Veer Baal Diwas 2025: भारत की आत्मा उसके इतिहास, उसके बलिदानों और उसके मूल्यों में बसती है। इन्हीं मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से हर वर्ष मनाया जाने वाला वीर बाल दिवस एक बार फिर देश को साहस, त्याग और राष्ट्रप्रेम की याद दिला गया। नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया और साहिबजादों के अद्वितीय शौर्य को नमन किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित 20 बच्चों से संवाद किया और उन्हें राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति बताया। कार्यक्रम का वातावरण भावनात्मक भी था और प्रेरणादायक भी, जहां इतिहास, वर्तमान और भविष्य एक साथ खड़े नजर आए।
साहिबजादों का साहस, जो उम्र की सीमाएं तोड़ गया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज पूरा देश साहिबजादों के अद्वितीय साहस और सर्वोच्च बलिदान को स्मरण कर रहा है। उन्होंने कहा कि साहिबजादे केवल सिख इतिहास का ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के गौरव हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि साहिबजादों ने बहुत कम उम्र में अन्याय, अत्याचार और धार्मिक कट्टरता के सामने चट्टान की तरह खड़े होकर यह दिखा दिया कि साहस उम्र का मोहताज नहीं होता। उन्होंने मुगल सत्ता की क्रूरता के आगे झुकने से इनकार किया और अपने बलिदान से भारत की आत्मा को और मजबूत किया।
धार्मिक कट्टरता और आतंक के विरुद्ध संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साहिबजादों का बलिदान केवल इतिहास की घटना नहीं, बल्कि हर युग के लिए संदेश है। उन्होंने धार्मिक कट्टरता और आतंक की मानसिकता को चुनौती दी और यह साबित किया कि सत्य और धर्म की रक्षा के लिए निडर होना आवश्यक है।
उनके अनुसार, साहिबजादों का जीवन यह सिखाता है कि जब बात धर्म, न्याय और मानवता की हो, तब भय का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
चार वर्षों में नई पीढ़ी तक पहुंची प्रेरणा
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले चार वर्षों में वीर बाल दिवस ने साहिबजादों की प्रेरणा को देश की युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य किया है। आज के बच्चे जब साहिबजादों की कहानी सुनते हैं, तो उनमें आत्मविश्वास, साहस और देश के लिए कुछ करने की भावना जागृत होती है।
उन्होंने कहा कि यही उद्देश्य है—इतिहास को किताबों तक सीमित न रखकर उसे जीवन का मार्गदर्शक बनाना।
माता गुजरी और गुरु गोबिंद सिंह का आदर्श
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में माता गुजरी जी और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के आदर्शों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि माता गुजरी का धैर्य, त्याग और गुरु गोबिंद सिंह जी का नेतृत्व आज भी हर भारतीय को शक्ति देता है।
साहिबजादों का बलिदान केवल व्यक्तिगत साहस नहीं था, बल्कि एक ऐसे संस्कार का परिणाम था, जिसमें राष्ट्र, धर्म और मानवता सर्वोपरि थे।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित बच्चों से संवाद किया। उन्होंने बच्चों की उपलब्धियों की सराहना की और कहा कि आज के बच्चे ही कल का भारत बनाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश अपने बच्चों पर विश्वास करता है और उन्हें सही दिशा देता है, तो असंभव भी संभव हो जाता है।
राष्ट्र प्रथम का मंत्र
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बच्चों से ‘राष्ट्र प्रथम’ की विचारधारा को अपने जीवन का मार्गदर्शक मंत्र बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि बच्चे केवल देश का भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान के भी परिवर्तनकारी हैं।
उन्होंने कहा कि सही अवसर और मार्गदर्शन मिलने पर देश के बच्चे हर चुनौती को अवसर में बदल सकते हैं।
विकसित भारत की यात्रा में बच्चों की भूमिका
अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत का सपना साकार हो रहा है और इस यात्रा में बच्चों की भूमिका बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक की सहभागिता से ही संभव है।
वीर बाल दिवस इस बात की याद दिलाता है कि भारत की संस्कृति बलिदान, साहस और नैतिक मूल्यों पर टिकी है।