महाराष्ट्र विधान परिषद ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए हैदराबाद इनामे व नकद अनुदान समाप्त करने संबंधी संशोधन विधेयक 2025 को अपनी मंजूरी दे दी है। यह विधेयक विधानसभा द्वारा पहले ही पारित किया जा चुका था और अब परिषद की मंजूरी के बाद यह कानून बनने के करीब पहुंच गया है। इस ऐतिहासिक फैसले से प्रदेश के आठ जिलों में रहने वाले लगभग 70,000 नागरिकों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है।
विधेयक का उद्देश्य और महत्व
यह विधेयक मुख्य रूप से मराठवाड़ा क्षेत्र के कुछ जिलों सहित कुल आठ जिलों में फैली भूमि संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए लाया गया है। इन क्षेत्रों में ऐसी अनेक भूमि पाई जाती हैं जो निज़ामकालीन, जहांगीर, सरंजामशाही जैसे पुराने नामों और व्यवस्थाओं के तहत गाँव की सीमाओं में दर्ज हैं। इन भूमियों पर दशकों से लगे हुए पुराने ‘शेरा’ या टिप्पणियों के कारण हजारों परिवार अपनी ही जमीन पर पूर्ण अधिकार नहीं पा सके थे।
इस संशोधन विधेयक के माध्यम से अब इन पुरानी टिप्पणियों को हटाकर इन भूमियों को वर्ग-1 यानी Class-1 भूमि में परिवर्तित किया जाएगा। यह बदलाव भूमि मालिकों को पूर्ण स्वामित्व और अधिकार प्रदान करेगा तथा उन्हें बैंक ऋण, सरकारी योजनाओं का लाभ और भूमि के हस्तांतरण में भी सुविधा मिलेगी।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
निज़ामकालीन व्यवस्था के दौरान महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में विशेष प्रकार की भूमि व्यवस्था थी। हैदराबाद रियासत के अंतर्गत आने वाले इन क्षेत्रों में इनामे, जहांगीर और सरंजामशाही जैसी भूमि प्रणालियाँ प्रचलित थीं। इन व्यवस्थाओं के तहत जमीनें विभिन्न सेवाओं या उद्देश्यों के लिए दी जाती थीं।
स्वतंत्रता के बाद भी ये व्यवस्थाएं राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज रहीं और इन पर विभिन्न प्रतिबंध या ‘शेरा’ लगे रहे। इसके कारण भूमि मालिक अपनी जमीन का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाते थे। न तो वे इसे बेच सकते थे, न ही इसके आधार पर बैंक से कर्ज ले सकते थे। यह समस्या पीढ़ियों से चली आ रही थी और हजारों परिवारों के लिए एक बड़ी बाधा बन गई थी।
राजस्व मंत्री की घोषणा
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने विधान परिषद में इस विधेयक को प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह सरकार की जनहितकारी नीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने बताया कि इस फैसले से लगभग 70,000 नागरिकों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने इस मुद्दे पर व्यापक अध्ययन किया है और सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही यह निर्णय लिया गया है।
बावनकुले ने कहा कि यह संशोधन केवल कागजी कार्यवाही नहीं है बल्कि हजारों परिवारों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने वाला कदम है। भूमि को Class-1 में परिवर्तित करने से किसानों और भूमि मालिकों को कई सुविधाएं मिलेंगी।
किन जिलों को होगा लाभ
यह संशोधन विधेयक मुख्यतः मराठवाड़ा क्षेत्र के जिलों पर केंद्रित है, लेकिन इसका लाभ कुल आठ जिलों को मिलेगा। इन जिलों में औरंगाबाद, बीड, लातूर, नांदेड़, परभणी, जालना और अन्य आसपास के क्षेत्र शामिल हैं। इन सभी जिलों में निज़ामकालीन व्यवस्था के अवशेष आज भी राजस्व रिकॉर्ड में मौजूद हैं।
इन क्षेत्रों में हजारों एकड़ भूमि ऐसी है जिस पर पुराने ‘शेरा’ के कारण विकास कार्य नहीं हो पा रहे थे। अब इस संशोधन के बाद इन भूमियों का समुचित उपयोग संभव हो सकेगा।
Class-1 भूमि का महत्व
भूमि को Class-1 में परिवर्तित करने का अर्थ है कि उस पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध या सरकारी दावा नहीं रहेगा। Class-1 भूमि पर मालिक का पूर्ण स्वामित्व होता है और वह इसका किसी भी वैध उद्देश्य के लिए उपयोग कर सकता है। इस प्रकार की भूमि को बैंक संपत्ति के रूप में स्वीकार करते हैं और इसके आधार पर ऋण भी उपलब्ध कराते हैं।
किसानों और भूमि मालिकों के लिए यह एक बड़ी राहत होगी क्योंकि अब वे अपनी जमीन के आधार पर कृषि ऋण, व्यवसायिक ऋण या अन्य वित्तीय सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में भी कोई बाधा नहीं रहेगी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विधान परिषद में इस विधेयक पर विस्तृत चर्चा हुई। विपक्षी दलों ने भी इस पहल का स्वागत किया और इसे जनता के हित में एक सकारात्मक कदम बताया। हालांकि कुछ सदस्यों ने इसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता और तेजी की मांग की।
कुछ विधायकों ने यह भी सुझाव दिया कि इस प्रकार की भूमि समस्याएं प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी हो सकती हैं, इसलिए व्यापक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। राजस्व मंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार इस दिशा में भी विचार करेगी।
किसानों और जनता की खुशी
इस विधेयक की मंजूरी की खबर से प्रभावित क्षेत्रों में खुशी की लहर दौड़ गई है। दशकों से अपनी ही जमीन पर अधूरे अधिकारों के साथ जीवन बिताने वाले हजारों परिवारों को अब राहत मिलेगी। किसान संगठनों ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है।
स्थानीय किसान नेताओं का कहना है कि यह लंबे समय से चली आ रही मांग थी। अब जब यह विधेयक कानून बनेगा, तो हजारों परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा। वे अब अपनी जमीन का पूर्ण उपयोग कर सकेंगे और अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकेंगे।
आगे की प्रक्रिया
विधान परिषद की मंजूरी के बाद अब यह विधेयक राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद यह कानून बन जाएगा। इसके बाद राजस्व विभाग को इसे जमीनी स्तर पर लागू करने की जिम्मेदारी होगी।
विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी पात्र लाभार्थियों को समय पर लाभ मिले और प्रक्रिया में कोई भ्रष्टाचार न हो। इसके लिए विशेष अधिकारियों की नियुक्ति और जिला स्तर पर निगरानी समितियों का गठन किया जा सकता है।
दीर्घकालीन प्रभाव
यह संशोधन विधेयक केवल भूमि अधिकारों का मामला नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तिकरण का भी प्रश्न है। जब हजारों परिवारों को अपनी भूमि पर पूर्ण अधिकार मिलेंगे, तो वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। किसान अपनी जमीन के आधार पर ऋण लेकर आधुनिक कृषि में निवेश कर सकेंगे। छोटे व्यवसाय शुरू कर सकेंगे। शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च कर सकेंगे। इस प्रकार यह विधेयक समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
हैदराबाद इनामे व नकद अनुदान समाप्त करने संबंधी संशोधन विधेयक 2025 की मंजूरी महाराष्ट्र सरकार का एक दूरदर्शी निर्णय है। यह ऐतिहासिक पहल हजारों परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगी और भूमि संबंधी पुरानी समस्याओं का स्थायी समाधान प्रदान करेगी। 70,000 नागरिकों को सीधा लाभ देने वाला यह विधेयक सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास दोनों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।