Vaibhav Sooryavanshi: विजय हजारे ट्रॉफी 2025-26 के प्लेट ग्रुप में बिहार और अरुणाचल प्रदेश का मुकाबला कागजों में भले ही एक साधारण घरेलू मैच रहा हो, लेकिन रांची की पिच पर जो कहानी लिखी गई, उसने भारतीय क्रिकेट के भविष्य की ओर इशारा कर दिया। यह मुकाबला सिर्फ रन, ओवर और विकेट की गणना तक सीमित नहीं था। यह कहानी थी एक 14 साल के बल्लेबाज की, जिसने अपने बल्ले से उम्र की सीमाएं तोड़ दीं। नाम है वैभव सूर्यवंशी।
अंडर-19 एशिया कप के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन न कर पाने का मलाल लेकर वैभव जब रांची पहुंचे, तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह बच्चा घरेलू क्रिकेट के मंच पर ऐसी दस्तक देगा। लेकिन क्रिकेट की खूबसूरती यही है कि यह मौके देता है और जो उन्हें पहचान ले, वह इतिहास लिख देता है। वैभव ने भी वही किया।
JSCA ओवल ग्राउंड पर बुधवार को टॉस जीतकर बिहार ने बल्लेबाजी चुनी। शुरुआत से ही टीम के इरादे साफ थे, लेकिन जो कुछ अगले 30 ओवर में हुआ, वह सिर्फ इरादों की बात नहीं थी, वह साहस, आत्मविश्वास और असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन था।
84 गेंदों में 190 रन, आंकड़ों से आगे की कहानी
वैभव सूर्यवंशी की पारी को अगर सिर्फ आंकड़ों में बांध दिया जाए, तो शायद उसके असर को पूरी तरह समझा नहीं जा सकता। 84 गेंदों में 190 रन, 15 छक्के, 16 चौके और 226 से ज्यादा का स्ट्राइक रेट। यह सुनने में किसी टी20 लीग का स्कोर लगता है, लेकिन यह लिस्ट-ए क्रिकेट की पारी थी।
पारी की नींव और फिर रफ्तार का तूफान
मंगल महरौर के साथ वैभव ने संयमित शुरुआत की। शुरुआती ओवरों में उन्होंने स्ट्राइक रोटेशन और गैप तलाशने पर ध्यान दिया। विकेट गिरा, लेकिन वैभव रुके नहीं। यहीं से उन्होंने गियर बदला। कवर ड्राइव, पुल शॉट और लॉन्ग-ऑन के ऊपर से उड़ते छक्के यह बता रहे थे कि बल्लेबाज सिर्फ मार नहीं रहा, बल्कि मैच को पढ़ भी रहा है।
36 गेंदों में शतक, अरुणाचल की गेंदबाजी बेबस
महज 36 गेंदों में शतक पूरा करना घरेलू क्रिकेट में असाधारण उपलब्धि है। 10 चौके और 8 छक्कों के साथ यह शतक अरुणाचल के गेंदबाजों के लिए एक चेतावनी बन गया। मिबोम मोसू, टीएनआर मोहित और तेची नेरी, कोई भी वैभव की लय तोड़ नहीं पाया।
150 से 190 तक, दोहरे शतक से मामूली चूक
वैभव ने 59 गेंदों में 150 रन पूरे किए और तब तक यह साफ हो चुका था कि स्कोरबोर्ड पर कुछ खास लिखा जाएगा। आखिरकार तेची नेरी को उनका विकेट मिला और वैभव 190 रन बनाकर लौटे। दोहरे शतक से चूक जरूर हुई, लेकिन इस पारी की चमक पर उसका कोई असर नहीं पड़ा।
प्लेट ग्रुप, लेकिन संदेश शीर्ष स्तर का
तकनीकी रूप से यह प्लेट ग्रुप का मुकाबला था, लेकिन इसका संदेश मेन टेबल तक गया। घरेलू क्रिकेट में चयनकर्ता सिर्फ विरोधी टीम नहीं देखते, वे बल्लेबाज की सोच, टेम्परामेंट और दबाव में खेलने की क्षमता को परखते हैं।
यह पारी सिर्फ आक्रामक शॉट्स की नहीं थी। यह समझदारी की भी कहानी थी। कब जोखिम लेना है और कब सिंगल से काम चलाना है, वैभव ने यह संतुलन बखूबी दिखाया। इतनी कम उम्र में यह परिपक्वता दुर्लभ मानी जाती है।
आईपीएल की चमक
वैभव सूर्यवंशी का नाम पहले भी चर्चा में रहा है। आईपीएल से जुड़ी संभावनाएं, उम्र को लेकर सवाल और अपेक्षाओं का बोझ। लेकिन अरुणाचल के खिलाफ यह पारी बताती है कि वह सिर्फ एक चर्चा का विषय नहीं, बल्कि प्रदर्शन से जवाब देने वाले खिलाड़ी हैं।