पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर निर्वाचन आयोग को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। तृणमूल कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य में 58 लाख मतदाताओं के नाम जानबूझकर मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने आयोग के सामने अपनी शिकायत दर्ज करवाई है और इस पूरे मामले को बीजेपी की साजिश बताया है।
तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल में मलय घटक, अरूप बिश्वास, चंद्रिमा भट्टाचार्य, शशि पांजा और मानुष भुईया शामिल रहे। इन नेताओं ने निर्वाचन आयोग के समक्ष एक विस्तृत शिकायत पत्र सौंपा और कई गंभीर सवाल उठाए।
मतदाता सूची से नाम हटाने का गंभीर आरोप
तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि पश्चिम बंगाल में 58 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। पार्टी के नेताओं ने कहा कि यह काम जानबूझकर किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ईआरओ (निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) से नेट के माध्यम से डेटा लिया जा रहा है और फिर केंद्र सरकार की तरफ से नाम हटा दिए जा रहे हैं।
पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि एक राजनीतिक दल की तरफ से यह कहा गया था कि एक करोड़ नाम हटाने होंगे। उनका आरोप है कि निर्वाचन आयोग उसी के अनुसार काम कर रहा है। ईआरओ के अधिकारों को छीना जा रहा है और डीईओ (जिला निर्वाचन अधिकारी) सत्यापन कर रहे हैं, जो कि प्रक्रिया के खिलाफ है।
सुनवाई की प्रक्रिया पर सवाल
तृणमूल नेताओं ने बताया कि 27 तारीख से सुनवाई शुरू होने वाली है। लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि जो लोग काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं, वे इतने कम समय में कैसे आ पाएंगे? उनका कहना है कि यह जानबूझकर की गई योजना है ताकि लोगों के नाम सूची से हटाए जा सकें।
पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि एक निजी एजेंसी केपीटी सर्वे कर रही है, जो एक राजनीतिक दल के करीबी संस्था है। इससे पूरी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
फॉर्म जमा करने की समस्या
तृणमूल नेताओं ने कहा कि फॉर्म 6, 7, 8 कहां जमा करने हैं, इसको लेकर भी भ्रम की स्थिति है। बीएलओ (बूथ स्तरीय अधिकारी) बैठक नहीं कर रहे हैं, जिससे लोग परेशान हो रहे हैं। पार्टी ने सीईओ (मुख्य निर्वाचन अधिकारी) से इन सभी सवालों के सही जवाब मांगे हैं। सीईओ ने बताया है कि वे इन शिकायतों और पत्रों को राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग के पास भेज रहे हैं।
अरूप बिश्वास ने उठाए तीखे सवाल
वरिष्ठ तृणमूल नेता अरूप बिश्वास ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मतदाता तय कर रही है। उन्होंने पूछा कि जिन 55 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं, उस सूची को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है? बीएलओ ऐप काम नहीं कर रहा है, जिससे मतदाताओं की जानकारी नहीं दी जा सकती है।
अरूप बिश्वास ने कहा कि उन्होंने सीईओ से इसे ठीक करने को कहा है और सीईओ ने आश्वासन दिया है। लेकिन उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सीईओ जवाब नहीं दे पाते हैं तो दिल्ली से लोग भेजे जाएं। उन्होंने सीईओ मनोज कुमार की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं।
बुजुर्गों को परेशान करने का आरोप
तृणमूल नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि बुजुर्ग लोगों को बुलाकर परेशान किया जा रहा है। उन्हें डराया जा रहा है। पार्टी का दावा है कि सिर्फ बंगाली लोगों को ही इस तरह डराया जा रहा है। उनका कहना है कि यह बीजेपी की साजिश है और निर्वाचन आयोग उनकी कठपुतली बनकर काम कर रहा है।
लोकतंत्र पर खतरा
तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि वे जनता के लिए काम कर रहे हैं और लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए काम करना जरूरी है। लेकिन उनका आरोप है कि पश्चिम बंगाल के मामले में ऐसा नहीं हो रहा है। अन्य राज्यों में जो प्रक्रिया होती है, वह बंगाल में उलटी हो रही है। राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग बंगाल के मामले में विपरीत काम कर रहा है।
पार्टी ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह सब कुछ बीजेपी की योजना का हिस्सा है और निर्वाचन आयोग बीजेपी की बी-टीम की तरह काम कर रहा है। मतदाताओं के हित में उन्होंने यह शिकायत दर्ज करवाई है और सभी सवालों के संतोषजनक जवाब की मांग की है।
यह विवाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में नए तनाव को जन्म दे सकता है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि निर्वाचन आयोग इन आरोपों पर क्या कार्रवाई करता है और क्या तृणमूल कांग्रेस की शिकायतों का कोई समाधान निकलता है।