कोलकाता में तीन दिन के दौरे पर आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सरकार बनाने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि 2026 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में आएगी। लेकिन इस आत्मविश्वास भरे बयान के बीच एक सवाल लगातार उठता रहा है – क्या सचमुच बीजेपी बंगाल जीतना चाहती है? या फिर तृणमूल कांग्रेस के साथ किसी तरह की समझदारी के चलते गेरुआ पार्टी उदासीन रवैया अपनाए हुए है?
बीजेपी का बंगाल में बार-बार का असफल प्रयास
बंगाल को जीतना बीजेपी का लंबे समय से पाला हुआ सपना रहा है। लेकिन हर बार नतीजे निराशाजनक ही रहे हैं। कमजोर संगठन, सही नेतृत्व की कमी और जनता से जुड़ाव में खामियों को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता रहा है। बंगाल बीजेपी के एक हिस्से ने भी इन कमियों को स्वीकार किया है।
हर चुनाव से पहले बीजेपी के शीर्ष नेता बंगाल आते हैं और मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने की बात करते हैं। लेकिन जब नतीजे आते हैं तो उनके हाथ में गिनी-चुनी सीटें ही आती हैं। इस बार-बार की असफलता को देखकर राजनीतिक विश्लेषकों का एक वर्ग मानता है कि तृणमूल और बीजेपी के बीच कोई ‘सेटिंग’ है। अपने-अपने स्वार्थ और राजनीतिक समझदारी के चलते केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बंगाल में तृणमूल को मैदान छोड़ देती है।
अमित शाह का तथ्यों के साथ जवाब
अमित शाह की पत्रकार वार्ता में उनसे सीधा सवाल पूछा गया – क्या सचमुच बीजेपी बंगाल जीतना चाहती है? इस सवाल के जवाब में शाह ने तथ्यों और आंकड़ों के साथ अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जब वह यह कह रहे हैं कि 2026 में बंगाल में बीजेपी की सरकार बनेगी, तो इसके पीछे ठोस कारण हैं।
शाह ने बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता के सबूत पेश किए। उन्होंने बताया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 17 प्रतिशत वोट और सिर्फ 2 सीटें मिली थीं। 2016 की विधानसभा में 10 प्रतिशत वोट और 3 विधायक मिले। 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट शेयर बढ़कर 41 प्रतिशत हो गया। 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 77 सीटें मिलीं।
आंकड़ों से समझाया बढ़ता प्रभाव
अमित शाह ने आगे कहा कि इस बीच कांग्रेस पार्टी राज्य में शून्य हो गई है। वामपंथियों को भी कोई खास वोट नहीं मिल रहा और बीजेपी मुख्य विपक्षी दल बन गई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 39 प्रतिशत वोट और 12 सीटें मिलीं। इन आंकड़ों के आधार पर शाह का मानना है कि 2026 में बीजेपी भारी बहुमत के साथ सत्ता में आएगी।
जनता से सीधी अपील
अपने संबोधन में अमित शाह ने बंगाल की जनता से सीधी अपील की। उन्होंने कहा कि लोगों ने कांग्रेस, वाम दलों और तृणमूल को मौका दिया, लेकिन बंगाल सिर्फ पिछड़ता गया। दूसरी ओर बीजेपी शासित राज्यों को देखें जहां विकास और सुशासन दिखाई देता है।
शाह ने कहा कि बंगाल के महान विचारकों और स्वतंत्रता सेनानियों का जो सपना था, वैसा बंगाल बीजेपी बनाएगी। उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि सब कुछ एक तरफ रखकर बीजेपी को भारी जनसमर्थन दें और जिताएं।
सेटिंग के आरोपों पर क्या है सच्चाई
राजनीतिक हलकों में लंबे समय से यह चर्चा होती रही है कि बीजेपी और तृणमूल के बीच कोई अघोषित समझदारी है। खासकर केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई और राजनीतिक रुख को लेकर ऐसे सवाल उठते रहे हैं। लेकिन अमित शाह ने अपने तथ्यों और आंकड़ों से इन आरोपों को खारिज करने की कोशिश की है।
बीजेपी के लगातार बढ़ते वोट शेयर को देखते हुए पार्टी का दावा निराधार नहीं कहा जा सकता। हालांकि बंगाल की जमीनी राजनीति अभी भी तृणमूल के पक्ष में दिखती है। 2026 का चुनाव यह तय करेगा कि अमित शाह के दावे कितने सही साबित होते हैं।
आगे की चुनौतियां
बीजेपी के सामने अभी भी कई चुनौतियां हैं। मजबूत संगठनात्मक ढांचा बनाना, स्थानीय नेतृत्व विकसित करना और जमीनी स्तर पर जनता से जुड़ाव बढ़ाना जरूरी है। तृणमूल की जड़ें बंगाल में बहुत गहरी हैं और उसे उखाड़ना आसान नहीं होगा।
साथ ही बीजेपी को यह भी साबित करना होगा कि वह सिर्फ केंद्र की ताकत के बल पर नहीं बल्कि राज्य के मुद्दों और विकास के एजेंडे पर जनता का भरोसा जीत सकती है। अगले कुछ महीनों में पार्टी की रणनीति और जमीनी काम यह तय करेगा कि 2026 में क्या नतीजा आता है।