🔔 नोटिस : इंटर्नशिप का सुनहरा अवसर. पत्रकार बनना चाहते हैं, तो राष्ट्रभारत से जुड़ें. — अपना रिज़्यूमे हमें digital@rashtrabharat.com पर भेजें।

Global Warming: वैश्विक तापमान के रिकॉर्ड बनने का सिलसिला थमा

climate-change-with-dry-soil
Climate Change
अगस्त 8, 2025

Global Warming: यूरोप की जलवायु एजेंसी ‘कॉपरनिकस’ के अनुसार, रिकॉर्ड तोड़ वैश्विक तापमान का हालिया सिलसिला फिलहाल थम गया है, जबकि जुलाई 2025 दुनिया भर में रिकॉर्ड तीसरा सबसे गर्म जुलाई का महीना रहा।

एजेंसी ने यह भी बताया कि पिछले 12 महीने (अगस्त 2024 से जुलाई 2025) पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.53 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थे।

एजेंसी ने कहा कि जुलाई का वैश्विक औसत सतही वायु तापमान 16.68 डिग्री सेल्सियस था, जो 1991 से 2020 के महीने के औसत से 0.45 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

एजेंसी ने बताया कि जुलाई 2025, जुलाई 2023 के रिकॉर्ड की तुलना में 0.27 डिग्री सेल्सियस और जुलाई 2024 की तुलना में 0.23 डिग्री सेल्सियस ठंडा था। जुलाई 2024 लगातार दूसरा सबसे गर्म महीना था।

कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (सी3एस) के वैज्ञानिकों ने कहा कि जुलाई 2025 का तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर 1850 से 1900 के दौरान अनुमानित औसत से 1.25 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

यूरोपीय जलवायु एजेंसी ने एक बयान में कहा, ‘‘पिछले 25 महीनों में यह केवल चौथा महीना था जब वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम था।’’

सी3एस के निदेशक कार्लो बुओंटेंपो ने कहा, ‘‘लगातार दो साल सबसे गर्म जुलाई के महीने के बाद वैश्विक तापमान रिकॉर्ड का हालिया सिलसिला फिलहाल थम गया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जलवायु परिवर्तन रुक गया है। हम जुलाई में अत्यधिक गर्मी और विनाशकारी बाढ़ जैसी घटनाओं में गर्म होती दुनिया के प्रभावों को देख रहे हैं। जब तक हम वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता को तेजी से स्थिर नहीं करते, हमें न केवल नए तापमान के रिकॉर्ड बनने की उम्मीद करनी चाहिए, बल्कि इन प्रभावों के बिगड़ने की भी उम्मीद करनी चाहिए और हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए।’’

मानवीय गतिविधियों, खासकर जीवाश्म ईंधनों के जलने से वायुमंडल में बड़ी मात्रा में ऊष्मा-अवशोषित करने वाली ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित हुई हैं। इससे धरती का तापमान बढ़ा है, जलवायु में बदलाव आया है और बाढ़, सूखा, तूफान और अन्य चरम मौसम संबंधी घटनाएं बार-बार और भयंकर रूप से बढ़ रही हैं।

वर्ष 2015 में पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में देशों ने जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में औसत वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का संकल्प लिया था।

Rashtra Bharat Digital Team

Stay updated with the latest news and insights on business, politics, AI, startups, government, and more from the Rashtra Bharat Digital & Editorial Team.

Breaking