Bangladesh Violence: बांग्लादेश एक बार फिर हिंसा और अस्थिरता के दौर में फंसता नजर आ रहा है। जुलाई विद्रोह के प्रमुख चेहरा और ‘इंकलाब मंच’ के संस्थापक शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देश के कई हिस्सों में उग्र प्रदर्शन और हिंसक घटनाएं सामने आ रही हैं। राजनीतिक आक्रोश, धार्मिक उन्माद और भीड़ की हिंसा ने मिलकर हालात को इस कदर बिगाड़ दिया है कि आम नागरिकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा ने न केवल मीडिया संस्थानों और सत्तारूढ़ अवामी लीग को निशाना बनाया, बल्कि इसका सबसे भयावह रूप अल्पसंख्यकों के खिलाफ भीड़ हिंसा के रूप में सामने आया। मैमनसिंह जिले में एक हिंदू युवक की पीट-पीटकर हत्या ने पूरे घटनाक्रम को और संवेदनशील बना दिया है।
हादी की मौत के बाद उबाल
शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश की कट्टर राजनीति में एक उभरता हुआ नाम थे। जुलाई विद्रोह के नेता के रूप में उनकी पहचान युवाओं के बीच खास थी। वह ढाका-8 संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे। 12 दिसंबर को चुनाव प्रचार के दौरान बैटरी रिक्शा पर सवार हादी पर नकाबपोश हमलावरों ने गोलियां चलाईं।
गंभीर रूप से घायल हादी को पहले स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत में सुधार न होने पर उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया। तमाम प्रयासों के बावजूद 18 दिसंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया। उनकी मौत की खबर फैलते ही देशभर में आक्रोश फूट पड़ा।
मीडिया और सियासी ठिकानों पर हमला
हादी की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया। कई अखबारों और मीडिया संस्थानों के दफ्तरों को निशाना बनाया गया। ढाका में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के ऐतिहासिक आवास 32 धानमंडी में तोड़फोड़ की गई।
इसके अलावा अवामी लीग से जुड़े कई नेताओं के घरों और कार्यालयों में आगजनी की घटनाएं सामने आईं। यह हिंसा केवल गुस्से की अभिव्यक्ति नहीं थी, बल्कि सत्ता संरचनाओं और प्रतीकों पर सीधा हमला थी।
भीड़ हिंसा का भयावह चेहरा
इसी उथल-पुथल के बीच मैमनसिंह जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। गुरुवार रात भालुका उपजिला के दुबलिया पाड़ा इलाके में कथित ईशनिंदा के आरोप में एक हिंदू युवक दीपु चंद्र दास की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी।
बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के अनुसार, दीपु एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करता था और उसी इलाके में किराए के मकान में रहता था। आरोप है कि कुछ स्थानीय लोगों ने उस पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया और रात करीब नौ बजे उस पर हमला कर दिया।
हत्या के बाद भी नहीं थमा उन्माद
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, दीपु की हत्या के बाद भी भीड़ का उन्माद शांत नहीं हुआ। अल्लाहू अकबर के नारे लगाते हुए उसके शव को एक पेड़ से बांधा गया और फिर आग के हवाले कर दिया गया। बाद में पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित करते हुए शव को बरामद किया।
शव को पोस्टमॉर्टम के लिए मैमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया है। पुलिस का कहना है कि फिलहाल औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है और पीड़ित के परिजनों का पता लगाया जा रहा है।
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल
यह घटना बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर पुरानी चिंताओं को फिर से सामने ले आई है। पश्चिम बंगाल भाजपा इकाई ने इस हत्या की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि धार्मिक पहचान के आधार पर की गई बर्बरता है।
सोशल मीडिया पर इस घटना के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनकी भयावहता ने लोगों को झकझोर दिया है। हालांकि इन वीडियो की प्रामाणिकता की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन उनका प्रसार माहौल को और तनावपूर्ण बना रहा है।
भारत विरोधी नारे और राजनयिक तनाव
हादी की हत्या के बाद उग्र प्रदर्शनकारियों ने भारत पर आरोप लगाया कि उसने कथित हत्यारों को शरण दी है। नई दिल्ली के खिलाफ नारे लगाए गए और अंतरिम सरकार से भारतीय उच्चायोग को बंद करने की मांग की गई।
चटगांव में तड़के करीब डेढ़ बजे सहायक भारतीय उच्चायुक्त के आवास पर पत्थर फेंके गए। हालांकि किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है, लेकिन यह घटना राजनयिक संबंधों के लिहाज से गंभीर मानी जा रही है।
यूनुस की अपील और सरकारी आश्वासन
हिंसा से जूझ रहे देश को संबोधित करते हुए बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि शरीफ उस्मान हादी की हत्या में शामिल लोगों को जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।
यूनुस ने यह भी घोषणा की कि सरकार हादी की पत्नी और बच्चों की जिम्मेदारी उठाएगी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया और लाठीचार्ज किया, जिसमें 12 लोगों की गिरफ्तारी हुई।