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किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों को मिला न्याय, ED ने लौटाए 312 करोड़ रुपये

Kingfisher Airline
किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों को मिला न्याय (File Photo)
प्रवर्तन निदेशालय ने किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों को 312 करोड़ रुपये लौटाए। चेन्नई डीआरटी की अनुमति के बाद यह राशि ऑफिशियल लिक्विडेटर को सौंपी गई। यह फैसला वर्षों से लंबित कर्मचारियों के बकाए के निपटारे की दिशा में अहम कदम है।
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Kingfisher Airlines: किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों के लिए गुरुवार का दिन केवल एक खबर नहीं, बल्कि वर्षों से दबे दर्द और इंतजार के अंत का प्रतीक बनकर आया। प्रवर्तन निदेशालय ने घोषणा की कि उसने 312 करोड़ रुपये की राशि उन कर्मचारियों को लौटाने की प्रक्रिया पूरी कर दी है, जिनका वेतन और अन्य बकाया लंबे समय से अटका हुआ था। यह फैसला सिर्फ आर्थिक राहत नहीं, बल्कि उस भरोसे की वापसी है, जो समय के साथ व्यवस्था से उठने लगा था।

इस रकम को चेन्नई स्थित डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल की अनुमति के बाद ऑफिशियल लिक्विडेटर को ट्रांसफर किया गया है, ताकि इसे किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों में बांटा जा सके। जिन लोगों ने कभी आसमान में उड़ान भरने का सपना देखा था, उनके लिए यह राशि उस संघर्ष की भरपाई है, जो उन्होंने जमीन पर झेलने को मजबूर होकर किया।

वर्षों पुराने घावों पर मरहम

किंगफिशर एयरलाइंस का पतन केवल एक कंपनी के डूबने की कहानी नहीं था, बल्कि हजारों कर्मचारियों के जीवन की दिशा बदल देने वाली घटना थी। पायलट, केबिन क्रू, इंजीनियर और ग्राउंड स्टाफ—सभी ने अपने भविष्य की योजनाओं को बिखरते देखा। महीनों तक वेतन न मिलना, घर की जिम्मेदारियां निभाने में कठिनाई और सामाजिक असुरक्षा ने इन परिवारों को भीतर तक झकझोर दिया। 312 करोड़ रुपये की यह वापसी उन घावों पर मरहम की तरह है, जो समय के साथ और गहरे होते चले गए थे।

क्या है पूरा मामला

विजय माल्या के खिलाफ सीबीआई द्वारा लोन फ्रॉड का मामला दर्ज किए जाने के बाद यह प्रकरण राष्ट्रीय चर्चा में आया। जांच आगे बढ़ी तो माल्या देश छोड़कर लंदन चला गया। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।

जनवरी 2019 में विजय माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया। जांच के दौरान ईडी ने पीएमएलए के तहत 5,042 करोड़ रुपये की संपत्तियों की पहचान कर उन्हें जब्त किया और इसके अलावा 1,695 करोड़ रुपये की अतिरिक्त संपत्तियों को अटैच किया गया।

बाद में एक विशेष पीएमएलए अदालत ने आदेश दिया कि डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल के माध्यम से एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंक कंसोर्टियम को अटैच की गई संपत्तियां लौटाई जाएं। ईडी ने इन संपत्तियों को बैंकों को वापस किया, जिनकी बिक्री से कुल 14,132 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई। इन्हीं फंड्स से कर्मचारियों के बकाए को चुकाने का रास्ता साफ हुआ। यह प्रक्रिया आसान नहीं थी, लेकिन कानूनी सहमति और संस्थानों के आपसी समन्वय से इसे संभव बनाया गया।

प्रवर्तन निदेशालय की भूमिका

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ईडी ने कर्मचारियों के वर्षों से लंबित दावों को प्राथमिकता देने के लिए सभी संबंधित पक्षों के साथ समन्वय किया। एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया गया कि वापस मिली संपत्तियों का उपयोग पहले कर्मचारियों के भुगतान के लिए हो।

एसबीआई ने डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में एक अंतरिम आवेदन दाखिल कर कर्मचारियों के बकाए को सिक्योर्ड क्रेडिटर्स के दावों से पहले रखने पर सहमति जताई। यह कदम दिखाता है कि जब संस्थाएं संवेदनशीलता के साथ काम करती हैं, तो न्याय केवल कागजों तक सीमित नहीं रहता।

कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी

यह फैसला उन हजारों कर्मचारियों के लिए उम्मीद की नई किरण है, जिन्होंने वर्षों तक न्याय की प्रतीक्षा की। यह केवल धन की वापसी नहीं, बल्कि आत्मसम्मान की बहाली भी है। कई कर्मचारियों के लिए यह राशि बच्चों की पढ़ाई, कर्ज चुकाने और जीवन को दोबारा पटरी पर लाने में मददगार साबित होगी।

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Dipali Kumari

दीपाली कुमारी पिछले तीन वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने रांची के गोस्सनर कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक सरोकारों, जन-जागरूकता और जमीनी मुद्दों पर लिखने में उनकी विशेष रुचि है। आम लोगों की आवाज़ को मुख्यधारा तक पहुँचाना और समाज से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों को धारदार लेखन के माध्यम से सामने लाना उनका प्रमुख लक्ष्य है।