देशभर में लाखों वेतनभोगी करदाता इन दिनों अपने आयकर रिफंड का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उनके रिफंड रुक गए हैं। आयकर विभाग ने कई मामलों में रिफंड की प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोक दिया है। इसकी मुख्य वजह फॉर्म 16 और आयकर रिटर्न में दर्शाई गई छूट के दावों में अंतर है। विभाग ने सीधे करदाताओं को ईमेल भेजकर इस बारे में जानकारी दी है और बताया है कि असामान्य रूप से अधिक रिफंड के दावों की जांच शुरू की गई है।
आयकर विभाग के मुताबिक, आईटीआर में किए गए छूट के दावे और फॉर्म 16 के अनेक्सर-2 में दर्शाए गए आंकड़ों में भारी अंतर पाया गया है। इस बेमेल के कारण रिफंड की रकम बढ़ गई है, जिससे विभाग ने इन मामलों को रोक दिया है।
रिफंड रुका है, रद्द नहीं हुआ
विशेषज्ञों का कहना है कि रिफंड की प्रक्रिया को रोका गया है, खारिज नहीं किया गया है। जैसे ही बेमेल का मामला सुलझेगा या स्पष्टीकरण दिया जाएगा, रिफंड की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
टैक्स विशेषज्ञ गोपाल बोहरा के अनुसार, “जब भी आईटीआर में दी गई जानकारी और कर विभाग के पास मौजूद वित्तीय आंकड़ों में कोई अंतर होता है, तो करदाताओं को स्वचालित ईमेल या एसएमएस भेजा जाता है।”
करदाताओं को सलाह दी जा रही है कि वे जांच लें कि उन्होंने जो भी छूट का दावा किया है, जैसे कि मकान किराया भत्ता, यात्रा भत्ता या अन्य कटौतियां, क्या उनके पास इसके पूरे दस्तावेज हैं और क्या ये फॉर्म 16 में दर्शाए गए हैं। जो आयकर लाभ रिटर्न भरते समय दावा किए गए थे, लेकिन फॉर्म 16 में नहीं हैं, वे मुख्य कारण प्रतीत होते हैं।
ईमेल में चेतावनी भी दी गई है
विभाग की ओर से भेजे गए ईमेल में चेतावनी भी दी गई है। अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो इसे जानबूझकर किया गया माना जा सकता है, जिससे बाद में मामले की गहन जांच की संभावना बढ़ जाती है।
चैंबर ऑफ टैक्स कंसल्टेंट्स के प्रबंध परिषद सदस्य और सीए अशोक मेहता का कहना है, “कर विभाग की हर सूचना को नकारात्मक नजरिए से नहीं देखना चाहिए। इसका उद्देश्य स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करना है, ताकि जुर्माने के प्रावधान लागू न हों। जो दावा सही है, उसे वापस लेने की जरूरत नहीं है। इसका मकसद करदाता को जुर्माने के परिणामों से अवगत कराना है।”
संशोधित रिटर्न की समय सीमा महत्वपूर्ण
विभाग ने 31 दिसंबर 2025 को आकलन वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख बताई है। जिन करदाताओं को अपनी गलती का पता चल गया है, वे इस समय सीमा के भीतर इसे सुधार सकते हैं, बिना किसी अतिरिक्त कर परिणाम के।
अगर पहले से ही संशोधित रिटर्न दाखिल कर दिया गया है और समस्या का समाधान हो गया है, तो करदाता ईमेल को नजरअंदाज कर सकते हैं।
अभी क्यों हो रहा है यह
चैंबर ऑफ टैक्स कंसल्टेंट्स के सचिव और सीए मेहुल शेठ कहते हैं, “इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं, चाहे वास्तविक हों या अन्यथा। एक तरह से, दाखिल की गई आय विवरणी की समीक्षा करने का अवसर प्रदान किया गया है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि विभाग अपने आंतरिक जोखिम जांच प्रणाली के तहत उन मामलों को चिह्नित कर रहा है जहां रिफंड की रकम असामान्य रूप से अधिक है। यह प्रक्रिया डिजिटल निगरानी के माध्यम से स्वचालित रूप से हो रही है।
करदाताओं को क्या करना चाहिए
जिन लोगों को ऐसा ईमेल मिला है, उन्हें ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन करना चाहिए और अपने आईटीआर की हर लाइन को फॉर्म 16 और फॉर्म 26AS के साथ मिलान करना चाहिए। अगर दावा सही है और दस्तावेज मौजूद हैं, तो तत्काल सुधार की जरूरत नहीं है। अगर नहीं है, तो जल्द से जल्द संशोधित रिटर्न दाखिल करना सुरक्षित विकल्प है।
सीए मेहुल शेठ का कहना है, “अगर कोई 31 दिसंबर 2025 तक संशोधित रिटर्न दाखिल करने में विफल रहता है, तो 1 जनवरी 2026 से उसे अनिवार्य रूप से अपडेटेड रिटर्न दाखिल करना होगा और कुछ स्थितियों में जुर्माने की कार्रवाई हो सकती है। इसलिए, मेरे अनुसार, आयकर विभाग की यह ईमेल एक सकारात्मक कदम है।”
फॉर्म 16 और आईटीआर का मिलान जरूरी
करदाताओं को यह समझना जरूरी है कि फॉर्म 16 नियोक्ता द्वारा जारी किया गया एक आधिकारिक दस्तावेज है, जो वेतन और कर कटौती का विवरण देता है। जब कोई व्यक्ति अपना आईटीआर भरता है और उसमें ऐसी छूट का दावा करता है जो फॉर्म 16 में नहीं है, तो यह बेमेल का कारण बनता है।
उदाहरण के लिए, अगर किसी ने मकान किराया भत्ते की छूट ली है, लेकिन फॉर्म 16 में यह नहीं दर्शाया गया है, तो विभाग इसे संदिग्ध मानता है। इसी तरह, अन्य भत्तों और कटौतियों में भी यही समस्या हो सकती है।
विभाग की डिजिटल निगरानी
आयकर विभाग ने अपनी डिजिटल प्रणाली को मजबूत किया है। अब विभाग के पास करदाताओं के सभी वित्तीय लेन-देन का डेटा होता है। फॉर्म 26AS में बैंक, नियोक्ता और अन्य स्रोतों से प्राप्त सभी जानकारी दर्ज होती है। जब कोई रिटर्न दाखिल करता है, तो सिस्टम स्वचालित रूप से इसका मिलान करता है।
अगर कोई अंतर पाया जाता है, तो सिस्टम तुरंत ईमेल या एसएमएस भेज देता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल है और इसमें मानवीय हस्तक्षेप कम है।
सकारात्मक कदम या दबाव
जहां कुछ विशेषज्ञ इसे स्वैच्छिक अनुपालन बढ़ाने का सकारात्मक कदम मान रहे हैं, वहीं कई करदाता इसे दबाव के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दावा सही है और दस्तावेज हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है।
करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने टैक्स सलाहकार से संपर्क करें और मामले की जांच करें। अगर जरूरत हो, तो समय सीमा के भीतर संशोधित रिटर्न दाखिल करें। इससे बाद में होने वाली जटिलताओं और जुर्माने से बचा जा सकता है।