Unnao Rape Case: उन्नाव रेप केस एक बार फिर देश की सामूहिक चेतना को झकझोर रहा है। जिस मामले को भारत में महिला सुरक्षा और राजनीतिक संरक्षण के खिलाफ लड़ाई की प्रतीक माना गया, उसी केस में दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से सशर्त जमानत मिलने के बाद गुस्सा सड़कों पर साफ दिखाई देने लगा है।
दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर शुक्रवार को जो दृश्य दिखा, वह बताता है कि यह मामला आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। रेप पीड़िता की मां, महिला अधिकार कार्यकर्ता और सामाजिक संगठनों के लोग एक ही मांग के साथ जुटे थे—सेंगर की जमानत रद्द हो और पीड़िता को पूरा न्याय मिले।
हाईकोर्ट के बाहर उबाल, पुलिस की चेतावनी
जैसे ही प्रदर्शनकारी दिल्ली हाईकोर्ट परिसर के बाहर पहुंचे, दिल्ली पुलिस ने उन्हें वहां प्रदर्शन न करने की चेतावनी दी। पुलिस ने साफ शब्दों में कहा कि हाईकोर्ट परिसर में विरोध गैर-कानूनी है और यदि प्रदर्शन जारी रहा तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। प्रदर्शनकारियों को जंतर-मंतर जाने की सलाह दी गई।
हालांकि, प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह कोई राजनीतिक प्रदर्शन नहीं, बल्कि न्याय की गुहार है। उनका सवाल सीधा था—अगर न्याय की मांग भी अदालत के दरवाजे पर नहीं की जा सकती, तो फिर आम नागरिक कहां जाए?
#WATCH | दिल्ली | 2017 उन्नाव रेप केस | दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को सशर्त ज़मानत देने के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, तभी पुलिस ने घोषणा की, “विरोध प्रदर्शन तुरंत खत्म करें, नहीं तो 5 मिनट बाद आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” pic.twitter.com/Y7tEV57ZEx
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 26, 2025
पीड़िता की मां का टूटा भरोसा
सबसे भावुक और तीखा बयान पीड़िता की मां का था। उन्होंने कहा कि उन्हें अब हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा नहीं रहा। उनका कहना था कि कुलदीप सेंगर की जमानत किसी भी कीमत पर रद्द होनी चाहिए और इसके लिए वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी।
उन्होंने यहां तक कहा कि अगर वहां भी न्याय नहीं मिला, तो वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी बात रखेंगी। उनके शब्दों में दर्द और गुस्सा दोनों था। उन्होंने अपने पति की कस्टडी में मौत का जिक्र करते हुए कहा कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।
महिला संगठनों की दो टूक चेतावनी
महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना ने साफ कहा कि वे शांतिपूर्ण तरीके से न्याय की मांग करने आई हैं। उनका कहना था कि अदालतों का सम्मान करते हुए भी सवाल पूछना नागरिकों का अधिकार है।
योगिता भयाना ने कहा कि अगर पीड़िता के साथ हुआ अन्याय ऐसे ही दबा दिया गया, तो यह सिर्फ एक परिवार की हार नहीं होगी, बल्कि पूरे समाज की हार होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर न्याय नहीं मिला तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज
कांग्रेस नेता मुमताज पटेल ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को महिलाओं के आत्मविश्वास पर बड़ा आघात बताया। उन्होंने कहा कि तकनीकी आधार पर एक दोषी को राहत देना बेहद खतरनाक मिसाल है।
उनका कहना था कि इस फैसले से देश की लाखों महिलाओं को यह संदेश जाता है कि ताकतवर लोगों के लिए कानून अलग और आम लोगों के लिए अलग हो सकता है। यह सोच लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है।
सशर्त राहत, लेकिन सवाल कायम
दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को सजा पर रोक लगाते हुए जमानत दी है। सीबीआई कोर्ट पहले ही उन्हें नाबालिग से रेप के मामले में दोषी ठहरा चुकी थी और वे उम्रकैद की सजा काट रहे थे।
हाईकोर्ट ने 15 लाख रुपये के बेल बॉन्ड पर उन्हें यह राहत दी है। साथ ही कई सख्त शर्तें भी लगाई गई हैं, जिनमें पीड़िता के दिल्ली स्थित निवास से पांच किलोमीटर के दायरे में न जाने और पीड़िता या उसके परिवार से किसी भी तरह का संपर्क न करने का निर्देश शामिल है।
जेल से बाहर नहीं आएंगे सेंगर
यह भी महत्वपूर्ण है कि इस जमानत के बावजूद कुलदीप सेंगर फिलहाल जेल में ही रहेंगे। पीड़िता के पिता की कस्टडी में मौत के मामले में उन्हें अभी जमानत नहीं मिली है। उस केस में उन्हें दस साल की सजा सुनाई गई थी और वह मामला अभी अदालत में लंबित है।