Petrol Price Today: भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आम आदमी के रोजमर्रा के जीवन से सीधे तौर पर जुड़ी होती हैं। सुबह ऑफिस जाना हो, बच्चों को स्कूल छोड़ना हो या फिर सब्जी मंडी तक जाना हो, हर कदम पर फ्यूल के दाम का असर महसूस होता है। यही वजह है कि जैसे ही सुबह 6 बजते हैं, लोगों की नजर पेट्रोल-डीजल के ताज़ा भाव पर टिक जाती है। आज 26 दिसंबर 2025 को पेट्रोल का दाम ₹103.54 प्रति लीटर दर्ज किया गया है, जो यह बताने के लिए काफी है कि फ्यूल अब सिर्फ एक जरूरत नहीं, बल्कि हर परिवार की मासिक प्लानिंग का अहम हिस्सा बन चुका है।
भारत में पेट्रोल और डीजल के रेट्स रोजाना अपडेट होते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी मानी जाती है, लेकिन इसके पीछे कई ऐसे कारक होते हैं, जिन्हें आम तौर पर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। एक पाठक और पत्रकार के तौर पर जब हम इन रेट्स के पीछे की कहानी समझने की कोशिश करते हैं, तो साफ होता है कि यह केवल घरेलू फैसला नहीं, बल्कि वैश्विक बाजार से गहराई से जुड़ा मामला है।
पेट्रोल-डीजल के दाम कैसे तय होते हैं
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें ऑयल मार्केटिंग कंपनियां तय करती हैं। इनमें हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन प्रमुख हैं। ये कंपनियां हर दिन सुबह 6 बजे अपने आधिकारिक प्लेटफॉर्म पर नए रेट्स जारी करती हैं। इन रेट्स को तय करने में सबसे अहम भूमिका कच्चे तेल की कीमतों की होती है।
भारत में राज्यवार पेट्रोल की कीमत
| राज्य | पेट्रोल की कीमत (₹/लीटर) | मूल्य परिवर्तन |
|---|---|---|
| अंडमान और निकोबार | ₹82.46 | 0.00 |
| आंध्र प्रदेश | ₹109.64 | 0.00 |
| अरुणाचल प्रदेश | ₹90.67 | 0.00 |
| असम | ₹98.46 | 0.00 |
| बिहार | ₹105.58 | 0.00 |
| चंडीगढ़ | ₹94.30 | 0.00 |
| छत्तीसगढ़ | ₹99.65 | 0.00 |
| दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव | ₹92.37 | 0.00 |
| दिल्ली | ₹94.77 | 0.00 |
| गोवा | ₹96.56 | 0.00 |
| गुजरात | ₹94.95 | 0.00 |
| हरयाणा | ₹95.95 | 0.00 |
| हिमाचल प्रदेश | ₹95.32 | 0.00 |
| जम्मू एवं कश्मीर | ₹96.58 | 0.00 |
| झारखंड | ₹97.89 | 0.00 |
| कर्नाटक | ₹102.92 | 0.00 |
| केरल | ₹107.30 | 0.00 |
| लद्दाख | ₹103.44 | 0.00 |
| लक्षद्वीप | ₹100.75 | 0.00 |
| मध्य प्रदेश | ₹106.52 | 0.00 |
| महाराष्ट्र | ₹103.54 | 0.00 |
| मणिपुर | ₹99.19 | 0.00 |
| मेघालय | ₹96.32 | 0.00 |
| मिजोरम | ₹99.26 | 0.00 |
| नगालैंड | ₹97.78 | 0.00 |
| ओडिशा | ₹100.93 | 0.00 |
| पांडिचेरी | ₹96.26 | 0.00 |
| पंजाब | ₹98.15 | 0.00 |
| राजस्थान | ₹104.72 | 0.00 |
| सिक्किम | ₹103.30 | 0.00 |
| तमिलनाडु | ₹100.90 | 0.00 |
| तेलंगाना | ₹107.46 | 0.00 |
| त्रिपुरा | ₹97.60 | 0.00 |
| उत्तर प्रदेश | ₹94.57 | 0.00 |
| उत्तराखंड | ₹93.50 | 0.00 |
| पश्चिम बंगाल | ₹105.41 | 0.00 |
कच्चे तेल की चाल और भारतीय बाजार
