नागपुर में आज एक ऐसी बैठक हुई जो विदर्भ के हजारों संतरा किसानों के लिए नई सुबह लेकर आ सकती है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित इस उच्चस्तरीय बैठक में संतरा, मौसंबी और नींबूवर्गीय फलों की खेती करने वाले किसानों के भविष्य को संवारने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
विदर्भ के किसानों की आवाज बनी प्राथमिकता
विदर्भ महाराष्ट्र का वह क्षेत्र है जहां संतरे की खेती किसानों की आजीविका का मुख्य साधन है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में घटिया गुणवत्ता वाली पौध, बाजार में उचित मूल्य न मिलना और निर्यात में आने वाली बाधाओं ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए नागपुर में यह बैठक बुलाई गई, जिसमें शासन स्तर पर ठोस और दीर्घकालिक समाधान खोजने का प्रयास किया गया।
बैठक का मूल उद्देश्य सिर्फ किसानों को राहत देना नहीं, बल्कि विदर्भ के फल उत्पादन को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना था। यह कदम किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
नर्सरियों का पंजीकरण अब होगा अनिवार्य
बैठक में सबसे अहम फैसला यह लिया गया कि अब नींबूवर्गीय फसलों की नर्सरियों को राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक किसानों को कई बार घटिया गुणवत्ता की पौध मिल जाती थी, जिससे उनकी फसल प्रभावित होती थी।
इसके साथ ही सभी नर्सरियों का मानकीकरण, ग्रेडिंग और प्रमाणन भी लागू किया जाएगा। इससे किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौध मिल सकेगी और उनका उत्पादन बेहतर होगा। यह व्यवस्था न केवल किसानों के लिए फायदेमंद होगी, बल्कि पूरे विदर्भ की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूती देगी।
कानून में भी होंगे जरूरी संशोधन
महाराष्ट्र फल पौधशाला (नियमन) अधिनियम, 1969 में नींबूवर्गीय फसलों से जुड़े आवश्यक संशोधन करने का भी निर्णय लिया गया। यह कानूनी ढांचा किसानों को दीर्घकालिक सुरक्षा और लाभ सुनिश्चित करने में मददगार साबित होगा। इन सुधारों से उत्पादन में निरंतरता आएगी और किसानों की आय में स्थिरता बनी रहेगी।
वैश्विक बाजार में मिलेगी मजबूत पहचान
बैठक में संतरा और मौसंबी की उत्पादन गुणवत्ता बढ़ाने के साथ-साथ निर्यात क्षमता में सुधार पर भी विशेष ध्यान दिया गया। विदर्भ के संतरे की गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में काम शुरू होगा। इससे न केवल किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे, बल्कि विदर्भ की पहचान वैश्विक फल बाजार में भी मजबूत होगी।
यह पहल उन किसानों के लिए राहत की सांस है जो कई बार अपनी फसल का उचित मूल्य न मिलने से निराश हो जाते थे। अब उन्हें यह भरोसा होगा कि उनकी मेहनत रंग लाएगी और उनका उत्पाद अच्छे दामों पर बिकेगा।
बैठक में शामिल हुए दिग्गज
इस महत्वपूर्ण बैठक में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अलावा फलोत्पादन मंत्री भरतशेठ गोगावले, कृषि मंत्री दत्तामामा भरणे, कृषि राज्य मंत्री एडवोकेट आशिष जयस्वाल, अपर मुख्य सचिव विकासचंद्र रस्तोगी, कृषि आयुक्त सूरज मांढरे, फलोत्पादन संचालक अंकुश माने और डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. शरद गडाख समेत कृषि विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
इतने उच्चस्तरीय अधिकारियों की उपस्थिति यह दर्शाती है कि सरकार विदर्भ के किसानों की समस्याओं को लेकर कितनी गंभीर है। यह बैठक महज एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि किसानों के भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम था।
किसानों के लिए आशा की किरण
विदर्भ के संतरा किसानों के लिए यह बैठक आशा की नई किरण लेकर आई है। अब तक जो समस्याएं उन्हें परेशान करती रहीं, उनका समाधान शासन स्तर पर खोजा जा रहा है। गुणवत्तापूर्ण पौध की उपलब्धता, बेहतर उत्पादन, अच्छे दाम और वैश्विक बाजार में पहचान – यह सब अब दूर का सपना नहीं रहा।
यह पहल न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाएगी, बल्कि विदर्भ क्षेत्र के समग्र विकास में भी योगदान देगी। संतरा उत्पादन के क्षेत्र में विदर्भ की पहचान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का यह प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है और आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।