Nagpur Cancer Hospital: जब कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की बात आती है, तो सबसे पहले मन में दो सवाल उठते हैं – क्या इलाज संभव है और क्या हम इसका खर्च उठा पाएंगे? खासकर मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों के लिए कैंसर का इलाज एक बड़ा आर्थिक बोझ बन जाता है। लेकिन नागपुर के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (एनसीआई) में जो काम हो रहा है, वह न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक उम्मीद की किरण है।
शनिवार को जब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री प्रकाश आबिटकर ने एनसीआई का दौरा किया, तो उन्होंने जो संतोष व्यक्त किया, वह सिर्फ औपचारिकता नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यहां विश्वस्तरीय कैंसर उपचार किफायती दरों पर उपलब्ध हो रहे हैं। यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर हम देखते हैं कि उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सुविधाएं सिर्फ अमीरों तक सीमित रह जाती हैं।
एनसीआई में क्या हो रहा है खास
नागपुर का नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट आज सिर्फ एक अस्पताल नहीं रह गया है, बल्कि यह विदर्भ और आसपास के क्षेत्रों के लिए कैंसर उपचार का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। स्वास्थ्य मंत्री ने अपने दौरे के दौरान यहां की मरीज सेवा, उपचार पद्धतियों, आधुनिक मशीनरी और अनुसंधान सुविधाओं का विस्तृत जायजा लिया।
मुझे लगता है कि यह दौरा महज एक औपचारिक निरीक्षण नहीं था। जब एक स्वास्थ्य मंत्री खुद जमीनी स्तर पर जाकर सुविधाओं का जायजा लेता है, तो यह दर्शाता है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है। मंत्री आबिटकर ने कैंसर के विभिन्न प्रकारों पर उपलब्ध उपचारों की जानकारी ली – कीमोथेरपी, रेडियोथेरपी, शल्य चिकित्सा और इम्यूनोथेरपी जैसे उन्नत उपचार यहां उपलब्ध हैं।

आधुनिक तकनीक और किफायती इलाज का संगम
एनसीआई की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां अत्याधुनिक मशीनरी और तकनीक के साथ-साथ आम मरीजों की पहुंच में रहने वाली कीमतें भी हैं। अक्सर हम सुनते हैं कि कैंसर का इलाज इतना महंगा है कि परिवारों को अपनी जमीन-जायदाद तक बेचनी पड़ती है। लेकिन जब सरकारी संस्थान विश्वस्तरीय इलाज किफायती दरों पर उपलब्ध कराते हैं, तो यह वास्तव में जीवनरक्षक साबित होता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों को ये सुविधाएं सुलभ होनी चाहिए। उन्होंने सरकारी स्तर पर आवश्यक कदम उठाने का भरोसा दिलाया। यह आश्वासन महत्वपूर्ण है क्योंकि कैंसर का इलाज सिर्फ शहरी अमीरों का विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए।
बढ़ते कैंसर मामलों पर चिंता
स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य में बढ़ते कैंसर रोगियों की संख्या पर गहरी चिंता व्यक्त की। और सच कहूं तो यह चिंता जायज भी है। आज हमारे आसपास ऐसा कोई परिवार नहीं है जो कैंसर के किसी मरीज से अछूता हो। पहले कैंसर को एक दुर्लभ बीमारी माना जाता था, लेकिन आज यह एक आम समस्या बन चुकी है।
मंत्री आबिटकर ने कैंसर बढ़ने के कई कारण गिनाए – बदलती जीवनशैली, तंबाकू और नशे की आदतें, आहार में बदलाव और पर्यावरणीय कारण। ये सभी कारण हमारे सामने हैं, फिर भी हम इन्हें नजरअंदाज करते रहते हैं।
जीवनशैली और कैंसर का रिश्ता
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपने स्वास्थ्य को सबसे पीछे रख देते हैं। फास्ट फूड, प्रोसेस्ड खाना, शारीरिक निष्क्रियता, तनाव, धूम्रपान और शराब – ये सब धीरे-धीरे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं। विडंबना यह है कि हम इन सब चीजों को जानते हुए भी इन्हें अपनाते जा रहे हैं।
तंबाकू सेवन तो भारत में, खासकर महाराष्ट्र और विदर्भ क्षेत्र में एक बड़ी समस्या है। गुटखा, पान मसाला, बीड़ी, सिगरेट – ये सब मुंह, गले और फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण हैं। लेकिन इनके खिलाफ जागरूकता अभी भी बहुत कम है।
रोकथाम और शीघ्र निदान पर जोर
स्वास्थ्य मंत्री ने बिल्कुल सही कहा है कि कैंसर की रोकथाम, शीघ्र निदान और जनजागरूकता पर ध्यान देना जरूरी है। कैंसर का इलाज तभी सफल हो सकता है जब उसका पता शुरुआती चरण में चल जाए। लेकिन हमारे यहां ज्यादातर मरीज तब आते हैं जब बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है।
इसके पीछे दो कारण हैं – एक तो जागरूकता की कमी और दूसरा, नियमित स्वास्थ्य जांच की आदत का न होना। हमें यह समझना होगा कि नियमित चेकअप और शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करना कितना महत्वपूर्ण है।
विदर्भ के लिए वरदान
एनसीआई जैसी संस्थाओं के कारण विदर्भ सहित पूरे राज्य के मरीजों को उच्चस्तरीय उपचार मिल रहा है। यह बात बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि पहले विदर्भ के मरीजों को मुंबई, पुणे या दिल्ली जाना पड़ता था। इससे न केवल आर्थिक बोझ बढ़ता था बल्कि मानसिक और शारीरिक कष्ट भी होता था।
अब जब नागपुर में ही विश्वस्तरीय सुविधाएं मिल रही हैं, तो यह क्षेत्र के लोगों के लिए एक बड़ी राहत है। परिवार के सदस्य मरीज के पास रह सकते हैं, भाषा की दिक्कत नहीं होती, और स्थानीय स्तर पर इलाज होने से भावनात्मक सहारा भी मिलता है।
सरकार का भरोसा और भविष्य की योजनाएं
स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने आश्वासन दिया है कि राज्यभर के कैंसर अस्पतालों में इस तरह की गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग आवश्यक सहयोग करेगा। यह वादा उम्मीद जगाता है कि एनसीआई का मॉडल राज्य के अन्य हिस्सों में भी दोहराया जाएगा।
लेकिन यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि सिर्फ संस्थाएं खोलना काफी नहीं है। उन्हें प्रशिक्षित डॉक्टरों, आधुनिक उपकरणों और पर्याप्त बजट के साथ चलाना होगा। साथ ही, मरीजों तक इन सुविधाओं की जानकारी पहुंचाना और उन्हें सुलभ बनाना भी जरूरी है।
व्यक्तिगत नजरिया
मेरे विचार में, एनसीआई का यह कार्य सिर्फ चिकित्सा सेवा नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक सेवा है। जब गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सभी के लिए सुलभ होती हैं, तो यह एक समतामूलक समाज की नींव रखता है। स्वास्थ्य मंत्री का यह दौरा और उनकी प्रतिबद्धता सकारात्मक संकेत है।
लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि सरकार अकेले सब कुछ नहीं कर सकती। हमें खुद भी जिम्मेदार बनना होगा – स्वस्थ जीवनशैली अपनानी होगी, नशे से दूर रहना होगा, और नियमित स्वास्थ्य जांच करानी होगी। तभी कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ाई में हम सफल हो सकते हैं।