नागपुर महानगरपालिका चुनाव की तैयारियों के बीच महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आया है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर हुई बैठक ने यह साफ कर दिया है कि महाविकास आघाड़ी एकजुट होकर नागपुर नगर निगम चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। शिवसेना ने औपचारिक रूप से 37 सीटों की मांग रखी है, जिस पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया सकारात्मक रही है। यह घटनाक्रम आगामी स्थानीय चुनावों में विपक्षी एकता की मजबूती को दर्शाता है।
नागपुर में राजनीतिक गतिविधियों में तेजी
नागपुर महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र है। यहां की महानगरपालिका चुनाव सिर्फ स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं रहते, बल्कि राज्य स्तर की राजनीति पर भी इसका गहरा असर पड़ता है। इस बार के चुनाव और भी खास हैं क्योंकि हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के बाद यह पहला बड़ा स्थानीय चुनाव होगा। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी ताकत दिखाने के लिए पूरी तैयारी में जुटे हैं।
महाविकास आघाड़ी, जिसमें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं, ने पिछले कुछ समय में मिलकर कई चुनाव लड़े हैं। हालांकि उन्हें मिली-जुली सफलता मिली है, लेकिन स्थानीय स्तर पर उनकी एकता की परीक्षा अब नागपुर में होगी।

मुंबई से आए वरिष्ठ नेताओं की बैठक
इस महत्वपूर्ण बैठक में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के वरिष्ठ नेता मुंबई से विशेष रूप से नागपुर पहुंचे। पार्टी के उपनेता और नगर निगम चुनाव के निरीक्षक विजय कदम ने इस बैठक की अध्यक्षता की। उनके साथ नागपुर लोकसभा संपर्क प्रमुख सतीश हरडे और नागपुर जिला प्रमुख किशोर कुमेरिया भी मौजूद थे।
दूसरी तरफ, कांग्रेस पार्टी की ओर से नागपुर जिला कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष एवं विधायक विकास ठाकरे ने बैठक में हिस्सा लिया। विकास ठाकरे नागपुर में कांग्रेस के प्रमुख चेहरे हैं और उनकी राजनीतिक समझ को लेकर पार्टी में काफी सम्मान है। उनकी उपस्थिति ने इस बात का संकेत दिया कि कांग्रेस इस गठबंधन को लेकर गंभीर है।
37 सीटों की औपचारिक मांग
नागपुर महानगरपालिका में कुल सीटों की संख्या को देखते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने 37 सीटों पर चुनाव लड़ने की औपचारिक मांग रखी है। यह मांग पार्टी की नागपुर में मौजूदा ताकत और उसके समर्थन आधार को देखते हुए रखी गई है। शिवसेना का मानना है कि नागपुर के कई इलाकों में उनका पारंपरिक वोट बैंक है, और इन सीटों पर वे मजबूत उम्मीदवार उतार सकते हैं।
हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी इस मांग पर क्या प्रतिक्रिया देंगी। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने प्रारंभिक चर्चा में सकारात्मक रुख दिखाया है। अब बाकी सीटों का बंटवारा कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच किस तरह होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
महाविकास आघाड़ी की रणनीति
महाविकास आघाड़ी की रणनीति साफ है – एकजुट होकर भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के गठबंधन को चुनौती देना। हाल के विधानसभा चुनावों में महायुति को बड़ी जीत मिली थी, लेकिन स्थानीय चुनाव अक्सर अलग समीकरण पेश करते हैं। नागपुर में स्थानीय मुद्दे जैसे पानी की आपूर्ति, सड़कों की हालत, कचरा प्रबंधन और नागरिक सुविधाओं की कमी प्रमुख चुनावी मुद्दे बन सकते हैं।
महाविकास आघाड़ी इन मुद्दों को उठाकर मौजूदा नगर प्रशासन की कमियों को उजागर करने की योजना बना रही है। साथ ही, वे जनता के बीच यह संदेश देना चाहते हैं कि स्थानीय विकास के लिए एक मजबूत और जवाबदेह नगर निगम की जरूरत है।
कांग्रेस का रुख
कांग्रेस पार्टी नागपुर में अपनी परंपरागत पकड़ को फिर से मजबूत करना चाहती है। विकास ठाकरे के नेतृत्व में कांग्रेस ने स्थानीय स्तर पर काफी काम किया है। उन्होंने शिवसेना की मांग पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गठबंधन धर्म निभाना जरूरी है और सभी दलों को मिलकर काम करना चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यदि सीटों का बंटवारा सही तरीके से हो जाए, तो महाविकास आघाड़ी नागपुर नगर निगम में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। उनका फोकस उन सीटों पर है जहां कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक मजबूत है।
आगे की राह
अभी सीट बंटवारे पर अंतिम निर्णय बाकी है। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही महाविकास आघाड़ी के शीर्ष नेता मिलकर इस मुद्दे पर फैसला लेंगे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की भूमिका भी इसमें महत्वपूर्ण होगी। उन्हें भी उचित संख्या में सीटें मिलनी चाहिए ताकि गठबंधन में सभी दल संतुष्ट रहें।
नागपुर नगर निगम चुनाव की तारीखों की घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक गतिविधियों को देखते हुए लगता है कि चुनाव जल्द ही हो सकते हैं। ऐसे में सभी दल अपनी तैयारियों में जुटे हैं।
नागपुर महानगरपालिका चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की 37 सीटों की मांग और कांग्रेस की सकारात्मक प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि महाविकास आघाड़ी एकजुट होकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। अब देखना यह होगा कि सीटों का अंतिम बंटवारा कैसे होता है और क्या यह गठबंधन नागपुर की जनता को अपने पक्ष में कर पाता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि महाविकास आघाड़ी अपनी रणनीति सही तरीके से लागू करती है, तो वह नागपुर में एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर सकती है।