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Ram Mandir Pran Pratishtha: राममय हुई अयोध्यानगरी, आज मनायी जा रही प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ

Ram Mandir Pran Pratishtha: राममय हुई अयोध्यानगरी
Ram Mandir Pran Pratishtha: राममय हुई अयोध्यानगरी (File Photo)
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ पर अयोध्या भक्ति और उल्लास में डूबी है। प्रतिष्ठा द्वादशी और नववर्ष के संयोग ने उत्सव को विशेष बना दिया है। धार्मिक आयोजनों, भारी भीड़ और कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच अयोध्या भारत की आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक बनकर उभरी है।
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Ram Mandir Pran Pratishtha: रामनगरी अयोध्या एक बार फिर उसी भाव, उसी श्रद्धा और उसी दिव्यता में डूबी हुई है, जिसने 22 जनवरी 2024 को पूरे देश को भावुक कर दिया था। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार उत्सव में अनुभव की परिपक्वता है और आस्था में और अधिक गहराई। आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ मनायी जा रही है. एक ओर देश और दुनिया नया साल मनाने की तैयारी में है, तो दूसरी ओर अयोध्या में नववर्ष का स्वागत रामनाम, दीपों और भजनों के साथ हो रहा है।

31 दिसंबर को क्यों मनाया जा रहा प्रतिष्ठा द्वादशी

बहुत से श्रद्धालुओं के मन में यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठ रहा है कि जब प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हुई थी, तो फिर यह उत्सव 31 दिसंबर को क्यों मनाया जा रहा है। दरअसल, हिंदू पंचांग के अनुसार किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की वर्षगांठ तिथि के आधार पर मनाई जाती है, न कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार। रामलला की प्रतिष्ठा पौष शुक्ल द्वादशी को हुई थी और इस वर्ष यह तिथि 31 दिसंबर 2025 को पड़ी है। इसी कारण अयोध्या में 29 दिसंबर 2025 से 2 जनवरी 2026 तक भव्य धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन किए जा रहे हैं।

ये अतिथि होंगे शामिल

प्रतिष्ठा द्वादशी के मुख्य कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति इस आयोजन को राष्ट्रीय महत्व प्रदान करती है। रक्षा मंत्री द्वारा राम मंदिर परिसर स्थित अन्नपूर्णा मंदिर में ध्वजारोहण और मुख्यमंत्री योगी का धार्मिक अनुष्ठानों में सहभाग लेना, यह दर्शाता है कि राम मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक भी बन चुका है।

प्रतिष्ठा द्वादशी के अवसर पर अयोध्या में पूजा-अर्चना, हवन, भजन-कीर्तन, रामकथा, रामलीला, रामचरितमानस पाठ और कवि सम्मेलन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। राम मंदिर परिसर से लेकर अंगद टीला तक पूरा क्षेत्र भक्ति की ऊर्जा से स्पंदित है।

मंदिरों में उमड़ती श्रद्धा की लहर

राम जन्मभूमि मंदिर के अलावा हनुमानगढ़ी, कनक भवन और अन्य प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी हुई हैं। घंटों इंतजार के बाद भी भक्तों के चेहरे पर थकान नहीं, बल्कि संतोष दिखाई देता है। रामनाम का जाप, दीपों की रोशनी और शंखनाद ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया है।

यह केवल दर्शन नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभव है। अयोध्या आने वाला हर श्रद्धालु अपने साथ एक भाव, एक स्मृति और एक ऊर्जा लेकर लौट रहा है।

सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की सतर्कता

लाखों श्रद्धालुओं और वीवीआईपी की मौजूदगी को देखते हुए अयोध्या में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। शहर को कई जोनों में बांटकर पुलिस बल की तैनाती की गई है। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से लगातार निगरानी हो रही है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो।

आस्था, संस्कृति और भारत की पहचान

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ यह स्पष्ट संदेश देती है कि अयोध्या केवल एक धार्मिक नगर नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक चेतना का केंद्र है। यहां आस्था, संस्कृति और परंपरा एक साथ सांस लेती हैं। नए वर्ष के आगमन पर अयोध्या में उमड़ा यह श्रद्धा सैलाब बताता है कि राम केवल पूजा के विषय नहीं, बल्कि जीवन के मार्गदर्शक हैं।

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Dipali Kumari

दीपाली कुमारी पिछले तीन वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने रांची के गोस्सनर कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक सरोकारों, जन-जागरूकता और जमीनी मुद्दों पर लिखने में उनकी विशेष रुचि है। आम लोगों की आवाज़ को मुख्यधारा तक पहुँचाना और समाज से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों को धारदार लेखन के माध्यम से सामने लाना उनका प्रमुख लक्ष्य है।