बजरिया प्रभाग 19 में भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के लंबे समय से जुड़े कार्यकर्ता दिनेश पापा यादव ने 350 से अधिक कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा छोड़ने का फैसला किया है। यह घटना पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष और टिकट वितरण को लेकर नाराजगी को दर्शाती है।
दिनेश पापा यादव ने कहा कि उन्होंने 6 वर्ष की उम्र से आरएसएस की सेवा शुरू की और पिछले 40 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया। लेकिन जब पार्टी टिकट देने की बारी आई तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। इससे आहत होकर उन्होंने अपने सभी साथियों के साथ पार्टी छोड़ने का फैसला लिया है।
टिकट नहीं मिलने से नाराजगी
दिनेश पापा यादव का कहना है कि भाजपा में उस समय से काम कर रहे हैं जब पार्टी में कोई नहीं था। उन्होंने हर मुश्किल समय में पार्टी का साथ दिया, जमीनी स्तर पर काम किया और संगठन को मजबूत करने में अपना योगदान दिया। लेकिन जब टिकट बांटने का वक्त आया तो पार्टी ने उन्हें फिर से नजरअंदाज कर दिया।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में अब मतलबपरस्त लोग भर गए हैं। जिन लोगों ने जमीनी स्तर पर काम नहीं किया, उन्हें तवज्जो दी जा रही है और पुराने वफादार कार्यकर्ताओं को किनारे कर दिया जा रहा है। यह स्थिति उनके लिए स्वीकार करना मुश्किल हो गया है।
शहर अध्यक्ष को दिया ऑनलाइन इस्तीफा
दिनेश पापा यादव ने बताया कि उन्होंने पार्टी के शहर अध्यक्ष तिवारी को ऑनलाइन अपना इस्तीफा भेज दिया है। उन्होंने प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा सिर्फ औपचारिकता नहीं है बल्कि उनकी गहरी निराशा और दुख को दर्शाता है।
उन्होंने साफ कहा कि वह किसी दूसरी पार्टी में नहीं जाएंगे लेकिन भारतीय जनता पार्टी के विरोध में जरूर काम करेंगे। उनका मानना है कि पार्टी ने उनके साथ जो नाइंसाफी की है, उसका जवाब देना जरूरी है। वह अब दूध का दूध और पानी का पानी करके दिखाना चाहते हैं।
350 कार्यकर्ताओं का साथ
दिनेश पापा यादव के साथ करीब 350 कार्यकर्ताओं ने भी पार्टी छोड़ने का फैसला किया है। यह संख्या पार्टी के लिए चिंता का विषय है क्योंकि ये सभी कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर सक्रिय थे और चुनावी मौसम में इनकी भूमिका अहम होती है।
दिनेश पापा यादव ने कहा कि अगर उनके साथ जुड़े सभी कार्यकर्ताओं के नाम गिनाए जाएं तो पूरा पेपर भर जाएगा। इससे पता चलता है कि उनका प्रभाव कितना व्यापक है और पार्टी को कितना बड़ा नुकसान हो सकता है।
पार्टी संगठन पर सवाल
यह घटना भाजपा के आंतरिक संगठन और टिकट वितरण की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है। कई बार देखा गया है कि पार्टियां पुराने और वफादार कार्यकर्ताओं की अनदेखी करके नए चेहरों या प्रभावशाली लोगों को तरजीह देती हैं। इससे जमीनी कार्यकर्ताओं में असंतोष पैदा होता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि किसी भी पार्टी की ताकत उसके जमीनी कार्यकर्ताओं में होती है। अगर ये कार्यकर्ता निराश हो जाएं तो पार्टी का आधार कमजोर हो सकता है। खासकर चुनावी समय में ऐसी घटनाएं पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं।
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा को इस मामले में तुरंत ध्यान देना चाहिए। 40 साल से जुड़े कार्यकर्ता का इस्तीफा और उनके साथ 350 लोगों का जाना पार्टी के लिए गंभीर संकेत है। अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो यह असंतोष और भी बढ़ सकता है।
कई बार पार्टियां टिकट देते समय चुनाव जीतने की संभावना, उम्मीदवार की छवि और जातीय समीकरण को देखती हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में पुराने कार्यकर्ताओं की भावनाओं को नजरअंदाज करना पार्टी के लिए भारी पड़ सकता है।
बजरिया में पार्टी का भविष्य
बजरिया प्रभाग 19 में यह घटना भाजपा के लिए चुनौती बन सकती है। दिनेश पापा यादव ने साफ कहा है कि वह पार्टी के खिलाफ काम करेंगे। अगर वह अपने 350 समर्थकों के साथ सक्रिय रूप से विरोध करते हैं तो इससे भाजपा की स्थिति कमजोर हो सकती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि दिनेश पापा यादव का प्रभाव इलाके में काफी है। उन्होंने लंबे समय तक जमीनी स्तर पर काम किया है और लोगों से सीधा जुड़ाव रखा है। ऐसे में उनके इस्तीफे से भाजपा को नुकसान हो सकता है।
पार्टी का जवाब जरूरी
अब देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी इस मामले में क्या रुख अपनाती है। क्या पार्टी नेतृत्व दिनेश पापा यादव से बातचीत करके उन्हें मनाने की कोशिश करेगा या फिर इस मामले को नजरअंदाज कर देगा।
पार्टी के लिए यह एक परीक्षा की घड़ी है। अगर वह अपने पुराने और वफादार कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान नहीं करती तो भविष्य में ऐसी घटनाएं और भी बढ़ सकती हैं। जमीनी कार्यकर्ता किसी भी पार्टी की रीढ़ होते हैं और उनकी अनदेखी लंबे समय में महंगी पड़ सकती है।
यह घटना सिर्फ बजरिया तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक बड़े सवाल को उठाती है कि क्या राजनीतिक पार्टियां अपने पुराने कार्यकर्ताओं को वह सम्मान देती हैं जिसके वे हकदार हैं। टिकट वितरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाएं न हों।