महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर विवाद की आग भड़क उठी है। नागपुर शहर में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के कार्यालय पर हुई तोड़फोड़ की घटना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। पार्टी के ही कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी टिकटों की खुलेआम बिक्री की जा रही थी। इस आरोप से गुस्साए समर्थकों ने कार्यालय में घुसकर तोड़फोड़ की और जमकर नारेबाजी की। घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव का माहौल बन गया है और स्थानीय प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है।
घटना का पूरा विवरण
नागपुर में स्थित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के कार्यालय में सोमवार की सुबह अचानक हंगामा मच गया। करीब दो दर्जन से अधिक कार्यकर्ता कार्यालय परिसर में पहुंचे और जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता चुनावी टिकट देने के बदले में पैसे की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो नेता पार्टी के लिए सालों से मेहनत कर रहे हैं, उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है और पैसे वाले लोगों को टिकट दिए जा रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने कार्यालय के फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया। कुर्सियां तोड़ी गईं, मेज पलटी गईं और दीवारों पर लगी तस्वीरें उतार दी गईं। कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों ने घबराकर बाहर निकलने की कोशिश की। स्थानीय पुलिस को सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचकर स्थिति को काबू में किया गया। पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और बाकी को तितर-बितर कर दिया।
टिकट बिक्री के गंभीर आरोप
प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं ने मीडिया से बात करते हुए खुलकर अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पार्टी में एक खास गुट चल रहा है जो पैसे के बदले टिकट बांट रहा है। एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि उनसे विधानसभा चुनाव का टिकट पाने के लिए करोड़ों रुपये की मांग की गई थी। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्हें धमकी दी गई। ऐसे कई कार्यकर्ताओं ने समान शिकायत की है।
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि वे पिछले पंद्रह सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। जमीनी स्तर पर मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को अब किनारे कर दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पैसे वाले उद्योगपति और व्यापारी अब पार्टी टिकट खरीद रहे हैं। इससे पार्टी की जमीनी ताकत कमजोर हो रही है और असली कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है।
पार्टी नेताओं की प्रतिक्रिया
घटना के बाद स्थानीय पार्टी नेताओं ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। नागपुर जिलाध्यक्ष ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह सब गलतफहमी का नतीजा है। उन्होंने कहा कि पार्टी में टिकट वितरण की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और किसी भी तरह की अनियमितता की जगह नहीं है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जो भी कार्यकर्ता अपनी शिकायत लेकर आएंगे, उनकी बात सुनी जाएगी।
हालांकि, कार्यकर्ताओं ने इन आश्वासनों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ बातों से संतुष्ट नहीं किया जा सकता। उन्होंने मांग की कि जिन नेताओं के खिलाफ टिकट बिक्री के आरोप हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे और बड़ा आंदोलन करेंगे।
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की आंतरिक कलह को उजागर करती है। पार्टी के विभाजन के बाद से ही अजित पवार गुट को अपनी पहचान बनाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। टिकट वितरण को लेकर असंतोष सभी पार्टियों में होता है, लेकिन जब यह सार्वजनिक तोड़फोड़ का रूप ले लेता है, तो यह पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाता है।
विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं चुनाव से पहले पार्टी को कमजोर कर सकती हैं। मतदाता ऐसी पार्टियों से दूर रहना पसंद करते हैं जहां आंतरिक अनुशासन की कमी दिखाई देती है। इसके अलावा, टिकट बिक्री के आरोप पार्टी की नैतिकता पर भी सवाल उठाते हैं।
प्रशासनिक कार्रवाई
स्थानीय पुलिस ने घटना का संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि तोड़फोड़ में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, टिकट बिक्री के आरोपों की भी जांच की जा रही है। अगर किसी के खिलाफ सबूत मिलते हैं तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
जिला प्रशासन ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। पुलिस अधिकारी स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं और किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए तैयार हैं।
कार्यकर्ताओं की मांगें
प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं ने पार्टी नेतृत्व के समक्ष कई मांगें रखी हैं। उनकी मुख्य मांग है कि टिकट वितरण की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता लाई जाए। उन्होंने कहा कि योग्यता और पार्टी के प्रति समर्पण के आधार पर टिकट दिए जाने चाहिए, न कि पैसे के आधार पर। उन्होंने यह भी मांग की कि जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उन्हें पार्टी से निकाला जाए।
कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि उन्हें पार्टी के फैसलों में भागीदारी का मौका दिया जाना चाहिए। जमीनी कार्यकर्ताओं की राय लिए बिना लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं। उन्होंने पार्टी नेतृत्व से अपील की कि वे कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करें।
भविष्य की संभावनाएं
अब देखना यह है कि पार्टी नेतृत्व इस मसले को कैसे सुलझाता है। अगर जल्द ही कार्यकर्ताओं को संतुष्ट नहीं किया गया तो यह असंतोष और बढ़ सकता है। चुनाव के समय में ऐसी घटनाएं पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती हैं। विपक्षी पार्टियां भी इस मुद्दे को उठाकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर सकती हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अजित पवार को इस संकट से निपटने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे। उन्हें कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करना होगा और उनकी शिकायतों का समाधान करना होगा। टिकट वितरण में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच कराना जरूरी है। तभी पार्टी की विश्वसनीयता बहाल हो सकती है और चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया जा सकता है।