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नागपुर के तागा अस्पताल में प्रसव के दौरान नवजात की मौत, परिजनों ने किया हंगामा

Nagpur Daga Hospital Newborn Death: नागपुर के सरकारी अस्पताल में प्रसव के दौरान बच्चे की मौत से मचा बवाल
Nagpur Daga Hospital Newborn Death: नागपुर के सरकारी अस्पताल में प्रसव के दौरान बच्चे की मौत से मचा बवाल (File Photo)
नागपुर के तागा सरकारी अस्पताल में प्रसव के दौरान नवजात शिशु की मौत हो गई। परिजनों ने चिकित्सा लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल में हंगामा किया। परिवार का कहना है कि समय पर सही इलाज न मिलने से बच्चे की जान गई। प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। यह घटना सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी और लापरवाही को उजागर करती है।
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नागपुर शहर के प्रमुख सरकारी अस्पताल तागा हॉस्पिटल में एक बार फिर से चिकित्सा लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां एक महिला की प्रसव के दौरान नवजात शिशु की मौत हो गई, जिसके बाद अस्पताल परिसर में परिजनों ने जमकर हंगामा काटा। यह घटना एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में मिल रही चिकित्सा सुविधाओं और डॉक्टरों की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करती है।

घटना का पूरा विवरण

नागपुर के तागा सरकारी अस्पताल में भर्ती एक गर्भवती महिला की डिलीवरी के दौरान नवजात शिशु की मौत का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में चिकित्सकों और स्टाफ की लापरवाही के कारण यह दुखद घटना हुई। जैसे ही परिवार के सदस्यों को बच्चे की मौत की खबर मिली, अस्पताल में तनाव का माहौल बन गया।

घटना के बाद मृतक शिशु के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और चिकित्सा लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। परिजनों का कहना है कि समय पर सही इलाज और देखभाल मिलती तो शायद बच्चे की जान बचाई जा सकती थी।

परिजनों के आरोप

मृतक नवजात के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने प्रसव के दौरान लापरवाही बरती। उनका कहना है कि महिला को समय पर ऑपरेशन थियेटर में नहीं ले जाया गया और न ही जरूरी जांच समय पर की गई। परिजनों के अनुसार, जब महिला की हालत बिगड़ने लगी तब भी डॉक्टरों ने गंभीरता से नहीं लिया।

परिवार के सदस्यों ने बताया कि महिला काफी समय से दर्द में थी लेकिन उसे सही समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिली। जब स्थिति बहुत खराब हो गई तब जाकर डॉक्टरों ने ध्यान दिया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। प्रसव के बाद जब बच्चा पैदा हुआ तो वह मृत था।

अस्पताल में हंगामा

नवजात की मौत की खबर मिलते ही अस्पताल परिसर में हंगामा मच गया। शिशु के परिजनों और उनके साथियों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। लोगों ने चिकित्सा लापरवाही के खिलाफ नारे लगाए और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंची और स्थिति को संभालने का प्रयास किया। पुलिस ने परिजनों को शांत कराने की कोशिश की और उन्हें आश्वासन दिया कि मामले की जांच की जाएगी। हालांकि, परिजन अभी भी न्याय की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि लापरवाही करने वाले डॉक्टरों और स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।

प्रशासन का जवाब

घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। अस्पताल के अधिकारियों ने कहा है कि पूरे मामले की विस्तृत जांच की जाएगी और अगर किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई गई तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि महिला की डिलीवरी की पूरी प्रक्रिया और उससे जुड़े सभी रिकॉर्ड की जांच की जा रही है। साथ ही, उस समय ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ से भी पूछताछ की जा रही है। अधिकारियों ने परिजनों को आश्वासन दिया है कि सच्चाई सामने आने के बाद जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

सरकारी अस्पतालों की स्थिति

यह घटना एक बार फिर महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में मिल रही चिकित्सा सुविधाओं पर सवाल खड़े करती है। नागपुर जैसे बड़े शहर में भी सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की कमी, डॉक्टरों की लापरवाही और स्टाफ की कमी आम समस्या बन गई है।

गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन वहां मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता अक्सर संतोषजनक नहीं होती। डॉक्टरों की कमी, पुरानी मशीनें, दवाओं की कमी और स्टाफ की लापरवाही जैसी समस्याएं आम बात हो गई हैं।

मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की चुनौतियां

भारत में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। लेकिन सरकारी अस्पतालों में ऐसी घटनाएं इन प्रयासों पर पानी फेर देती हैं। प्रसव के दौरान होने वाली मौतें न केवल एक परिवार को तोड़ती हैं बल्कि समाज में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति अविश्वास भी पैदा करती हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि प्रसव के दौरान होने वाली ज्यादातर मौतों को सही समय पर सही इलाज और देखभाल से रोका जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि अस्पतालों में पर्याप्त डॉक्टर और स्टाफ हों, आधुनिक उपकरण उपलब्ध हों और चिकित्सकीय प्रक्रिया में किसी भी तरह की लापरवाही न हो।

जनता की मांग

इस घटना के बाद स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने भी आवाज उठाई है। लोगों की मांग है कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाया जाए और डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए। साथ ही, लापरवाही करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा है कि सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। खासकर गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए विशेष व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने मांग की है कि हर सरकारी अस्पताल में प्रसव के लिए आधुनिक सुविधाएं और प्रशिक्षित स्टाफ उपलब्ध हो।

आगे की राह

नागपुर के तागा अस्पताल में हुई यह दुखद घटना एक चेतावनी है कि अगर समय रहते सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो ऐसी घटनाएं बढ़ती रहेंगी। सरकार को इस मामले में गंभीरता से सोचने और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह नियमित रूप से अस्पतालों की जांच करे, डॉक्टरों और स्टाफ के प्रशिक्षण की व्यवस्था करे और लापरवाही के मामलों में तुरंत कार्रवाी करे। साथ ही, मरीजों और उनके परिजनों के लिए शिकायत तंत्र को भी मजबूत बनाया जाए ताकि समय पर समस्याओं का समाधान हो सके।

यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि स्वास्थ्य हमारा मौलिक अधिकार है और सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह हर नागरिक को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराए। नवजात की इस मौत को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए बल्कि इसे एक सबक मानकर व्यवस्था में सुधार करना चाहिए।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।