अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने और चांदी की कीमतों ने एक बार फिर नई ऊंचाई छू ली है। यह तेजी केवल सामान्य बाजार हलचल नहीं है, बल्कि दुनिया भर में बढ़ते भूराजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता का सीधा परिणाम है। निवेशक अब सोने और चांदी को सिर्फ कीमती धातु के रूप में नहीं, बल्कि सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में देख रहे हैं। गोल्डमान साक्स जैसी प्रमुख वित्तीय संस्थाओं का अनुमान है कि सोने की कीमत दिसंबर 2026 तक 4,900 डॉलर (लगभग 4.39 लाख रुपये) प्रति औंस तक पहुंच सकती है।
हाल के दिनों में क्यों बढ़ी सोने की मांग
पिछले कुछ हफ्तों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनके कारण निवेशकों का रुझान सुरक्षित संपत्ति की ओर बढ़ा है। अमेरिकी सुरक्षा कार्रवाइयों में तेजी आई है, जिससे ऊर्जा मार्गों और संघर्ष क्षेत्रों में जोखिम बढ़ गया है। इस तरह की अनिश्चितता में निवेशक ऐसी संपत्तियों की ओर रुख करते हैं जो राजनीतिक उथल-पुथल से अछूती रहती हैं।
वेनेजुएला मामले का असर
वेनेजुएला को लेकर अमेरिकी कार्रवाई ने बाजार में खलबली मचा दी है। अमेरिकी अधिकारी वेनेजुएला से तेल भेजने वाले एक और टैंकर की खोज कर रहे हैं। हाल ही में एक ऐसे जहाज को जब्त किया गया था जो औपचारिक रूप से प्रतिबंधित नहीं था। यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस आदेश के बाद आया जिसमें उन्होंने वेनेजुएला से आने या जाने वाले प्रतिबंधित टैंकरों की पूर्ण नाकाबंदी का निर्देश दिया था।
बाजार के लिए संदेश साफ था। ऊर्जा प्रवाह के आसपास जोखिम बढ़ रहा है और गलत फैसले की संभावना भी बढ़ रही है। कीमती धातुओं के लिए इस तरह की अनिश्चितता अन्य जगहों पर जोखिम को कम करती है और पूंजी को उन संपत्तियों की ओर मोड़ती है जो स्थिर व्यापार मार्गों पर निर्भर नहीं हैं।
मध्य पूर्व में सैन्य गतिविधियां
मध्य पूर्व में सैन्य घटनाक्रमों ने इस पृष्ठभूमि को और मजबूत किया है। अमेरिकी सेना ने जॉर्डन के सहयोग से सीरिया में सत्तर से अधिक लक्ष्यों पर हमला किया। यह कार्रवाई एक हमले के जवाब में की गई जिसमें तीन अमेरिकी नागरिकों की मौत हो गई थी। हालांकि ये घटनाएं सीधे तौर पर सोने या चांदी की आपूर्ति या मांग को प्रभावित नहीं करतीं, लेकिन ये इस भावना को बढ़ाती हैं कि भूराजनीतिक तनाव अब कभी-कभार होने वाली घटना नहीं रही।
इसके बजाय, यह निवेश परिदृश्य की एक स्थायी विशेषता बनती जा रही है। ऐसे माहौल में सोना और चांदी कम वस्तुओं की तरह और अधिक वैकल्पिक मौद्रिक संपत्तियों की तरह व्यापार करते हैं।
कीमतों में रिकॉर्ड उछाल
कीमतों में उतार-चढ़ाव ने इस बदलाव को स्पष्ट रूप से दर्शाया। स्पॉट गोल्ड लगभग डेढ़ प्रतिशत बढ़कर करीब 4,405 डॉलर (लगभग 3.95 लाख रुपये) प्रति औंस हो गया। इससे पहले यह संक्षेप में 4,410 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को छू चुका था। स्पॉट चांदी लगभग तीन प्रतिशत चढ़कर करीब 69 डॉलर प्रति औंस हो गई। इससे पहले इसने 70 डॉलर के ठीक नीचे एक नई दिन की ऊंचाई बनाई थी।
