Diesel Price Today: भारत का परिवहन क्षेत्र इन दिनों डीजल की बढ़ती कीमतों के दबाव में है। 24 दिसंबर 2025 को देश के कई हिस्सों में डीजल की कीमत 90.03 रुपये प्रति लीटर के आसपास दर्ज की गई है। यह आंकड़ा सिर्फ एक रेट नहीं, बल्कि उस बढ़ती चिंता का संकेत है, जो सड़क पर दौड़ने वाले हर ट्रक, बस और मालवाहक वाहन से जुड़ी हुई है। डीजल भारत के परिवहन ढांचे की रीढ़ माना जाता है और इसकी कीमतों में हल्की-सी बढ़ोतरी भी पूरे आर्थिक तंत्र पर असर डाल देती है।
परिवहन क्षेत्र क्यों सबसे ज्यादा प्रभावित होता है
भारत में माल ढुलाई और सार्वजनिक परिवहन का बड़ा हिस्सा डीजल पर ही निर्भर है। ट्रक, बसें, ट्रैक्टर और कई व्यावसायिक वाहन डीजल से चलते हैं। जैसे ही डीजल महंगा होता है, इन वाहनों को चलाने की लागत सीधे तौर पर बढ़ जाती है। इसका असर सबसे पहले ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों पर पड़ता है, जिनका मुनाफा पहले से ही सीमित होता है।
रसद और माल ढुलाई सेवाओं पर दबाव
डीजल की कीमत बढ़ने से रसद और माल ढुलाई सेवाओं की लागत बढ़ जाती है। ट्रक मालिकों को प्रति किलोमीटर ज्यादा खर्च उठाना पड़ता है। इसका नतीजा यह होता है कि वे यह अतिरिक्त लागत ग्राहकों पर डालते हैं। फलस्वरूप, बाजार तक पहुंचने वाले सामान की कीमत भी बढ़ जाती है। यही कारण है कि डीजल की महंगाई अंततः आम उपभोक्ता की जेब पर असर डालती है।
सार्वजनिक परिवहन और यात्रियों की मुश्किलें
डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर बस सेवाओं पर भी साफ दिखता है। कई राज्यों में निजी बस ऑपरेटर किराया बढ़ाने की मांग करने लगते हैं। हालांकि सरकारी बस सेवाएं तुरंत किराया नहीं बढ़ातीं, लेकिन लंबे समय में उन पर भी आर्थिक दबाव बढ़ता है। यात्रियों के लिए यह स्थिति दोहरी मार जैसी होती है, जहां एक तरफ महंगाई बढ़ती है और दूसरी तरफ सफर भी महंगा होने लगता है।
भारत में राज्यवार डीजल की कीमत
| राज्य / केंद्र शासित प्रदेश | डीजल का दाम (₹/लीटर) | मूल्य परिवर्तन |
|---|---|---|
| अंडमान और निकोबार | 78.05 | 0.00 |
| आंध्र प्रदेश | 97.47 | 0.00 |
| अरुणाचल प्रदेश | 80.21 | 0.00 |
| असम | 89.68 | 0.00 |
| बिहार | 91.81 | 0.00 |
| चंडीगढ़ | 82.45 | 0.00 |
| छत्तीसगढ़ | 93.60 | 0.00 |
| दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव | 87.87 | 0.00 |
| दिल्ली | 87.67 | 0.00 |
| गोवा | 88.33 | 0.00 |
| गुजरात | 90.63 | 0.00 |
| हरियाणा | 88.40 | 0.00 |
| हिमाचल प्रदेश | 87.40 | 0.00 |
| जम्मू और कश्मीर | 83.41 | 0.00 |
| झारखंड | 92.66 | 0.00 |
| कर्नाटक | 90.99 | 0.00 |
| केरल | 96.18 | 0.00 |
| लद्दाख | 88.38 | 0.00 |
| लक्षद्वीप | 95.71 | 0.00 |
| मध्य प्रदेश | 91.89 | 0.00 |
| महाराष्ट्र | 90.03 | 0.00 |
| मणिपुर | 85.26 | 0.00 |
| मेघालय | 87.55 | 0.00 |
| मिजोरम | 88.04 | 0.00 |
| नागालैंड | 88.89 | 0.00 |
| ओडिशा | 92.51 | 0.00 |
| पांडिचेरी | 86.47 | 0.00 |
| पंजाब | 87.96 | 0.00 |
| राजस्थान | 90.21 | 0.00 |
| सिक्किम | 90.45 | 0.00 |
| तमिलनाडु | 92.48 | 0.00 |
| तेलंगाना | 95.70 | 0.00 |
| त्रिपुरा | 86.62 | 0.00 |
| उत्तर प्रदेश | 87.67 | 0.00 |
| उत्तराखंड | 88.34 | 0.00 |
| पश्चिम बंगाल | 92.02 | 0.00 |
छोटे कारोबारियों की बढ़ती चुनौती
छोटे व्यापारी और स्थानीय डिलीवरी सेवाएं भी डीजल की कीमतों से बुरी तरह प्रभावित होती हैं। दूध, सब्जी, फल और रोजमर्रा की जरूरतों की आपूर्ति करने वाले वाहन अधिकतर डीजल पर ही चलते हैं। जब ईंधन महंगा होता है, तो छोटे कारोबारियों के लिए लागत निकाल पाना मुश्किल हो जाता है। कई बार उन्हें या तो दाम बढ़ाने पड़ते हैं या मुनाफा कम करना पड़ता है।
उद्योगों पर परोक्ष असर
डीजल की कीमतें केवल परिवहन तक सीमित नहीं रहतीं। उद्योगों में कच्चा माल पहुंचाने और तैयार माल बाजार तक लाने में परिवहन की बड़ी भूमिका होती है। जब डीजल महंगा होता है, तो उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। इसका असर औद्योगिक उत्पादों की कीमतों पर पड़ता है, जिससे महंगाई का दायरा और फैल जाता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार और घरेलू कीमतें
डीजल की कीमतों में बदलाव का एक बड़ा कारण अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के दाम होते हैं। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने पर भारत में भी इसका असर दिखता है। इसके अलावा टैक्स और परिवहन लागत भी डीजल के अंतिम दाम को प्रभावित करती है। यही वजह है कि अलग-अलग राज्यों में डीजल के रेट अलग नजर आते हैं।
सड़क पर दिखती महंगाई
यदि जमीनी स्तर पर देखा जाए, तो डीजल की बढ़ती कीमतों का असर सड़क पर साफ दिखता है। ट्रक ड्राइवर ज्यादा खर्च की शिकायत करते हैं, बस कंडक्टर यात्रियों की नाराजगी झेलते हैं और व्यापारी लागत बढ़ने की चिंता में रहते हैं। डीजल का हर बढ़ा हुआ रुपया एक लंबी श्रृंखला को प्रभावित करता है, जिसका सिरा अंत में आम आदमी तक ही पहुंचता है।