Dipu Chandra Das: बांग्लादेश एक बार फिर सामाजिक तनाव, राजनीतिक अस्थिरता और अल्पसंख्यक सुरक्षा के गंभीर सवालों से घिर गया है। मैमनसिंह जिले के बालुका क्षेत्र में 27 वर्षीय सनातन हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। यह घटना केवल एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि उस डर और असुरक्षा का प्रतीक बन गई है, जो आज बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय महसूस कर रहा है।
इसी बीच मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को जानकारी दी कि इस जघन्य हत्या के मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। रैपिड एक्शन बटालियन द्वारा की गई यह कार्रवाई कानून व्यवस्था को संभालने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है.
किशोर से लेकर अधेड़ उम्र के लोग शामिल
दीपू चंद्र दास की हत्या जिस तरह से की गई, उसने मानवता को शर्मसार किया है। कथित तौर पर ईशनिंदा के आरोप में युवक को भीड़ ने घेरकर पीटा और बाद में उसके शव को आग के हवाले कर दिया गया। यह घटना बताती है कि किस तरह अफवाहें और धार्मिक कट्टरता कानून से ऊपर खड़ी होती जा रही हैं। सरकार ने सात संदिग्धों को हिरासत में लिया है, जिनमें किशोर से लेकर अधेड़ उम्र के लोग शामिल हैं.
रैपिड एक्शन बटालियन की कार्रवाई
यूनुस के अनुसार, RAB-14 ने समन्वित अभियान चलाकर अलग-अलग स्थानों से संदिग्धों को गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई त्वरित जरूर है, लेकिन यह भी सच है कि ऐसी घटनाएं पहले भी होती रही हैं। हर बार सरकार सख्त बयान देती है, पर जमीनी हकीकत बहुत धीरे बदलती है।
हादी की मौत के बाद सुलगता बांग्लादेश
युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत ने बांग्लादेश की राजनीति और समाज को और अधिक अस्थिर कर दिया है। सिंगापुर से जब उनका शव ढाका पहुंचा, उसके कुछ ही घंटों बाद राजधानी में हिंसा भड़क उठी। सांस्कृतिक संगठनों के कार्यालयों को आग के हवाले किया गया, अखबारों पर हमले हुए और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया।
हादी जुलाई में हुए सरकार विरोधी आंदोलनों का एक प्रमुख चेहरा थे। उनकी हत्या ने आक्रोश को जन्म दिया, लेकिन इस आक्रोश का हिंसा में बदल जाना राज्य की विफलता को भी उजागर करता है। चट्टगांव में भारतीय सहायक उच्चायुक्त के आवास पर पथराव की घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता बढ़ा दी है।
संयम की अपील
मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की है और दोषियों को सख्त सजा दिलाने का आश्वासन दिया है। बयान मजबूत हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रशासनिक ढांचा इतना सक्षम है कि वह उग्र भीड़, राजनीतिक गुस्से और धार्मिक कट्टरता को एक साथ नियंत्रित कर सके।
हिंदू युवक की हत्या और उसके बाद फैली हिंसा ने अल्पसंख्यकों के मन में भय और अविश्वास और गहरा कर दिया है। उन्हें केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि यह भरोसा चाहिए कि राज्य उनके साथ खड़ा है, सिर्फ कागजी बयान नहीं बल्कि ठोस कार्रवाई के रूप में।