नई दिल्ली:
Supreme Court ने सोमवार को Waqf (Amendment) Act की कुछ प्रमुख धाराओं को असंवैधानिक बताते हुए स्टे (Stay) कर दिया। हालांकि, अदालत ने पूरे कानून को स्थगित करने से इनकार किया। Chief Justice of India BR Gavai और Justice AG Masih की बेंच ने कहा कि “पूरे क़ानून पर रोक लगाने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन कुछ प्रावधान arbitrary हैं और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन कर सकते हैं।”
Collector की शक्तियों पर सवाल
नए कानून ने जिला Collector को Waqf properties से जुड़े ownership disputes का अंतिम निर्णायक बना दिया था। यह प्रावधान देशभर में सबसे ज्यादा विवाद का कारण बना। Supreme Court ने इसे रद्द करते हुए कहा कि,
“Collector नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का निर्णय नहीं कर सकते। यह Separation of Powers का उल्लंघन है। जब तक Tribunal द्वारा फैसला नहीं हो जाता, किसी तीसरे पक्ष को अधिकार नहीं दिए जा सकते।”
इस प्रकार Collector को दी गई शक्तियों पर रोक लगा दी गई है।
Web Stories:
धार्मिक पहचान पर प्रावधान भी रोका गया
कानून में यह भी प्रावधान था कि केवल वही व्यक्ति Waqf घोषित कर सकता है जो कम से कम 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हो। Chief Justice Gavai ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, “इस तरह का क्लॉज़ बिना किसी स्पष्ट तंत्र के arbitrary power देगा, इसलिए इसे भी स्थगित किया जाता है।”
Waqf Boards और Central Waqf Council की संरचना
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी Waqf Board में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए और Central Waqf Council में चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल नहीं किए जाएंगे। यह निर्णय मुस्लिम संगठनों की प्रमुख मांगों में से एक था।
Also Read:
नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री सुशीला कार्की का वाराणसी से है गहरा नाता
मुस्लिम संगठनों की प्रतिक्रिया
All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB) सहित कई मुस्लिम संगठनों ने इस कानून का विरोध किया था और इसे असंवैधानिक बताया था। बोर्ड के सदस्य Syed Qasim Rasool Ilyas ने ANI से कहा:
“हमारी कई आपत्तियों को Supreme Court ने स्वीकार किया है। ‘Waqf by User’ पर हमारी दलील मानी गई है। Protected monuments पर कोई तीसरे पक्ष का दावा नहीं होगा। पांच वर्ष का प्रावधान हट गया है। अधिकांश बिंदुओं पर हमें संतोष मिला है।”
पृष्ठभूमि: कानून क्यों विवादित हुआ?
1995 के Waqf कानून में संशोधन (Amendments) इस साल अप्रैल में संसद से पारित हुए थे और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हुए। सरकार का कहना था कि कई Waqf properties पर बड़े स्तर पर land disputes और encroachment हैं। नए कानून का उद्देश्य इन्हीं विवादों को दूर करना था।
लेकिन मुस्लिम संगठनों ने इसे Waqf संपत्तियों पर कब्ज़े की साजिश करार दिया और देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।
अदालत का संतुलित रुख
Supreme Court ने यह भी स्पष्ट किया कि उसका दृष्टिकोण हमेशा किसी भी क़ानून की constitutionality को मान्यता देने का होता है और दखल केवल “rarest of rare” cases में किया जाता है। अदालत ने कहा कि अंतिम निर्णय आने तक विवादित प्रावधानों को निलंबित रखना ही न्यायोचित होगा।
राजनीतिक और सामाजिक असर
इस फैसले ने देशभर में एक नई बहस को जन्म दिया है। जहां मुस्लिम संगठन इसे अपनी जीत मान रहे हैं, वहीं सरकार का कहना है कि अदालत में अंतिम सुनवाई तक इंतजार करना उचित होगा। राजनीतिक दल भी इस फैसले को अपने-अपने तरीके से देख रहे हैं।