चंद्रपुर जिले में एक नया सवेरा आया है। यहां के लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय चंद्रपुर कैंसर अस्पताल का उद्घाटन एक ऐतिहासिक पल बन गया है। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने अपने विचार साझा किए और स्वास्थ्य सेवा को लेकर अहम बातें कहीं।
22 दिसंबर को हुए इस भव्य समारोह में डॉ. भागवत ने जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों ही इंसान की बुनियादी जरूरतें हैं। ये सुविधाएं हर किसी को, हर जगह मिलनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इन सेवाओं को सस्ता और आसान बनाना बेहद जरूरी है ताकि गरीब से गरीब इंसान भी इसका फायदा उठा सके।
कैंसर एक परिवार को कैसे तोड़ देता है
डॉ. भागवत ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के असर को बहुत गहराई से समझाया। उन्होंने कहा कि कैंसर सिर्फ एक मरीज को ही नहीं मारता बल्कि पूरे परिवार को खत्म कर देता है। जब परिवार में किसी एक सदस्य को यह बीमारी होती है तो पूरा घर इसकी चपेट में आ जाता है। इलाज का खर्च इतना ज्यादा होता है कि परिवार वाले टूट जाते हैं। वे थक जाते हैं और निराशा उन्हें घेर लेती है। इसका मानसिक असर भी बहुत गहरा होता है।

इलाज की सुविधा हर जिले में जरूरी
सरसंघचालक जी ने बताया कि सरकार और टाटा कैंसर इंस्टीट्यूट की साझेदारी में देश में करीब 15 जगहों पर ऐसे कैंसर अस्पताल बनाए गए हैं। नागपुर में भी एक बड़ा कैंसर अस्पताल पहले से मौजूद है जो आस-पास के जिलों के मरीजों की मदद करता है। लेकिन समस्या यह है कि हर मरीज बार-बार दूर शहर नहीं जा सकता। यात्रा का खर्च, रहने की जगह की समस्या और बार-बार आने-जाने की मुश्किल मरीजों के लिए परेशानी बन जाती है।
इन्हीं सब कठिनाइयों को देखते हुए अलग-अलग जगहों पर सब-सेंटर बनाने का फैसला लिया गया है। यह कदम मरीजों के लिए बड़ी राहत है। इससे स्वास्थ्य सेवा को विकेंद्रित करने में मदद मिलेगी और हर जिले के लोगों को पास में ही इलाज मिल सकेगा।
चंद्रपुर के लोगों की जिम्मेदारी
डॉ. मोहन भागवत खुद चंद्रपुर के रहने वाले हैं। इसलिए उन्होंने चंद्रपुर के लोगों से खास अपील की। उन्होंने कहा कि यह अस्पताल इलाज की जिम्मेदारी तो लेगा ही, लेकिन चंद्रपुर के निवासियों को भी आगे आना होगा। मरीजों को मानसिक मजबूती देना, उनके परिवार को दिलासा देना और उनके रिश्तेदारों का सहयोग करना भी उतना ही जरूरी है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकल्प से चंद्रपुर जिले की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। इसलिए यह भी जिम्मेदारी बनती है कि अस्पताल हर तरह से सही चले और मरीजों को अच्छी सेवा मिले।
सेवा भाव की जरूरत
सरसंघचालक जी ने सेवा भाव पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान ने हमें यह शरीर दिया है और इसका सही उपयोग सेवा में ही है। सेवा करने के लिए बहुत पैसे की जरूरत नहीं होती, सिर्फ अपना थोड़ा समय देना होता है। अगर हम अपनत्व की भावना बढ़ाएं और चिकित्सकों के साथ मिलकर मरीजों की सेवा करें तो परिवार वाले चिंता से मुक्त होंगे, मरीज जल्दी ठीक होंगे और हमें भी संतुष्टि मिलेगी कि हमारा जीवन सार्थक है।
चंद्रपुर का गौरव
डॉ. भागवत ने गर्व से कहा कि चंद्रपुर में एक आधुनिक कैंसर उपचार केंद्र खुलना पूरे जिले के लिए गर्व की बात है। वे खुद भी चंद्रपुर के रहने वाले हैं और इस सुविधा के निर्माण से बेहद खुश हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह बाहरी शहरों और गांवों में काम करने वाले चंद्रपुर के डॉक्टर इस अस्पताल में काम करके प्रसन्न हैं, उसी तरह वे भी एक चंद्रपुर निवासी के रूप में इस उपलब्धि पर खुश हैं।
मंच पर मौजूद अहम लोग
इस महत्वपूर्ण समारोह में कई गणमान्य लोग मौजूद थे। टाटा ट्रस्ट बोर्ड ऑफ मेंबर्स के चेयरमैन डॉ. कैलाश शर्मा, डॉ. अजय चंदनवाले, पुलिस अधीक्षक सुदर्शन मुम्माका और जिलाधिकारी विनय गौड़ा मंच पर उपस्थित थे। सभी ने अस्पताल के निर्माण को एक ऐतिहासिक कदम बताया।
स्वास्थ्य सेवा सभी का हक
डॉ. भागवत ने अपने संबोधन में साफ शब्दों में कहा कि स्वास्थ्य सेवा कोई विलासिता नहीं बल्कि हर इंसान का मूल अधिकार है। यह सुविधा अमीर-गरीब सभी को एक समान मिलनी चाहिए। सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि वे इसे सस्ता, सुलभ और सभी तक पहुंचाएं।
कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज अब चंद्रपुर में ही संभव होगा। यह न सिर्फ मरीजों के लिए राहत है बल्कि उनके परिवार के लिए भी एक बड़ा सहारा है। पहले दूर शहरों में जाकर इलाज कराना पड़ता था, अब घर के पास ही सारी सुविधा मिलेगी।
आगे की राह
यह अस्पताल एक शुरुआत है। इससे न सिर्फ चंद्रपुर बल्कि आस-पास के जिलों के हजारों मरीजों को फायदा होगा। सरकार, टाटा ट्रस्ट और स्थानीय लोगों के सहयोग से यह सपना साकार हुआ है। अब जरूरत है कि इसे और बेहतर बनाया जाए और हर जरूरतमंद तक यह सेवा पहुंचे।
डॉ. मोहन भागवत के शब्द प्रेरणादायक हैं और समाज को एक नई दिशा दिखाते हैं। स्वास्थ्य सेवा में सुधार, मरीजों के प्रति संवेदनशीलता और समाज की भागीदारी – यही इस अस्पताल की सफलता की कुंजी है। चंद्रपुर एक नए युग में कदम रख चुका है और यह बदलाव पूरे महाराष्ट्र के लिए एक मिसाल बनेगा।