्द सुधार की कामना करते हुए, यह उम्मीद की जाती है कि अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लेंगे और ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए प्रभावी उपाय करेंगे।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।