ये बदलाव केवल सट्टेबाजी की गति से नहीं हुए। ये लंबी अवधि के निवेशकों की स्थिर खरीद के साथ हुए जो नीति और भंडार प्रबंधन में संरचनात्मक परिवर्तनों पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
मौद्रिक नीतियों की भूमिका
मौद्रिक गतिशीलता भूराजनीतिक कारकों को मजबूती प्रदान कर रही है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीदें एक प्रमुख चक्रीय सहारा बनी हुई हैं। यह बिना किसी आय वाली संपत्तियों को रखने की लागत को कम करती है। साथ ही, केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीद ऊंची बनी हुई है। यह पारंपरिक भंडार मुद्राओं से विविधीकरण और प्रतिबंध जोखिम को लेकर चिंता को दर्शाता है।
केंद्रीय बैंकों की बढ़ती रुचि
दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने भंडार में सोने की मात्रा बढ़ा रहे हैं। यह रणनीति मुद्रा जोखिम को कम करने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनाई जा रही है। जब बड़े केंद्रीय बैंक सोना खरीदते हैं, तो यह बाजार में एक मजबूत संकेत देता है कि सोना एक सुरक्षित संपत्ति है। इससे अन्य निवेशकों का भी विश्वास बढ़ता है।
निवेशकों के लिए आगे का रास्ता
आगे देखते हुए, निवेशक दो प्रमुख बातों पर ध्यान देंगे। पहली संभावना यह है कि भूराजनीतिक अनिश्चितता ऊंची बनी रहे और मौद्रिक नीति धीरे-धीरे ढीली होती रहे। इससे सोने और चांदी को उच्च स्तरों पर मजबूत होने और समय के साथ बढ़ने का मौका मिलेगा।
जोखिम की संभावनाएं
मुख्य जोखिम परिदृश्य यह है कि वैश्विक तनाव में तेजी से कमी आए और ब्याज दर में कटौती की उम्मीदों का पुनर्मूल्यांकन हो। इससे अल्पकालिक गिरावट आ सकती है। लेकिन ऐसी स्थिति में भी, रणनीतिक सुरक्षा के रूप में कीमती धातुओं की ओर व्यापक रुझान बना रहेगा। गिरावट खरीदारों को आकर्षित करेगी न कि उलटफेर का संकेत देगी।
भारतीय बाजार पर असर
भारतीय बाजार में भी सोने की कीमतों में उछाल देखा गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी का सीधा असर घरेलू कीमतों पर पड़ता है। भारत दुनिया के सबसे बड़े सोना उपभोक्ताओं में से एक है। त्योहारों और शादियों के मौसम में सोने की मांग और बढ़ जाती है। हालांकि, बढ़ती कीमतों के कारण खुदरा खरीदारों पर दबाव भी बढ़ता है।
निवेश के रूप में सोना
भारतीय निवेशकों के लिए सोना हमेशा से एक सुरक्षित विकल्प रहा है। परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी सोना इकट्ठा करते आए हैं। आज के समय में डिजिटल सोना और गोल्ड ईटीएफ जैसे विकल्प भी उपलब्ध हैं। ये विकल्प निवेशकों को भौतिक सोना रखे बिना सोने में निवेश करने का मौका देते हैं।
सोने की कीमतों में यह तेजी अस्थायी नहीं है। यह वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों में गहरे बदलाव का परिणाम है। भूराजनीतिक तनाव, मौद्रिक नीतियों में बदलाव और केंद्रीय बैंकों की बढ़ती रुचि मिलकर सोने को एक मजबूत निवेश विकल्प बना रही है। गोल्डमान साक्स का अनुमान है कि दिसंबर 2026 तक सोना 4.39 लाख रुपये प्रति औंस तक पहुंच सकता है। यह अनुमान मौजूदा रुझानों और भविष्य की संभावनाओं पर आधारित है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार की गतिविधियों पर नजर रखें और अपने वित्तीय सलाहकारों से परामर्श लेकर समझदारी से निवेश करें।