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नागपुर में कांग्रेस को बड़ा झटका: 30 साल पुराने महासचिव ने टिकट नहीं मिलने से दिया इस्तीफा

Nagpur Congress Parmeshwar Raut Resignation: नागपुर कांग्रेस महासचिव परमेश्वर राऊत ने 30 साल बाद टिकट विवाद में दिया इस्तीफा
Nagpur Congress Parmeshwar Raut Resignation: नागपुर कांग्रेस महासचिव परमेश्वर राऊत ने 30 साल बाद टिकट विवाद में दिया इस्तीफा (IG Photo)
नागपुर में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है जब 30 वर्षों से महासचिव रहे परमेश्वर राऊत ने महानगरपालिका चुनाव में टिकट नहीं मिलने से इस्तीफा दे दिया। ओबीसी आंदोलन में सक्रिय राऊत ने अपनी टीम के साथ सामूहिक त्यागपत्र दिया। यह घटना पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र और पुराने कार्यकर्ताओं के साथ व्यवहार पर सवाल खड़े करती है।
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महाराष्ट्र की राजनीतिक राजधानी नागपुर में कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के शहर इकाई में 30 वर्षों से महासचिव के पद पर कार्यरत परमेश्वर राऊत ने आगामी नागपुर महानगरपालिका चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यह घटना कांग्रेस के आंतरिक संगठन और पुराने कार्यकर्ताओं के साथ व्यवहार पर सवाल खड़े करती है।

30 साल की सेवा और समर्पण की कहानी

परमेश्वर राऊत ने कांग्रेस शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे को लिखे अपने इस्तीफे में बताया कि उन्होंने पिछले 25 से 30 वर्षों तक बिना किसी व्यक्तिगत अपेक्षा के पार्टी की सेवा की है। उनका कहना है कि यह सेवा उन्होंने पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी के साथ केवल पार्टी की विचारधारा और सामाजिक दायित्व को समर्पित करके की है।

राऊत ने अपने पत्र में लिखा है कि इन तीन दशकों में उन्होंने निरंतर ओबीसी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई है। उनके और उनकी टीम के प्रयासों से अनेक लोग ओबीसी आंदोलन के माध्यम से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं। यह कार्य उन्होंने पार्टी को मजबूत करने की नीयत से किया था।

टिकट की उम्मीद और निराशा

आगामी नागपुर महानगरपालिका चुनाव में प्रभाग क्रमांक 28 से परमेश्वर राऊत को उम्मीदवारी मिलने की उम्मीद थी। उनका मानना था कि 30 वर्षों की सेवा, अनुभव और संगठनात्मक कार्य को देखते हुए वह इस सीट के लिए योग्य उम्मीदवार थे। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनके कार्य और योगदान पर विचार नहीं किया।

राऊत ने स्वीकार किया है कि उनकी एकमात्र भूल यह रही कि उन्होंने वरिष्ठ नेताओं से सीधे उम्मीदवारी की मांग नहीं की। उनका मानना था कि निष्ठापूर्वक कार्य करना ही उनका कर्तव्य है और यही पर्याप्त है। लेकिन पार्टी की आंतरिक राजनीति में यह सोच उनके लिए भारी पड़ गई।

मानसिक कष्ट और सामूहिक इस्तीफा

लंबे समय की सेवा के बावजूद पार्टी नेतृत्व द्वारा उपेक्षा ने परमेश्वर राऊत को गहरा मानसिक कष्ट पहुंचाया है। इस घटना का असर केवल उन पर ही नहीं बल्कि उनके साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं पर भी पड़ा है। राऊत की टीम के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने भी सामूहिक रूप से कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र देने का निर्णय लिया है।

यह सामूहिक इस्तीफा कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर नागपुर जैसे महत्वपूर्ण शहर में जहां पार्टी पहले से ही कमजोर स्थिति में है। ओबीसी समाज में अच्छी पकड़ रखने वाले राऊत और उनकी टीम का जाना पार्टी के लिए चुनावी नुकसान साबित हो सकता है।

ओबीसी आंदोलन और कांग्रेस का जुड़ाव

परमेश्वर राऊत ने ओबीसी आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका का विशेष उल्लेख किया है। महाराष्ट्र में ओबीसी समाज की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने अपनी मेहनत से ओबीसी समुदाय को कांग्रेस से जोड़ने का काम किया था।

नागपुर में ओबीसी मतदाताओं की अच्छी संख्या है और इस वर्ग में कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने में राऊत की भूमिका अहम रही है। उनके जाने से पार्टी को इस वोट बैंक में नुकसान हो सकता है।

पार्टी के आंतरिक मामलों पर सवाल

यह घटना कांग्रेस पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र और पुराने कार्यकर्ताओं के साथ व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े करती है। कई राज्यों में कांग्रेस को इसी तरह के नुकसान का सामना करना पड़ा है जहां वरिष्ठ और समर्पित कार्यकर्ताओं को उपेक्षित महसूस कराया गया।

टिकट वितरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और वरिष्ठ नेताओं के योगदान को नजरअंदाज करने की शिकायतें पार्टी में आम हैं। परमेश्वर राऊत का मामला इसी समस्या का एक और उदाहरण है।

नागपुर महानगरपालिका चुनाव पर असर

नागपुर महानगरपालिका चुनाव में यह घटना कांग्रेस की संभावनाओं को कमजोर कर सकती है। प्रभाग क्रमांक 28 में राऊत की अच्छी पकड़ थी और उनके इस्तीफे से उस क्षेत्र में पार्टी को नुकसान हो सकता है।

इसके अलावा, राऊत और उनकी टीम के सामूहिक इस्तीफे से पार्टी के संगठनात्मक ढांचे पर भी असर पड़ेगा। चुनाव से पहले ऐसी घटना पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी प्रभावित करती है।

राजनीतिक विश्लेषण

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस को अपने पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर व्यवहार करने की जरूरत है। टिकट वितरण में केवल चुनावी गणित नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं के योगदान को भी महत्व देना चाहिए।

महाराष्ट्र में कांग्रेस पहले से ही कमजोर स्थिति में है और ऐसी घटनाएं पार्टी की स्थिति को और कमजोर कर सकती हैं। नागपुर जैसे शहर में जहां भाजपा का दबदबा है, वहां कांग्रेस को हर कार्यकर्ता की जरूरत है।

आगे की राह

परमेश्वर राऊत ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि अब वर्तमान परिस्थितियों में पार्टी के साथ आगे कार्य करना संभव नहीं है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों का आभार व्यक्त किया है और पार्टी के भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं।

यह देखना दिलचस्प होगा कि राऊत और उनकी टीम आगे क्या राजनीतिक कदम उठाती है। क्या वे किसी अन्य पार्टी में शामिल होंगे या स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे, यह समय बताएगा।

परमेश्वर राऊत का इस्तीफा कांग्रेस पार्टी के लिए एक चेतावनी है। पार्टी को अपने आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करना होगा और पुराने कार्यकर्ताओं के योगदान को सम्मान देना होगा। नागपुर में यह घटना पार्टी के लिए चुनावी और संगठनात्मक दोनों स्तरों पर नुकसानदेह साबित हो सकती है। समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा किसी भी राजनीतिक दल के लिए महंगी पड़ सकती है।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।