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Unnao Rape Case: जंतर-मंतर पर जबरदस्त प्रदर्शन, दोषी के समर्थन में भी पहुंचे लोग, पीड़िता की मां बेहोश

Unnao Rape Case: जंतर-मंतर पर जबरदस्त प्रदर्शन
Unnao Rape Case: जंतर-मंतर पर जबरदस्त प्रदर्शन (Pic Credit- Screen Grab- X @yogitabhayana)
उन्नाव रेप केस में सजा निलंबन के फैसले के बाद पीड़िता जंतर-मंतर पहुंची। प्रदर्शन के दौरान राजनीतिक नारेबाजी, दोषी के समर्थन और मां की तबीयत बिगड़ने की घटना ने न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद जताई।
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Unnao Rape Case: उन्नाव रेप केस एक बार फिर देश की चेतना को झकझोर रहा है। वर्षों पुराने इस मामले में जब न्याय की उम्मीद बंधती दिखी थी, तब दिल्ली हाई कोर्ट के हालिया आदेश ने पीड़िता के जख्मों को फिर से हरा कर दिया। दोषी कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित होने के बाद यह मामला केवल अदालत की दहलीज तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सड़क से संसद तक चर्चा का विषय बन गया है।

इसी फैसले के विरोध में आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर उन्नाव रेप पीड़िता अपनी मां के साथ प्रदर्शन करने पहुंचीं।

जंतर-मंतर पर न्याय की गुहार

जंतर-मंतर का माहौल उस समय और तनावपूर्ण हो गया, जब प्रदर्शन के दौरान राजनीतिक नारेबाजी शुरू हो गई। पीड़िता न्याय की मांग कर रही थी, लेकिन भीड़ में कुछ ऐसे चेहरे भी नजर आए, जो दोषी के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इस विरोधाभास ने पूरे प्रदर्शन को और पीड़ादायक बना दिया।

पीड़िता की मां, जो पहले से ही वर्षों से संघर्ष कर रही हैं, इस घटनाक्रम से भावनात्मक रूप से टूट गईं। जब उन्होंने नारेबाजी का विरोध किया, तो अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और वे बेहोश हो गईं। यह दृश्य उस मानसिक दबाव की तस्वीर था, जिसे पीड़ित परिवार सालों से झेल रहा है।

दोषी के समर्थन में उतरी भीड़

प्रदर्शन के दौरान कुछ लोग हाथों में तख्तियां लेकर कुलदीप सेंगर के समर्थन में पहुंचे। खुद को ‘पुरुष आयोग’ से जुड़ा बताने वाले इन लोगों और पीड़िता के समर्थकों के बीच तीखी बहस हो गई। एक तरफ न्याय की मांग थी, दूसरी ओर एक दोषी के लिए सहानुभूति।

दिल्ली पुलिस को हालात बिगड़ते देख पीड़िता की मां को कुछ समय के लिए प्रदर्शन स्थल से हटाना पड़ा।

हाई कोर्ट का आदेश और बढ़ता विवाद

2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में दोषी करार दिए गए कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सजा निलंबित किए जाने के बाद यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया। इस आदेश को लेकर समाज के अलग-अलग वर्गों में नाराजगी देखने को मिल रही है।

पीड़िता और उसके समर्थकों का मानना है कि इस फैसले से न केवल न्याय प्रक्रिया पर सवाल खड़े होते हैं, बल्कि यह उन महिलाओं के लिए भी गलत संदेश देता है, जो अभी भी न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद

सीबीआई द्वारा इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद पीड़िता ने न्यायपालिका पर भरोसा जताया है। उनका कहना है कि वह सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि हर उस महिला के लिए लड़ रही हैं, जिसकी आवाज दबा दी जाती है।

पीड़िता के आरोप: सिर्फ अपराध नहीं, पूरा सिस्टम जिम्मेदार

प्रदर्शन के दौरान पीड़िता ने बेहद भावुक होकर कहा कि अगर सीबीआई ने यह कदम पहले उठाया होता, तो शायद आज हालात अलग होते। उन्होंने साफ कहा कि उनके साथ सिर्फ बलात्कार नहीं हुआ, बल्कि उनके पूरे परिवार को निशाना बनाया गया।

पीड़िता के मुताबिक उनके पिता की हत्या कर दी गई, परिवार के अन्य सदस्यों को भी प्रताड़ित किया गया और गवाहों की सुरक्षा तक हटा ली गई। यही नहीं, उनके पति को नौकरी से निकाल दिया गया और उनके बच्चों की सुरक्षा तक खतरे में है।

फांसी की मांग और टूटता भरोसा

पीड़िता की मां ने दोषी को फांसी की सजा देने की मांग की। उनका कहना है कि जब तक ऐसे मामलों में कठोरतम सजा नहीं दी जाएगी, तब तक अपराधियों का हौसला टूटेगा नहीं। यह मांग केवल सजा की नहीं, बल्कि न्याय पर भरोसे की भी है।

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Dipali Kumari

दीपाली कुमारी पिछले तीन वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने रांची के गोस्सनर कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक सरोकारों, जन-जागरूकता और जमीनी मुद्दों पर लिखने में उनकी विशेष रुचि है। आम लोगों की आवाज़ को मुख्यधारा तक पहुँचाना और समाज से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों को धारदार लेखन के माध्यम से सामने लाना उनका प्रमुख लक्ष्य है।