भारत और न्यूजीलैंड के बीच हाल ही में संपन्न हुआ मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में एक नया अध्याय खोलने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने आज इस ऐतिहासिक समझौते की घोषणा की। यह समझौता न केवल दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करेगा बल्कि निवेश और रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।
दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत
प्रधानमंत्री मोदी ने आज न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन से टेलीफोन पर बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने मुक्त व्यापार समझौते को लेकर खुशी जताई और कहा कि यह दोनों देशों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। यह समझौता व्यापार, निवेश और सामरिक सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
महज नौ महीने में पूरा हुआ समझौता
इस मुक्त व्यापार समझौते की शुरुआत इस साल मार्च में क्रिस्टोफर लक्सन की भारत यात्रा के दौरान हुई थी। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि महज नौ महीने में इस समझौते का पूरा होना दोनों देशों की मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और साझा महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। यह रिकॉर्ड समय में पूरा होने वाला एक महत्वपूर्ण समझौता है।
व्यापार और निवेश में होगी जबरदस्त बढ़ोतरी
यह मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव को काफी गहरा करेगा। इससे बाजार तक पहुंच आसान होगी, निवेश का प्रवाह बढ़ेगा और सामरिक सहयोग मजबूत होगा। दोनों प्रधानमंत्रियों ने विश्वास जताया है कि अगले पांच वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो जाएगा।
इसके अलावा, न्यूजीलैंड अगले 15 वर्षों में भारत में 20 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बढ़ावा होगा और विभिन्न क्षेत्रों में विकास को गति मिलेगी।
किन क्षेत्रों को होगा फायदा
यह समझौता विभिन्न क्षेत्रों में नए अवसर खोलेगा। इससे सबसे ज्यादा फायदा नवप्रवर्तकों, उद्यमियों, किसानों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों यानी एमएसएमई, छात्रों और युवाओं को होगा। दोनों देशों के युवाओं के लिए रोजगार और व्यापार के नए रास्ते खुलेंगे।
भारत का जीवंत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र, प्रतिभाशाली युवा और सुधार आधारित अर्थव्यवस्था इस समझौते को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। किसानों को अपने उत्पादों के लिए नए बाजार मिलेंगे और छोटे उद्यमियों को विस्तार के नए अवसर मिलेंगे।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का मंच तैयार किया है। उन्होंने कहा कि भारत-न्यूजीलैंड साझेदारी नई ऊंचाइयों को छूने जा रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत विभिन्न क्षेत्रों में न्यूजीलैंड से 20 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश का स्वागत करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के प्रतिभाशाली युवा, जीवंत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और सुधार आधारित अर्थव्यवस्था नवाचार, विकास और लंबी अवधि की साझेदारी के लिए एक मजबूत नींव प्रदान करती है।
अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ेगा
दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग के अन्य क्षेत्रों जैसे खेल, शिक्षा और लोगों के बीच संबंधों में हुई प्रगति का भी स्वागत किया। उन्होंने भारत-न्यूजीलैंड साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
खेल के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच लंबे समय से अच्छे संबंध रहे हैं। क्रिकेट में तो दोनों देश नियमित रूप से एक दूसरे के खिलाफ खेलते हैं। अब शिक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ेगा, जिससे दोनों देशों के छात्रों को फायदा होगा।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी इस साझेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दोनों देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और लोगों के बीच संबंध मजबूत होंगे।
वैश्विक परिदृश्य में भारत की मजबूत स्थिति
यह मुक्त व्यापार समझौता भारत की वैश्विक आर्थिक नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत सरकार विभिन्न देशों के साथ ऐसे समझौते कर रही है ताकि भारतीय उत्पादों को विश्व बाजार में बेहतर पहुंच मिल सके। इससे न केवल निर्यात बढ़ेगा बल्कि भारत में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
न्यूजीलैंड के साथ यह समझौता खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बहुत कम समय में पूरा हुआ है। यह दोनों देशों की गंभीरता और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति को दिखाता है।
भविष्य की संभावनाएं
अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य बेहद महत्वाकांक्षी है। इसके लिए दोनों देशों को मिलकर काम करना होगा। भारतीय कंपनियों को न्यूजीलैंड में अपना व्यापार बढ़ाने के अवसर मिलेंगे और न्यूजीलैंड की कंपनियां भारत के बड़े बाजार का लाभ उठा सकेंगी।
15 वर्षों में 20 बिलियन डॉलर का निवेश भारत के विकास में एक बड़ा योगदान देगा। यह निवेश विभिन्न क्षेत्रों में आएगा जैसे कि बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी, कृषि, और सेवा क्षेत्र।
यह समझौता दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नया आयाम देगा। व्यापार और निवेश के साथ-साथ सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान भी बढ़ेगा। यह साझेदारी दोनों देशों की समृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।