Petrol Diesel Price Today: हर दिन की शुरुआत सिर्फ सूरज की पहली किरणों से नहीं होती, बल्कि पेट्रोल और डीजल की नई कीमतों से भी होती है। सुबह ठीक 6 बजे देश की तेल विपणन कंपनियां—इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम—ईंधन के ताजा दाम जारी करती हैं। यह एक ऐसा समय होता है, जब ऑफिस जाने वाला कर्मचारी, स्कूल बस चलाने वाला ड्राइवर और सब्जी मंडी तक माल पहुंचाने वाला व्यापारी—सभी की नजरें इन कीमतों पर टिक जाती हैं।
आज 30 दिसंबर को पेट्रोल की कीमत 103.50 रुपए प्रति लीटर हैं. वहीं डीजल 90 .03 रुपए प्रति लीटर है. पेट्रोल और डीजल के दाम केवल ईंधन की कीमत नहीं होते, बल्कि ये महंगाई, रोजमर्रा के खर्च और आम आदमी की आर्थिक स्थिति का आईना होते हैं। यही वजह है कि इन कीमतों में होने वाला छोटा सा बदलाव भी बड़ी बहस का कारण बन जाता है।
भारत में राज्यवार पेट्रोल की कीमत
| राज्य | पेट्रोल की कीमत (₹/लीटर) | मूल्य परिवर्तन |
|---|---|---|
| अंडमान और निकोबार | ₹82.46 | 0.00 |
| आंध्र प्रदेश | ₹109.63 | -0.04 |
| अरुणाचल प्रदेश | ₹90.66 | -0.36 |
| असम | ₹98.24 | +0.01 |
| बिहार | ₹106.11 | +0.70 |
| चंडीगढ़ | ₹94.30 | 0.00 |
| छत्तीसगढ़ | ₹99.72 | +0.07 |
| दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव | ₹92.44 | +0.07 |
| दिल्ली | ₹94.77 | 0.00 |
| गोवा | ₹96.71 | +0.02 |
| गुजरात | ₹94.62 | -0.34 |
| हरियाणा | ₹95.95 | 0.00 |
| हिमाचल प्रदेश | ₹95.32 | 0.00 |
| जम्मू एवं कश्मीर | ₹96.71 | -0.56 |
| झारखंड | ₹98.09 | +0.23 |
| कर्नाटक | ₹102.92 | 0.00 |
| केरल | ₹107.49 | +0.01 |
| लद्दाख | ₹102.71 | 0.00 |
| लक्षद्वीप | ₹100.75 | 0.00 |
| मध्य प्रदेश | ₹106.40 | -0.12 |
| महाराष्ट्र | ₹103.50 | -0.04 |
| मणिपुर | ₹99.14 | -0.05 |
| मेघालय | ₹96.32 | -0.01 |
| मिजोरम | ₹98.27 | -1.25 |
| नागालैंड | ₹97.74 | 0.00 |
| ओडिशा | ₹101.03 | +0.10 |
| पांडिचेरी | ₹96.26 | -0.06 |
| पंजाब | ₹98.28 | +0.06 |
| राजस्थान | ₹104.69 | -0.22 |
| सिक्किम | ₹103.30 | 0.00 |
| तमिलनाडु | ₹101.03 | +0.12 |
| तेलंगाना | ₹107.46 | 0.00 |
| त्रिपुरा | ₹97.81 | +0.42 |
| उत्तर प्रदेश | ₹94.69 | 0.00 |
| उत्तराखंड | ₹93.21 | -0.29 |
| पश्चिम बंगाल | ₹105.41 | 0.00 |
पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय होने की पूरी प्रक्रिया
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें किसी एक कारण से तय नहीं होतीं। इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय बाजार से लेकर घरेलू टैक्स नीति तक कई परतें जुड़ी होती हैं।
अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की भूमिका
पेट्रोल और डीजल का मूल स्रोत कच्चा तेल है। भारत अपनी जरूरत का बड़ा हिस्सा आयात करता है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ती है, तो इसका सीधा असर भारतीय तेल कंपनियों की लागत पर पड़ता है। हालांकि हर बार यह बढ़ोतरी उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचती, लेकिन लंबे समय में इसका दबाव जरूर बनता है।
डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति
कच्चा तेल डॉलर में खरीदा जाता है। अगर रुपया कमजोर होता है, तो उतनी ही मात्रा का तेल खरीदने के लिए ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय कीमतें स्थिर रहने के बावजूद घरेलू ईंधन महंगा हो सकता है।
केंद्र और राज्य सरकारों का टैक्स
पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमत का बड़ा हिस्सा टैक्स का होता है। केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क लगाती है, जबकि राज्य सरकारें वैट वसूलती हैं। यही कारण है कि अलग-अलग राज्यों में ईंधन के दाम अलग होते हैं। किसी राज्य में टैक्स कम होते ही कीमतें राहत देने लगती हैं।
रिफाइनिंग और वितरण की लागत
कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल में बदलने की प्रक्रिया आसान नहीं है। रिफाइनिंग, भंडारण और परिवहन—इन सभी पर खर्च आता है। यह लागत भी अंतिम कीमत में जुड़ती है।
मांग और आपूर्ति का संतुलन
त्योहारों के मौसम, शादी-विवाह के समय या फसलों की ढुलाई के दौरान ईंधन की मांग बढ़ जाती है। अगर आपूर्ति उसी अनुपात में न बढ़े, तो कीमतों पर दबाव बनता है।
पिछले दो साल से कीमतों में स्थिरता क्यों?
मई 2022 के बाद केंद्र और कई राज्य सरकारों ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में कटौती की थी। इसके बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत में कीमतें काफी हद तक स्थिर बनी हुई हैं। सरकार का उद्देश्य महंगाई को काबू में रखना और आम आदमी को राहत देना रहा है।
यही कारण है कि पिछले दो वर्षों में पेट्रोल और डीजल के दाम रोज बदलने की बजाय लगभग एक स्तर पर टिके हुए नजर आए हैं। यह स्थिरता उपभोक्ताओं के लिए राहत की सांस जैसी है, खासकर उस दौर में जब खाद्य पदार्थों और अन्य जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ रही हैं।
आम आदमी की जिंदगी पर सीधा असर
ईंधन की कीमतें सिर्फ वाहन चलाने तक सीमित नहीं रहतीं। ट्रांसपोर्ट महंगा होते ही सब्जी, फल, दूध और रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें भी महंगी हो जाती हैं। एक ऑटो चालक से लेकर ट्रक मालिक तक, हर कोई ईंधन के दामों से जुड़ा हुआ है।
ग्रामीण इलाकों में खेती के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनें, सिंचाई पंप और ट्रैक्टर—सभी डीजल पर निर्भर हैं। ऐसे में कीमतों में स्थिरता किसानों के लिए भी राहत का संकेत है।
आगे क्या रह सकता है रुख?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें बहुत ज्यादा नहीं बढ़तीं और डॉलर-रुपया संतुलन बना रहता है, तो निकट भविष्य में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर रह सकती हैं। हालांकि वैश्विक हालात और भू-राजनीतिक तनाव कभी भी तस्वीर बदल सकते हैं।