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नागपुर में संघ ने समाज में राष्ट्रभाव जगाने का महत्वपूर्ण कार्य किया: गजानन निमदेव

RSS Centenary Celebration: संघ के सौ वर्ष की यात्रा और समाज सेवा का विशेष विमोचन नागपुर में
RSS Centenary Celebration: संघ के सौ वर्ष की यात्रा और समाज सेवा का विशेष विमोचन नागपुर में
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी विशेषांक का विमोचन हुआ। राज्य सूचना आयुक्त गजानन निमदेव ने संघ के सौ वर्षों के योगदान को सराहा। विदर्भ हुंकार के विशेष अंक में संघ की समाज सेवा, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रभाव जागरण के कार्यों को दर्शाया गया। संघ संविधान का पूर्ण पालन करता है।
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नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी विशेषांक का भव्य विमोचन हुआ। इस अवसर पर राज्य सूचना आयुक्त गजानन निमदेव ने संघ के सौ वर्षों के सफर और समाज के प्रति इसके योगदान को सराहा। उन्होंने कहा कि संघ ने समाज के हर वर्ग तक पहुँचकर राष्ट्रभाव जागृत करने का अनुकरणीय कार्य किया है।

रेशीमबाग स्थित स्मृति भवन के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में आयोजित इस समारोह में विदर्भ प्रांत सहसंघचालक श्रीधर गाडगे, महानगर सहकार्यवाह दिनेश गौर और महानगर प्रचार प्रमुख ब्रजेश मानस सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। विदर्भ हुंकार पत्रिका के इस विशेषांक का नाम ‘समर्पणाचा शतकोत्सव’ रखा गया है।

संघ की स्थापना और विकास यात्रा

सन 1925 में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी थी। उस समय देश में सामाजिक विभाजन और राष्ट्रीय भावना की कमी थी। डॉक्टर हेडगेवार ने युवाओं को संगठित करके एक ऐसे मंच की शुरुआत की जो आज विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बन चुका है।

गजानन निमदेव ने कहा कि संघ आज दुनिया का सबसे अनुशासित और स्वयंसेवक आधारित संगठन है। इसके स्वयंसेवकों का त्याग, समर्पण और राष्ट्र के प्रति निष्ठा अद्वितीय है। पिछले सौ वर्षों में संघ ने निरंतर देश और समाज की सेवा की है।

समाज सेवा के विभिन्न आयाम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी शताब्दी यात्रा में समाज जीवन के लगभग हर क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। प्राकृतिक आपदाओं के समय संघ के स्वयंसेवक सबसे पहले मदद के लिए पहुँचते हैं। बाढ़, भूकंप, महामारी या किसी भी प्रकार की विपदा में संघ कार्यकर्ताओं की सेवा भावना सराहनीय रही है।

शिक्षा के क्षेत्र में संघ से जुड़े संगठनों ने देश भर में हजारों विद्यालय और महाविद्यालय स्थापित किए हैं। इन संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और राष्ट्रीय मूल्यों की भी शिक्षा दी जाती है। ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में विशेष रूप से शिक्षा का प्रसार करने में संघ की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

सामाजिक समरसता का प्रयास

संघ ने बिना किसी भेदभाव के समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचने का प्रयास किया है। जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र के आधार पर किसी प्रकार का भेद किए बिना संघ ने सभी को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है। यह राष्ट्रभाव जागृति का सबसे बड़ा उदाहरण है।

महानगर सहकार्यवाह दिनेश गौर ने कार्यक्रम में पंच परिवर्तन की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि संघ पाँच मुख्य परिवर्तनों पर कार्य कर रहा है। पहला है सामाजिक समरसता, जिसमें समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने का प्रयास है। दूसरा है कुटुंब प्रबोधन, जिसमें परिवारों में संस्कार और मूल्यों को मजबूत करना शामिल है।

पर्यावरण संरक्षण और स्वदेशी

तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु पर्यावरण संरक्षण है। संघ के स्वयंसेवक वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। चौथा है स्वदेशी का प्रचार-प्रसार। देशी उत्पादों को बढ़ावा देना और विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता कम करना संघ की प्राथमिकता रही है।

पाँचवाँ तत्व है नागरिक कर्तव्य। संघ हमेशा से नागरिकों को उनके अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक करता रहा है। मतदान, कानून का पालन, सामाजिक दायित्व और राष्ट्र के प्रति निष्ठा जैसे विषयों पर संघ लगातार काम कर रहा है।

संविधान के प्रति निष्ठा

कार्यक्रम में गजानन निमदेव ने संघ पर लगाए जाने वाले आरोपों का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग संघ को संविधान विरोधी बताते हैं, लेकिन यह आरोप पूरी तरह निरर्थक है। संघ संविधान का पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पालन करता है। संघ के सभी कार्य संवैधानिक सीमाओं के भीतर होते हैं।

उन्होंने कहा कि संघ ने कभी किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया। बल्कि संघ के स्वयंसेवक कानून व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करते हैं। देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति संघ की प्रतिबद्धता हमेशा मजबूत रही है।

विदर्भ हुंकार का विशेष अंक

विदर्भ हुंकार पत्रिका संघ के विदर्भ प्रांत प्रचार विभाग की मासिक पत्रिका है। इसके शताब्दी विशेषांक में संघ के सौ वर्षों के सफर को विस्तार से दर्शाया गया है। इसमें संघ के संस्थापकों, प्रमुख घटनाओं, सामाजिक कार्यों और भविष्य की योजनाओं का उल्लेख है।

इस विशेषांक में स्वयंसेवकों के त्याग और समर्पण की कहानियाँ भी शामिल हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में संघ के कार्यों को चित्रों और लेखों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। यह विशेषांक संघ के इतिहास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।

कार्यक्रम का आयोजन

कार्यक्रम की शुरुआत भारतमाता पूजन से हुई। इसके बाद दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना की गई। विदर्भ प्रांत सहसंघचालक श्रीधर गाडगे ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। महानगर प्रचार प्रमुख ब्रजेश मानस ने कार्यक्रम का संचालन किया।

समारोह में स्थानीय स्वयंसेवकों के साथ-साथ समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग उपस्थित थे। शिक्षाविद, समाजसेवी, पत्रकार और आम नागरिकों ने भी बड़ी संख्या में कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ।

भविष्य की योजनाएँ

संघ ने अगले सौ वर्षों के लिए भी महत्वाकांक्षी योजनाएँ बनाई हैं। युवाओं को संगठित करना, सामाजिक कुरीतियों को दूर करना, राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान देना संघ के प्रमुख लक्ष्य हैं। संघ का मानना है कि संगठित और संस्कारित समाज ही देश को आगे ले जा सकता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी यात्रा प्रेरणा और समर्पण की कहानी है। पिछले सौ वर्षों में संघ ने समाज के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। नागपुर में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम ने संघ के योगदान को रेखांकित किया और आने वाले समय में भी देश सेवा की प्रतिबद्धता को दोहराया।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।