भारत अपनी जरूरत का बड़ा हिस्सा कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ते ही उसका सीधा असर भारतीय फ्यूल रेट्स पर पड़ता है। अगर वैश्विक स्तर पर तनाव, युद्ध या सप्लाई चेन में बाधा आती है, तो कच्चा तेल महंगा हो जाता है। इसका बोझ अंततः पेट्रोल और डीजल की कीमतों में दिखाई देता है।
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की भूमिका
HPCL, BPCL और IOCL केवल तेल बेचने वाली कंपनियां नहीं हैं, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा की रीढ़ भी हैं। ये कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के दाम, रुपये और डॉलर के बीच विनिमय दर, ट्रांसपोर्टेशन लागत और टैक्स स्ट्रक्चर को ध्यान में रखकर रेट्स तय करती हैं। यही वजह है कि कभी-कभी कच्चे तेल के दाम स्थिर रहने के बावजूद पेट्रोल-डीजल के भाव में हल्का बदलाव देखने को मिलता है।
टैक्स और राज्यवार अंतर
भारत में पेट्रोल और डीजल पर केंद्र और राज्य सरकारें टैक्स लगाती हैं। यही कारण है कि अलग-अलग राज्यों में फ्यूल के दाम अलग होते हैं। वैट और एक्साइज ड्यूटी का स्ट्रक्चर बदलते ही उपभोक्ताओं को राहत या अतिरिक्त बोझ महसूस होता है। कई बार लोग यह सवाल करते हैं कि एक ही देश में दाम अलग क्यों हैं, तो इसका जवाब टैक्स नीति में छिपा होता है।
आम आदमी पर बढ़ते दामों का असर
₹103.54 प्रति लीटर का आंकड़ा सिर्फ एक संख्या नहीं है। यह उस हर परिवार की चिंता को दर्शाता है, जिसका मासिक बजट पहले से ही तंग है। पेट्रोल और डीजल महंगे होने का असर सिर्फ वाहन चलाने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि सब्जियों, दूध, दवाइयों और रोजमर्रा के सामान की कीमतों में भी झलकता है। ट्रांसपोर्ट महंगा होते ही महंगाई की पूरी श्रृंखला सक्रिय हो जाती है।
क्या भविष्य में राहत की उम्मीद है
फ्यूल रेट्स को लेकर भविष्य की तस्वीर पूरी तरह कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करती है। अगर वैश्विक स्तर पर स्थिरता आती है और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट होती है, तो भारत में भी पेट्रोल-डीजल सस्ता हो सकता है। हालांकि टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव भी बड़ी राहत दे सकता है, लेकिन यह राजनीतिक और आर्थिक निर्णयों पर निर्भर करता है।
उपभोक्ताओं के लिए क्या है समझदारी
आज के दौर में फ्यूल की बचत केवल विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत बन चुकी है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल, कार पूलिंग और वाहन की सही मेंटेनेंस से खर्च को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इलेक्ट्रिक और वैकल्पिक ईंधन की ओर बढ़ता रुझान भी यह संकेत देता है कि आने वाले समय में लोग पेट्रोल-डीजल पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहते।
आज के पेट्रोल-डीजल के दाम हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि ऊर्जा नीति और व्यक्तिगत आदतें दोनों ही बदलाव की मांग कर रही हैं। जब तक वैश्विक बाजार में स्थिरता नहीं आती, तब तक आम आदमी को समझदारी और संतुलन के साथ आगे बढ़ना होगा।