कर संक्रांति का त्योहार हमारे देश में बड़े उल्लास और खुशी के साथ मनाया जाता है। इस दिन आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाना एक पुरानी परंपरा रही है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी इस खेल में बड़े उत्साह से भाग लेते हैं। छतों पर रंगीन पतंगें, काटो-काटो की आवाजें और खुशी की किलकारियां इस त्योहार की पहचान हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में इस खुशी के त्योहार पर एक काला साया मंडरा रहा है। नायलॉन मांजे के इस्तेमाल ने इस पवित्र उत्सव को खतरनाक बना दिया है। हर साल मकर संक्रांति के आसपास ऐसी दर्दनाक घटनाएं सामने आती हैं जो हमारी रूह को कंपा देती हैं।
नागपुर में हाल ही में घटी एक घटना ने एक बार फिर इस मुद्दे को गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है। बीस साल का अनमोल नाम का युवक अपने पिता के साथ दोपहिया वाहन पर घर लौट रहा था। सड़क पर लटका हुआ नायलॉन का मांजा उसके गले में इस तरह फंस गया कि उसकी जान चली गई। कल्पना कीजिए उस पिता की पीड़ा, जो अपने बेटे को सही सलामत घर ले जा रहा था और अचानक उसकी गोद में बेटे की बेजान देह रह गई। यह केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि हमारे समाज की संवेदनहीनता का प्रमाण है।
यह कोई पहली घटना नहीं है। जनवरी 2023 में महज दस साल का अंकुर नाम का मासूम बच्चा भी नायलॉन मांजे का शिकार हो गया था। उस छोटे से बच्चे का पूरा जीवन उसके सामने था, लेकिन किसी की लापरवाही और शौक ने उसका भविष्य छीन लिया। इसके अलावा भी देशभर में ऐसे अनगिनत मामले हैं जहां नायलॉन मांजे ने लोगों की जान ली है या उन्हें गंभीर रूप से घायल किया है। मोटरसाइकिल सवारों, साइकिल चालकों और यहां तक कि पैदल चलने वालों तक को इस जानलेवा मांजे का सामना करना पड़ता है।
नायलॉन मांजे की असलियत
नायलॉन का मांजा सामान्य धागे से बिल्कुल अलग होता है। इसे बनाने में प्लास्टिक के धागों का इस्तेमाल होता है जिन पर कांच का बारीक पाउडर और रसायन चिपकाए जाते हैं। यह मांजा बेहद मजबूत और तेज धार वाला होता है। जब यह किसी के गले या शरीर के किसी हिस्से से टकराता है तो चाकू की तरह काटता है। तेज रफ्तार वाहनों पर सवार लोगों के लिए यह और भी खतरनाक हो जाता है क्योंकि गति के कारण इसकी काटने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।
इस मांजे का खतरा केवल इंसानों तक सीमित नहीं है। पक्षियों के लिए तो यह और भी जानलेवा साबित होता है। हर साल सैकड़ों पक्षी इस मांजे में फंसकर घायल होते हैं या मर जाते हैं। पर्यावरण के लिए भी यह बेहद हानिकारक है क्योंकि नायलॉन सड़ता नहीं है और सालों साल वातावरण में बना रहता है।
कानून और प्रतिबंध
सरकार ने इस खतरे को देखते हुए नायलॉन मांजे पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है। महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में इसकी बिक्री, खरीद और इस्तेमाल पर सख्त कानून बनाए गए हैं। पुलिस प्रशासन समय-समय पर छापे मारकर नायलॉन मांजे की बड़ी मात्रा जब्त करती है। नागपुर में भी मकर संक्रांति से पहले पुलिस ने कई दुकानों पर कार्रवाई की और नायलॉन मांजा जब्त किया।
न्यायालय ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कई बार सख्त आदेश दिए हैं। जो लोग नायलॉन मांजे का इस्तेमाल करते हैं या बेचते हैं उन पर भारी जुर्माना और सजा का प्रावधान है। लेकिन इन सब के बावजूद अवैध रूप से यह मांजा बाजार में आसानी से मिल जाता है। इसका मुख्य कारण है लोगों की लापरवाही और जागरूकता की कमी।
जागरूकता अभियान की जरूरत
प्रशासन और कई सामाजिक संगठन नायलॉन मांजे के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहे हैं। स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर और बैनर लगाए जा रहे हैं। लोगों को समझाया जा रहा है कि पतंगबाजी का मजा लेने के लिए किसी की जान जोखिम में डालना सही नहीं है। पारंपरिक सूती धागे का मांजा उतना ही मजेदार है और पूरी तरह सुरक्षित भी है।
कई स्वयंसेवी संस्थाएं पर्यावरण के अनुकूल मांजा बनाने और बांटने का काम कर रही हैं। ये मांजे प्राकृतिक सामग्री से बनाए जाते हैं और किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। यदि सभी लोग इन सुरक्षित विकल्पों को अपनाएं तो हर साल होने वाली इन दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।
समाज की जिम्मेदारी
केवल सरकार या प्रशासन के भरोसे यह समस्या हल नहीं होगी। हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। यदि आप किसी को नायलॉन मांजे का इस्तेमाल करते देखें तो उसे रोकें। दुकानदारों से इसे न खरीदें और न ही बेचने दें। अपने बच्चों को इसके खतरों के बारे में बताएं। पड़ोसियों और दोस्तों के बीच जागरूकता फैलाएं।
पतंग उत्सव हमारी संस्कृति का हिस्सा है और इसे खुशी के साथ मनाया जाना चाहिए। लेकिन किसी के शौक के लिए किसी की जान नहीं जानी चाहिए। एक पतंग काटने की खुशी कुछ पलों की होती है, लेकिन किसी को गंवाने का दुख जिंदगी भर रहता है।
सुरक्षित पतंगबाजी के उपाय
पतंगबाजी का मजा लेने के लिए कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है। सबसे पहले तो केवल सूती धागे का मांजा ही इस्तेमाल करें। पतंग उड़ाते समय सुरक्षित जगह का चुनाव करें जहां बिजली के तार न हों। छत की मुंडेर के पास सावधानी बरतें। छोटे बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही पतंग उड़ाने दें। कटी हुई पतंगों को इकट्ठा करके उचित तरीके से फेंकें ताकि वे सड़क पर न गिरें।
वाहन चालकों को भी सावधान रहना चाहिए। मकर संक्रांति के दिनों में हेलमेट जरूर पहनें और गर्दन की सुरक्षा के लिए स्कार्फ या मफलर का इस्तेमाल करें। तेज रफ्तार से गाड़ी न चलाएं और सड़क पर लटके धागों से सावधान रहें।
मकर संक्रांति का त्योहार खुशियों का प्रतीक है और इसे ऐसे ही रहना चाहिए। नायलॉन मांजे ने जो दर्द और तकलीफ दी है उसे अब और नहीं सहा जा सकता। हर साल होने वाली इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सबको मिलकर काम करना होगा। सरकारी कार्रवाई जरूरी है लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है समाज की सोच में बदलाव। जब तक हर व्यक्ति यह नहीं समझेगा कि दूसरों की सुरक्षा उसकी जिम्मेदारी है, तब तक यह समस्या बनी रहेगी। आइए हम सब मिलकर संकल्प लें कि इस बार और आने वाले हर साल नायलॉन मांजे को पूरी तरह से ना कहेंगे। पतंगबाजी का आनंद सुरक्षित तरीके से लेंगे और किसी परिवार को अनमोल या अंकुर जैसा दुख नहीं झेलने देंगे। सुरक्षित पतंगबाजी ही सच्ची खुशी है।